
चाचा और भतीजे की इस दिलचस्प चुनावी लड़ाई पर सभी की नजरें लगी हुई
टिमरनी सीट पर कांग्रेस के अभिजीत शाह ने बीजेपी के संजय शाह को महज 950 वोट से हराया। अभिजीत को 76554 वोट मिले जबकि चाचा संजय शाह को 75604 वोट मिले। विधानसभा क्रमांक 134 टिमरनी में कुल 83 प्रतिशत मतदान हुआ।
एसटी के लिए आरक्षित टिमरनी विधानसभा सीट पर एक बार फिर संजय शाह और अभिजीत शाह के बीच मुकाबला थे। चाचा और भतीजे की इस दिलचस्प चुनावी लड़ाई पर सभी की नजरें लगी। 10 साल से यह सीट भाजपा के कब्जे में है हालांकि पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी बहुत कम वोट से हारे थे।
बीजेपी प्रत्याशी विधायक संजय शाह, कांग्रेसी प्रत्याशी अभिजीत शाह के सगे चाचा हैं। सगे चाचा भतीजा की इस चुनावी जंग में परिजन भी बंट गए। इस दिलचस्प जंग के साथ ही मकड़ाई रियासत का शाही खानदान सड़क पर आकर समर्थन जुटाने में लग थे।
यहां 2008 में पहला चुनाव संजय शाह निर्दलीय के रूप में जीते थे। सन 2013 और 2018 में उन्हें भाजपा ने टिकट दिया। वे ये दोनों चुनाव भी जीते। इधर कांग्रेस प्रत्याशी अभिजीत शाह ने 2018 में पहली बार विस चुनाव लड़ा। वे केवल 2213 वोटों से हारे थे।
संजय शाह टिमरनी विधानसभा सीट से पिछली तीन बार से विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। पिछली बार उन्होंने अपने भतीजे को 2213 वोटों से पराजित किया था। संजय शाह को तब 64033 वोट मिले थे जबकि अभिजीत शाह को 61820 वोट मिले थे।
सीट का इतिहास
टिमरनी में 2013 में बीजेपी के संजय शाह ने कांग्रेस के रमेश इवने को 16507 वोटों से हराया था। संजय शाह को 62502 और रमेश को 45995 वोट मिले थे। इससे पहले 2008 में संजय शाह ने बीजेपी की टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय उतरकर कांग्रेस के मांगीलाल परते को नजदीकी मुकाबले में 3691 वोट से हरा दिया था। संजय शाह को 29868 और मांगीलाल परते को 26177 वोट मिले थे। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए।
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित टिमरनी सीट पर 1990 से अब तक कांग्रेस महज एक बार ही जीत सकी है। एक बार यहां निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली जबकि बीजेपी को पांच बार विजय प्राप्त हुई। 1990 में बीजेपी यहां से पहली बार जीती और 1993 में अपनी कामयाबी दोहराई। 1998 में कांग्रेस जीती लेकिन 2003 में फिर बीजेपी जीत गई। 2008 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में संजय शाह जीते। फिर 2013 और 2018 में वे बीजेपी प्रत्याशी के रूप में ही जीते।
सामाजिक समीकरण
टिमरनी में आदिवासी वर्ग के कोरकू और गोंड जाति के करीब 45 प्रतिशत वोटर्स हैं। राजपूत और ब्राह्मण वोटर्स भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यह सीट 2003 से पहले अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी, लेकिन बाद में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई।
मकडाई राजघराने का है प्रभाव
टिमरनी विधानसभा क्षेत्र में हरदा जिले की ही आदिवासी मकडाई रियासत का खासा प्रभाव है। संजय शाह और अभिजीत शाह मकडाई राजघराने से ही हैं। पिछली बार चाचा भतीजे में बेहद नजदीकी मुकाबला हुआ था। यही वजह है कि इस बार टिमरनी में चुनाव बेहद दिलचस्प हो गए थे।
2018 के विधानसभा चुनाव में टिमरनी में कुल 1,69,055 वोटर्स थे। इसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 88,476 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 80,579 थी। तब 1,37,732 वोटर्स ने वोट डाले थे यानि 83.9% मतदान हुआ था।
Updated on:
04 Dec 2023 06:38 pm
Published on:
01 Nov 2023 04:51 pm
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