
हरदा। बड़वानी स्वास्थ्य केंद्र में नेटवर्क के लिए लगाई सीढ़ी।
जिले के 36 आदिवासी बहुल गांव के 40 मतदान केंद्रों पर नेटवर्क सुविधा नहीं है। ऐसे मतदान केंद्रों पर प्रशासन रनर, रिपीटर की मदद लेगा। यह गांव टिमरनी विस के हैं। नेटवर्क के लिए यहां कभी टॉवर लगाने की पहल नहीं की गई। नेटवर्क के लिए आदिवासी दूसरे गांव या फिर किसी उंचाई वाली जगह, मचान का सहारा लेते हैं। इमरजेंसी में कई बार जान जोखिम में डालते हैं। यह स्थिति आजादी के पहले से ही है।
फारेस्ट ने दी अनुमति, काम नहीं हुआ
मई में 36 नेटवर्क विहीन गांवों में बीएसएनएल का 4 जी नेटवर्क पहुंचाने के लिए वन विभाग ने टॉवर लगाने की अनुमति दी थी, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया। इन गांवों में बीएसएनएल ने मिशन 500 में 4-जी नेटवर्क टॉवर लगाने का अनुबंध किया था। बीते साल नंवबर में आयुष्मान कार्ड बनाने के दौरान नेटवर्क के लिए अफसर व ग्रामीणों को मुख्य मार्ग से 35 किमी अंदर जाने के बाद 1000 से 1500 फीट उंची पहाड़ी पर चढऩा पड़ा। यहां भी 30 से 35 मिनट के इंतजार के बाद नेटवर्क मिला। गांव में आज भी कई लोगों के आधार अपडेट नहीं हैं। रहटगांव रेंज के चंद्रखाल, गोराखाल, केलझिरी में यही हाल हैं।
मतदान के दौरान यह रहेगी व्यवस्था
नेटवर्क विहीन सभी मतदान केंद्रों पर एक-एक रनर तैनात किया जाएगा। यह बाइक से आगे जाकर नेटवर्क वाले क्षेत्र में मौजूद रिपीटर को मतदान केंद्र पर होने वाले हर घंटे के मतदान की जानकारी देगा, जिसे वे वन विभाग के किसी कर्मचारी डयूटी पर तैनात अन्य अधिकारी या वायरलेस मैसेंजर के जरिए जिला मुख्यालय तक भेजेंगे। इस कारण ऐसे मतदान केंद्रों से वोटिंग प्रतिशत की जानकारी देरी से आएगी। किसी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी भी समय पर मिलने में संदेह रहेगा।
यह गांव में नेटवर्क की पहुंच से दूर
साढ़े 7 दशक बाद भी रहटगांव, टेमागांव, बोरपानी, हंडिया, मगरधा रेंज के इन गांवों में नेटवर्क की सुविधा नहीं पहुंच सकी। बड़वानी, केलझिरी, खूमी, गोराखाल, चन्द्रखाल, गांगराढाना, रूठूबर्रा, बांसपानी, डोमरा, कायरी और मोगराढाना में नेटवर्क नहीं है। टेमागांव परिक्षेत्र के ग्राम मन्नासा, ढेगा, बोरी, महूखाल व बोथी में टॉवर नहीं है। बोरपानी परिक्षेत्र के ग्राम डेहरिया, मालेगांव, जडक़उ, बोरपानी, डेबराबंदी, लोधीढाना, कुमरूम, बोबदा, व गोहटी, और हंडिया परिक्षेत्र के ग्राम जोगा मगरधा परिक्षेत्र के ग्राम इन्द्रपुरा, लाखादेह, रातामाटी, सिंगोड़ा, बड़झिरी, बंशीपुरा, बापचा, बिटिया व चुरनी में यह सुविधा नहीं है। दरअसल निजी मोबाइल कंपनियों ने राजस्व गांवों में तो टॉवर लगाए, लेकिन वन क्षेत्रों में टॉवर में लगने वाली लागत, मेंटेनेंस और इसके बाद मिलने वाले रिटर्न के गुणा भाग के आधार पर खुद को घाटे में मानते हुए इस काम से परहेज किया।
यह आती हैं परेशानियां
- रहटगांव के बड़वानी में नेटवर्क नहीं है। आरोग्य केंद्र में कोई गंभीर मरीज आ जाए ,जिसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र टिमरनी या रहटगांव भेजना हो तो नेटवर्क के लिए सीढ़ी से भवन की छत पर चढऩा पड़ता है। सभी 36 गांवों में यही हालात हैं।
- बीते साल आयुष्मान कार्ड के पंजीयन कराए गए। अप्रेल-मई में लाड़ली बहना योजना के पंजीयन हुए। इसके अलावा केंद्र व राज्य सरकार की अन्य योजनाओं के लिए लोगों के समय-समय पर पंजीयन, ओटीपी के जरिए सत्यापन का काम चलता है। पीडीएस के राशन के लिए पीओएस मशीन के लिए भी नेटवर्क जरूरी होता है। इन कामों के लिए अफसरों व ग्रामीणों को गांवों में उंचाई वाली जगह तलाशनी पड़ती थी।
- पंचायतों में ब्रॉड बैंड की सुविधा नहीं है। इस कारण मोबाइल, इंटरनेट से जुड़े काम, रिपोर्ट भेजना, ई मेल करना, लोगों को किसी योजना का लाइव प्रसारण दिखाने जैसे कई काम नहीं हो पाते हैं।
बीएसएनएल ने फारेस्ट से अनुमति ले ली है
प्राइवेट कंपनियां इन क्षेत्रों में नेटवर्क के लिए टॉवर लगाने को राजी नहीं हुई। अब बीएसएनएल ने इन गांवों में 4 जी नेटवर्क के लिए टॉवर लगाने की फारेस्ट से अनुमति ले ली है। इस चुनाव में रनर, रिपीटर की मदद लेंगे।
- ऋषि गर्ग, कलेक्टर, हरदा
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Updated on:
21 Oct 2023 01:00 pm
Published on:
21 Oct 2023 12:52 pm
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