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नरेश अग्रवाल के गढ़ में भाजपा को बड़ा झटका, 13 दिन बाद ही सपा नेता ने फिर संभाली कुर्सी

समाजवादी पार्टी की जिला पंचायत अध्यक्ष मीरा गुप्ता को High Court से मिली राहत, भाजपा ने छिनवाई थी कुर्सी

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naresh agarwal

हरदोई. 13 दिन पहले सपा की जिला पंचायत अध्यक्ष (Jila Panchayat Adhyaksh) मीरा गुप्ता के सभी अधिकार शासन ने सीज कर दिए गए थे, जिसके पीछे का कारण उनके द्वारा सरकारी काम में की गयी वित्तीय अनियमित्ताओं को बताया गया था। जबकि सपा का आरोप था कि सत्ता की हनक में भाजपा के नेताओं ने उन पर कार्यवाही करवा कर उनके अधिकारों का हनन किया है।

Mira Gupta ने कोर्ट की शरण में जाकर अपना पक्ष रखा, जिसके बाद अदालत ने इस मामले पर स्टे दे दिया। आज 13 दिनों बाद जिला पंचायत अध्यक्ष मीरा गुप्ता जिला पंचायत कार्यालय पहुंचीं और अपनी कुर्सी संभाली। हरदोई के लोग इसे सत्ता पक्ष लगे बड़े झटके के तौर पर देख रहे हैं।

सपाइयों ने मनाया जश्न
सपा समर्थित अध्यक्ष की वापसी की खुशी में आज सपाइयों ने नारेबाजी कर जिला पंचायत कार्यालय में जमकर जश्न मनाया और अध्यक्ष मीरा गुप्ता को बधाइयां दीं। सपाइयों ने समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद Naresh Agarwal जिंदाबाद के नारे भी खूब लगाए।

13 दिन में मीरा गुप्ता की दमदार वापसी
जिला पंचायत अध्यक्ष मीरा गुप्ता ने मामले की जानकारी देते हुए भाजपा नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों को गलत बताया और अदालत के इस फैसले की सराहना करते हुए धन्यवाद दिया। ध्यान रहे कि वर्षो बाद सूबे की सत्ता में वापस आई भाजपा ने जिला पंचायत में सत्ता के सहारे 16 साल बाद इंट्री पाई थी। शिकायतों पर शासन ने जिला पंचायत अध्यक्ष मीरा गुप्ता के अधिकार निलंबित कर तीन सदस्यीय संचालन कमेटी बनाई थी। संचालन समिति के तीनों जिला पंचायत सदस्य भाजपा के थे। करीब 13 दिन पहले भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने तीनों सदस्यों के साथ जिला पंचायत पहुंचकर नारेबाजी करते हुए जमकर सत्ता के रंग दिखाएं थे। मगर 13 दिनों में ही सत्ता के रंग भंग हो गए। मामले को लेकर उच्च न्यायालय की शरण में गईं सपा की जिला पंचायत अध्यक्ष मीरा गुप्ता को उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश मिल गया।

फेल हुई भाजपा की रणनीति
कोर्ट से स्टे के बाद भाजपा के खेमे में एक बार फिर से नई रणनीति को लेकर हलचल शुरू हो गई हैं। बताते चले कि भाजपा ने जिला पंचायत के अध्यक्ष पद से सपा समर्थित मीरा को बेदखल करने के अविश्वास प्रस्ताव लाने के बजाय शिकायत का रास्ता अपनाया था और अपनी सत्ता में अपनी ही शिकायतों पर सपा के जिला पंचायत अध्यक्ष के अधिकार निलंबित कराने के साथ संचालन समिति को जिला पंचायत में बैठाने में कामयाबी पाई थी।