BJP MLA Hardoi Protest: उत्तर प्रदेश में सहायता प्राप्त और परिषदीय विद्यालयों की समस्याओं को लेकर जहाँ एक ओर शिक्षक संघ लगातार सरकार और शिक्षा विभाग के समक्ष अपनी मांगें रख रहा है, वहीं अब इन मुद्दों पर राजनीतिक हस्तक्षेप भी खुलकर सामने आने लगा है। हरदोई जनपद की गोपामऊ विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक श्याम प्रकाश ने परिषदीय विद्यालयों के प्रस्तावित विलय (मर्जर) के विरोध में खुलकर आवाज उठाई है। उन्होंने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज के माध्यम से प्रदेश सरकार को चेतावनी भरे लहजे में लिखा कि अगर यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो पार्टी को आगामी चुनावों में बूथ स्तर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है।
विधायक श्याम प्रकाश ने फेसबुक पर स्पष्ट लिखा कि "जितने विद्यालय बंद होंगे, भाजपा को उतने ही बूथ पर नुकसान होगा।" उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा विद्यालयों को बंद करने का निर्णय पूरी तरह जनविरोधी, शिक्षा विरोधी और नैतिक रूप से गलत है। उन्होंने यह भी लिखा कि जिस प्रकार पूर्व में शिक्षामित्रों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था, उसी प्रकार यदि सरकारी अध्यापक भी सरकार के विरोध में आ गए तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।
प्रदेश सरकार द्वारा जारी एक आंतरिक निर्देश में कहा गया है कि जिन परिषदीय विद्यालयों में छात्र संख्या बहुत कम है या जो एक ही परिसर में संचालित हो रहे हैं, उनका आपस में विलय (मर्जर) कर दिया जाए। इसका उद्देश्य शैक्षिक गुणवत्ता, प्रबंधन में सुगमता और शिक्षक संसाधनों के कुशल उपयोग को बताया गया है।
लेकिन जमीनी हकीकत में यह फैसला ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में पढ़ने वाले वंचित तबके के छात्रों के लिए बाधा बन सकता है। जहाँ पहले बच्चे पास के विद्यालय में पढ़ने जाते थे, अब उन्हें अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी। यही कारण है कि शिक्षक संगठनों के साथ-साथ अब जनप्रतिनिधि भी इस पर अपनी नाराजगी जाहिर करने लगे हैं।
विधायक ने अपनी पोस्ट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीधे हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने लिखा "माननीय मुख्यमंत्री योगी जी कृपया इस निर्णय का संज्ञान लें, अन्यथा इसका नुकसान पार्टी को भुगतना पड़ेगा।" यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। विशेषकर शिक्षक समुदाय और ग्रामीण नागरिकों द्वारा इसे खूब सराहा जा रहा है। बहुत से शिक्षकों ने कमेंट्स में लिखा कि उन्हें पहली बार लगा कि कोई जनप्रतिनिधि वास्तव में उनकी समस्याओं को समझता है और उनके पक्ष में खड़ा है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ, प्राथमिक शिक्षक संघ, और अन्य संगठनों ने भी विधायक के इस बयान का समर्थन किया है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि विद्यालयों का विलय छात्रों को शिक्षा से वंचित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। कई विद्यालय पहले ही शिक्षकों की कमी, संसाधनों की न्यूनता और अधूरी इमारतों से जूझ रहे हैं। संघों का यह भी कहना है कि विद्यालय बंद करना या विलय करना समाधान नहीं, बल्कि मूलभूत सुविधाओं में सुधार और शिक्षकों की नियुक्ति ही सार्थक उपाय है।
विधायक श्याम प्रकाश इससे पहले भी कई बार प्रदेश सरकार की नीतियों के खिलाफ सोशल मीडिया पर बेबाक राय रखते आए हैं। चाहे बात बेसहारा पशुओं की समस्या की हो, धान खरीद नीति की हो या शिक्षा विभाग की प्रक्रियाओं की, उन्होंने कभी भी अपनी बात कहने से परहेज़ नहीं किया। यह उनकी राजनीति का अलग और मुखर रूप दिखाता है। उनकी यह ताज़ा पोस्ट न केवल एक स्थानीय मुद्दे को उजागर करती है, बल्कि यह स्पष्ट संदेश भी देती है कि यदि प्रशासनिक स्तर पर लिए गए निर्णय आम जनता की जरूरतों के खिलाफ होंगे, तो भाजपा के ही विधायक उसके विरोध में खड़े हो सकते हैं।
हरदोई समेत कई जिलों में जहाँ इस निर्णय के तहत कुछ विद्यालयों को चिन्हित किया गया है, वहाँ के अभिभावकों में भी चिंता की लहर है। माता-पिता का कहना है कि अगर पास का विद्यालय बंद हो गया, तो वे अपने बच्चों को दूर भेजने में असमर्थ होंगे। इससे बालिका शिक्षा पर भी गहरा असर पड़ेगा, क्योंकि सुरक्षा और संसाधनों की कमी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में माता-पिता बेटियों को दूर नहीं भेजना चाहते।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या शिक्षा विभाग विधायक श्याम प्रकाश की इस पोस्ट और विरोध को गंभीरता से लेते हैं या नहीं। शिक्षक संगठनों का भी कहना है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो वे जल्द ही राज्यव्यापी आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे।
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Published on:
06 Jul 2025 08:52 am