
Diet Plan
अस्थमा (दमा) एक श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है। इसमें सांस नली सिकुड़ जाती है। सांस लेने में परेशानी होती है। गर्मी में उडऩे वाली धूल और गर्म हवाओं से भी अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ती है। यह दो प्रकार का होता है। एक एलर्जी से और दूसरा मौसम के प्रभाव या आनुवांशिक कारणों से होता है।
इसके प्रमुख कारण
घर की धूल, वायु प्रदूषण, जानवरों का फर, सुगंधित सौन्दर्य प्रसाधन, ज्यादा सर्दी, फेफड़ों से जुड़ी कोई बीमारी जैसे ब्रोंकाइटिस और साइनसाइटिस का इंफेक्शन, धूम्रपान, अल्कोहल, कुछ प्रकार की एलर्जी, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव और कुछ दवाइयां आदि से होता है। जिनमें एलर्जी कारण नहीं होता है उनमें तनाव, डर, जंक फूड, ज्यादा नमक और आनुवांशिक कारण भी जिम्मेदार हो सकता है। साथ ही वायरल इंफेक्शन, मोटापे से भी अस्थमा हो सकता है। पहले यह बीमार बुजुर्गों में अधिक होती थी। अब बच्चों के साथ युवाओं में भी अस्थमा अधिक देखने को मिल रहा है।
संभावित लक्षण
सांस लेने में तकलीफ, छाती में भारीपन, सुबह-शाम छींके आना, अचानक खांसी, छाती में जकडऩ, सांस लेते समय घरघराहट जैसी आवाज, तेज सांस लेने पर पसीने के साथ बेचैनी महसूस होना, सिर भारी रहना, जल्दी-जल्दी सांस लेने पर थकावट महसूस होना आदि।
जांचें और इलाज
स्पाइरोमैट्री मशीन से इसकी जांच 15-20 मिनट में हो जाती है। शुरुआती अवस्था में पता नहीं चलता है तो फेनो टेस्ट करते हैं। इसका इलाज कुछ दवाइयां और इन्हेलर थैरेपी से किया जाता है। इन्हेलर काफी उपयोगी थैरेपी है। कम दवा भी इसमें ज्यादा असर करती है।
इनका रखें ध्यान
जिस चीज से एलर्जी है, उससे बचाव करें। एलर्जी टेस्ट से इसका पता चल जाता है। ठंडी, फ्रिज वाली चीजें न खाएं। अगर जानवरों के फर से हो रहा है तो घर में जानवर न पालें। एसी-कूलर में सोने से बचें। नियमित फेफड़ों से जुड़े व्यायाम करें। जंक फूड, स्टोर की गई और चिकनाई वाले फूड न खाएं। फेफड़ों से जुड़े रोगों में प्रोटीन वाली चीजें जैसे दालें, सोयाबिन, मशरूम, अंडा और जो लोग नॉनवेज खाते हैं वे कम मिर्च-मसाले वाला ले सकते हैं। अगर बच्चे को अस्थमा है, तो स्कूल में भी बताएं।
डॉ. एम.के. गुप्ता, एलर्जी एवं श्वसन रोग विशेषज्ञ, जयपुर
Published on:
05 May 2020 08:45 pm
बड़ी खबरें
View Allस्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
