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अब सिर्फ 60 सेकंड में कैंसर का भी पता लगाएगा बायोसेंसर रूम

चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में जल्द क्रांतिकारी बदलाव संभव है। मरीज की नब्ज पकडऩे से पहले ही डॉक्टरों को शरीर की समस्त बीमारियों के बारे में मालूम होगा।

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चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में जल्द क्रांतिकारी बदलाव संभव है। मरीज की नब्ज पकडऩे से पहले ही डॉक्टरों को शरीर की समस्त बीमारियों के बारे में मालूम होगा। यानी खून की जांच, सैंपल देने और पैथोलॉजी रिपोर्ट का इंतजार करने का झंझट खत्म होगा। ऐसा मुमकिन हुआ है आइआइटी और डिफेंस रिसर्च एंड डवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के संयुक्त आविष्कार के कारण।

नई तकनीक को नाम दिया गया है ऑप्टिकल टेक्सिस माइक्रोस्कोप (ओटीएम)। इस माइक्रोस्कोप से शरीर के हर अंग की पूरी जानकारी 60 सेकंड में मिल जाएगी। डॉक्टरों से पहली मुलाकात के दौरान ही मरीज के सभी अंगों की रिपोर्ट सामने होगी। अलबत्ता अभी इस तकनीक का प्रयोग इंसानों पर नहीं किया गया है, लेकिन दावा है कि अगले चंद वर्षों में देश के बड़े अस्पतालों में यह सुविधा मुहैया होगी।

हाईटेक सेंसर से स्कैन

ऑप्टिक्स एंड डवलपमेंट विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में आइआइटी-दिल्ली के वैज्ञानिक प्रो. सेंथल कुमारन ने बताया कि ओटीएम में मरीज को एक कमरे से गुजरना होगा। कमरे में चारों तरफ ऑप्टिक्स की मदद से बायोलॉजिकल ऐप्लिकेशन पर आधारित हाईटेक सेंसर बता देगा कि शरीर के किस-किस हिस्से में दिक्कत है।

कैंसर में तुरंत फायदा

कानपुर के लाला लाजपत राय अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. निर्लेश त्रिपाठी ने कहा कि इस तकनीक से डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर को शुरुआती चरण में पकडऩा आसान होगा।

ऐसा कपड़ा बनेगा, जिसे पहनते ही बनेंगे ‘मि. इंडिया’

फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में एक घड़ी को पहनते ही अनिल कपूर अदृश्य हो जाते थे। अब यह कहानी हकीकत बनने वाली है। सेमिनार में ऑप्टिक्स वैज्ञानिक प्रो. डी. रॉय चौधरी ने बताया कि ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी की मदद से टेक्सटाइल क्षेत्र में अनुसंधान जारी है। भारत समेत दुनिया के चुनिंदा वैज्ञानिकों की टीम ऐसा कपड़ा बनाने के प्रयास में है, जिसे पहनने के बाद इंसान को सामान्य आंखों से देखना संभव नहीं होगा। शुरुआत में इसे सेना की जरूरत के अनुसार बनाने की योजना है।