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आर्थराइटिस:जोड़ों में विषैले तत्व जमने होने की समस्या

locationजयपुरPublished: Oct 12, 2019 08:39:32 pm

Submitted by:

Hemant Pandey

आ र्थराइटिस शरीर के 15 मुख्य अंगों को नुकसान पहुंचाता है। हड्डियों में ऑस्टियोपोरेसिस होता है। हड्डियां कमजोर होती हैं। फ्रैक्चर का खतरा बढ़ता है। मसल्स कमजोर होता है। सेल्स डैमेज होता है। आंखों में रूखापन, दर्द, लालपन और धुंधला, फेफड़ों के फ्लूड जमा होना-निमोनिया, हृदय में सूजन और फ्लूड भरना, हाथ की कलाइयों पर गांठें बनना, खून की कमी होना, खून की नलियों में जकडऩ से हार्ट अटैक व स्ट्रोक की आशंका बढऩा आदि समस्याएं होती हैं।

आर्थराइटिस:जोड़ों में विषैले तत्व जमने होने की समस्या

आर्थराइटिस:जोड़ों में विषैले तत्व जमने होने की समस्या

युवाओं में स्टेरॉइड्स और जंक फूड वजह
भारत में आर्थराइटिस के मरीजों की संख्या करीब 15 करोड़ है। आर्थराइटिस के करीब 100 प्रकार हैं लेकिन इनमें मुख्य रूप आस्ट्रियो आर्थराइटिस, रूमेटाइड और गाऊट आर्थराइटिस की समस्या सबसे अधिक देखने को मिलती है। युवाओं में आर्थराइटिस की समस्या स्टेरॉइड्स, कृत्रिम सप्लीमेंट और जंक फूड ज्यादा खाने के कारण हो रही है। इसके अलावा गलत तरीके से एक्सरसाइज भी बड़ी वजह है। इनसे जोड़ों में ब्लड सर्कुलेशन कम होने लगता है। जोड़ सूखने लगते, आवाजें आती और डेड हो जाते हैं।
खानपान
मौसमी फल जिनमें सिट्रस एसिड होता है जैसे नींबू, संतरा, मौसमी, चकोतरा आदि खाने चाहिए। ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट्स वाला पॉलीफिनाल्स होता है। इससे गठिया का असर घटता है। सुबह नाश्ते में दलिया खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है। लहसुन की 5-6 कलिया रोजाना खाने से गठिया में होने वाली सूजन कम होती है। आर्थराइटिस के रोगी में खून की कमी होती है इसलिए पालक, चुकंदर आदि आयरन रिच डाइट लेनी चाहिए।
ऐसे जमा होते हैं टॉक्सिन :
डेयरी उत्पाद, जंक या फास्ट फूड, फ्राइड व रिफाइंड फूड, नॉनवेज और अल्कोहल नुकसान पहुंचाते हैं। इनसे पाचन खराब होता जिससे टॉक्सिक तत्व कोलन (बड़ी आंत) में सड़ते और फिर खून के जरिए शरीर में फैल जाते हैं। ये विषैले तत्व जोड़ों में जमा होते हैं। नियमित एक्सरसाइज से ये टॉक्सिन जमा नहीं होते।
ये पौष्टिक तत्व जरूरी
आर्थराइटिस में विटामिन्स और मिनरल्स जरूरी कैल्शियम, विटामिन डी, विटामिन सी, विटामिन बी12, मैग्नीशियम की जरूरत रहती है। कैल्शियम व विटामिन डी3 से हड्डियां मजबूत होतीं जबकि विटामिन सी हड्डियों में कैल्शियम को सोखने की क्षमता बढ़ाता है। विटामिन बी12 और प्रोटीन से मजबूती मिलती है।
दवा के साथ फिजियोथैरेपी लें
आर्थराइटिस की समस्या होने पर शुरुआती स्टेज में दवाइयों के साथ फिजियोथैरेपी की भी जरूरत पड़ती है। इससे मरीज को राहत जल्द मिलती है। लेकिन एडवांस स्टेज होने पर मरीज को चलने-फिरने और दैनिक कार्यों में परेशानी हो रही है तो सर्जरी की जरूरत होती है। यदि मरीज के जोड़ों में सूजन है तो एक्सरसाइज न करे लेकिन सिकाई कर सकते हैं। इससे दर्द में आराम मिल सकता है। मोशन एक्सरसाइज से पहले स्ट्रेचिंग और वार्मअप जरूरी है। एक्सरसाइज से जोड़ों में दर्द हो तो वहां बर्फ की सिकाई करें। हैवी एक्सरसाइज से बचें।
बचाव
जोड़ों के कमजोर होने का बड़ा कारण उठने-बैठने का सही तरीका न आना है। ज्यादातर लोग आलथी-पालथी मारकर बैठते हैं। इससे घुटनों पर जोर पड़ता है। आर्थराइटिस से बचने के लिए आप पैर मौडकऱ बैठने से बचें। भारतीय शौचालयों का उपयोग कम करें। कोई भी नशा करने से बचें।
डॉ. अखिलेश यादव, सीनियर आर्थाेपेडिक सर्जन, गाजियाबाद
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