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Air Pollution Health Risk: दिल्ली में 2 लाख लोग बीमार! सरकार के आंकड़े चौंकाने वाले, ऐसे लोगों में दिखा ज्यादा खतरा

Air Pollution Health Risk: दिल्ली में 2 लाख से ज्यादा ARI केस! जानें क्यों प्रदूषण डायबिटीज और हार्ट मरीजों के लिए खतरनाक है, और कैसे छोटे कदम आपकी सेहत बचा सकते हैं।

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भारत

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Dimple Yadav

Dec 04, 2025

Air Pollution Health Risk

Air Pollution Health Risk (Photo- gemini ai)

Air Pollution Health Risk: यह कहानी सिर्फ आंकड़ों की नहीं, हमारी रोज की सांसों की है। दिल्ली में 2022 से 2024 के बीच 2 लाख से ज्यादा लोग तेज सांस की बीमारी (ARI) लेकर अस्पताल पहुंचे। यह कोई अचानक बढ़ा हुआ ट्रेंड नहीं है। हर बार जब हवा जहरीली होती है, मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। यही हाल मुंबई और चेन्नई में भी देखा जा रहा है।

सबसे ज्यादा परेशानी शुगर (डायबिटीज) और हार्ट के मरीजों को हो रही है, क्योंकि उनका शरीर पहले से ही ज्यादा मेहनत कर रहा होता है। ऐसे में जहरीली हवा उन पर दोहरी मार करती है। दिल्ली के आंकड़े साफ बता रहे हैं।

सरकारी डेटा के अनुसार

2022: 67,054 ARI केस

2023: 69,293 केस

2024: 68,411 केस

2024 में अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज भी 10,800 से ऊपर पहुंच गए। इस साल तो हाल और खराब रहा। 14 जगहों पर AQI 401 के ऊपर गया, जो ‘severe’ कैटेगरी है। ऐसी हवा कुछ ही घंटों में फेफड़ों पर असर डाल देती है। डॉक्टर बताते हैं कि असली संख्या इससे कहीं ज्यादा है, क्योंकि छोटे क्लिनिक और निजी डॉक्टरों के पास जाने वाले मरीज रिकॉर्ड में आते ही नहीं।

प्रदूषण शरीर को कई तरफ से चोट पहुंचाता है

हवा में PM2.5, PM10, नाइट्रोजन ऑक्साइड, ओजोन, सल्फर डाइऑक्साइड और सैकड़ों तरह के केमिकल होते हैं। ये कण फेफड़ों के अंदर गहराई तक जाकर खून में मिल जाते हैं। इसी वजह से एक ही हवा दो लोगों पर अलग असर डालती है। जिसकी सेहत मजबूत है, उसे हल्की जलन होगी। लेकिन जिसे पहले से बीमारी है, उसे सांस लेने में मुश्किल हो सकती है।

डायबिटीज वाले लोग ज्यादा क्यों प्रभावित होते हैं?

डायबिटीज में शरीर पहले से ही उच्च स्तर का तनाव (stress) और सूजन (inflammation) झेल रहा होता है। प्रदूषण इसे और बढ़ा देता है। इससे खून की नलियों में सिकुड़न आती है, फेफड़ों की टिश्यू धीरे ठीक होते हैं। इंफेक्शन जल्दी पकड़ लेता है। शुगर लेवल अचानक बढ़ सकता है। इस कारण कई मरीज बताते हैं कि प्रदूषण वाले दिनों में उन्हें जल्दी थकावट, खांसी, सांस फूलना और शुगर में उतार-चढ़ाव महसूस होता है। हार्ट के मरीजों पर इसका असर मिनटों में दिखता है

पॉल्यूटेड हवा हार्ट की नलियों में जलन पैदा करती है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है, दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, धड़कन अनियमित हो सकती है। AQI 300 के ऊपर जाते ही हार्ट मरीजों में छाती भारी लगना, सांस फूलना या चक्कर आना तुरंत बढ़ जाता है।

डॉक्टर क्या सलाह देते हैं?

सुबह-सुबह बाहर न जाएं, धुंध और रात के प्रदूषक सुबह ज्यादा फंसे रहते हैं। 15 मिनट बाहर रहने के बाद 5 मिनट अंदर आराम दें। खिड़की सिर्फ 1 इंच खोलें, दिन में 3 बार 10 मिनट। गले को गर्म रखें, ठंडी हवा से होने वाली ऐंठन कम होगी।Indoor exercise करें, धीमी योग, स्टेशनरी साइकल, स्टेप वॉक इत्यादि।

इन लक्षणों को हल्के में न लें

अगर प्रदूषण ज्यादा है, तो इन छोटे-छोटे संकेतों पर तुरंत ध्यान दें जल्दी सांस फूलना, 3 दिन से ज्यादा खांसी, दोपहर तक थकावट, सुबह सिर भारी लगना, बिना वजह शुगर बढ़ना, रूटीन काम में छाती भारी लगना। डॉक्टर कहते हैं कि इस मौसम में दवाई छोड़ना खतरा बढ़ाता है। हार्ट या अस्थमा के मरीज अपनी दवाइयां और इनहेलर हमेशा साथ रखें।