20-30 वर्ष की उम्र में इसके सबसे ज्यादा मरीज आते हैं। हार्मोनल बदलाव के कारण ही इस उम्र में आत्महत्या के लक्षण अधिक दिखते हैं। अगर 40 के बाद इसके लक्षण दिखते हैं तो मस्तिष्क में बदलाव के कारण हो सकते हैं। अगर किसी मरीज में मैनिया डिप्रेशन जैसे लक्षण दो सप्ताह से अधिक है तो तत्काल मनोचिकित्सक को दिखाना चाहिए। इसमें जितना जल्दी इलाज शुरू करते हैं। लाभ उतना जल्दी मिलता है।
आइपीएसआर थैरेपी
से ज्यादा आराम होता
यह थाइरॉइड, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा की तरह हमेशा रहने वाली बीमारी है लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इंटरपर्सन सोशल रिदम थैरेपी (आइपीएसआरटी) उपयोगी है। इसमें मरीज की दिनचर्या ऐसी रखते हैं जिसमें न तो तनाव हो व न ही ज्यादा उतार-चढ़ाव। साथ में मरीज को नियमित दवाइयां लेने की सलाह देते हैं। दवाओं से ‘मूड स्टेबिलाइजर’ या मस्तिष्क की झिल्ली (मेम्ब्रेन) को नियंत्रित किया जाता, इससे डोपमाइन हार्मोन संतुलित रहता है। तनाव और नशे से इसके दौरे बढ़ जाते हैं। इनसे बचें। 7-8 घंटे की अच्छी नींद भी लें।
आइपीएसआर थैरेपी
से ज्यादा आराम होता
यह थाइरॉइड, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा की तरह हमेशा रहने वाली बीमारी है लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इंटरपर्सन सोशल रिदम थैरेपी (आइपीएसआरटी) उपयोगी है। इसमें मरीज की दिनचर्या ऐसी रखते हैं जिसमें न तो तनाव हो व न ही ज्यादा उतार-चढ़ाव। साथ में मरीज को नियमित दवाइयां लेने की सलाह देते हैं। दवाओं से ‘मूड स्टेबिलाइजर’ या मस्तिष्क की झिल्ली (मेम्ब्रेन) को नियंत्रित किया जाता, इससे डोपमाइन हार्मोन संतुलित रहता है। तनाव और नशे से इसके दौरे बढ़ जाते हैं। इनसे बचें। 7-8 घंटे की अच्छी नींद भी लें।