
हरदोई का मतलब उस धरती से है, जहां भगवान विष्णु ने दो बार अवतार लिया
हरदोई. मैं हरदोई हूं। मुझ पर आरोप है कि मैं हरिद्रोही हूं। वे लोग नासमझ हैं, जो हरदोई (Hardoi) का संधि विच्छेद हरिद्रोही के रूप में करते हैं। दरअसल, हरदोई का मतलब उस धरती से है, जहां भगवान विष्णु ने दो बार अवतार लिया। यानि हरिदोई। पौराणिक कथाओं में जिक्र है कि एक बार भक्त प्रहलाद की हिरण्यकश्यप से रक्षा के लिए भगवान विष्णु नरसिंह के रूप में अवतरित हुए, तो वामन अवतार में उन्होंने राजा बलि से दान में मिली तीन पग जमीन में पूरी पृथ्वी को नाप लिया था। होलिका दहन की परम्परा भी हरदोई से ही शुरू हुई थी। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी हरदोई का काफी महत्वपूर्ण स्थान है। हमारी धरती पर मुगल और अफगानों के बीच कई युद्ध हुए। बिलग्राम और सांडी शहर के मध्य हुए युद्ध में शेरशाह सूरी ने हुमायूं को परास्त किया था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान माधौगढ़ रुइया गढ़ी के नरपति सिंह (Narpati Singh) ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर हरदोई में आजादी की अलख जलायी थी।
हरदोई में कई धार्मिक स्थल
हरदोई में कई धार्मिक स्थल हैं, जहां पर दिन श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ लगती है। इनमें शहर का बाबा मंदिर, श्रवण देवी का मंदिर, सकाहा शंकर मंदिर, मल्लावां का सुनाथीर नाथ मंदिर, हत्याहरण तीर्थ (Hatyaharan Tirth) और धोबिया आश्रम प्रसिद्ध हैं। इन स्थलों पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा हरदोई जिले की पूर्वी सीमा पर गोमती नदी कल-कलकर बहती है तो उत्तर-पश्चिम में गंगा नदी लोगों की प्यास बुझाती है। इसके अलावा जिले में रामगंगा, गरुणगंगा (गर्रा), सुखेता, सई, घरेहरा, नीलम आदि नदियां भूमि को उपजाऊ बनाती हैं।
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ऐसे पहुंचे हरदोई
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 110 किलोमीटर दूर पश्चिम में हरदोई स्थित है। यहां आने के लिए हर वक्त रेल यातायात के साथ ही उत्तर प्रदेश परिवहन की बसें सुबह पांच बजे से देर शाम आठ बजे तक हर 15 मिनट में उपलब्ध हैं। हरदोई और लखनऊ के बीच पहुंचने में करीब डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है। संडीला, बालामऊ, हरदोई, फर्रुखाबाद और माधौगंज यहां के प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं।
Updated on:
01 Sept 2019 01:05 pm
Published on:
01 Sept 2019 01:01 pm
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