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Cancer Alert: बच्चे में दिखें ये पांच लक्षण तो डॉक्टर से मिलिए

Cancer Alert: बच्चों में कैंसर के लक्षण पहचानना जरूरी है। ऐसे में यदि आपके बच्चे में ये पांच लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और सही इलाज करवाएं।

भारतFeb 15, 2025 / 11:27 am

Puneet Sharma

Cancer Alert: If these five symptoms are seen in the child then consult a doctor

Cancer Alert: If these five symptoms are seen in the child then consult a doctor

Cancer Alert: कैंसर जैसी बीमारी की कोई उम्र फिक्स नहीं हो सकती और ये किसी भी उम्र में आपको प्रभावित कर सकती है। लेकिन अब इसका खतरा बच्चों में भी देखने को मिलता जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों से बच्चों में कैंसर के मामले आने के कारण इससे स्वास्थ्य विशेषज्ञ और माता-पिता दोनों ही गहरी चिंता में है। हालांकि कैंसर (Cancer Alert) के कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए माता-पिता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इससे जुड़े कुछ खास तथ्यों को समझें और अपने बच्चों को इससे बचाने के उपाय करें।

बच्चों में कैंसर के प्रकार : Types of cancer in children: Cancer Alert

बच्चों में कैंसर (Cancer Alert) के कई प्रकार हो सकते हैं, जो उनके विकास और स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। यहां कुछ प्रमुख प्रकार के कैंसर दिए गए हैं, जो बच्चों में सामान्य रूप से पाए जाते हैं।
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ल्यूकेमिया(Leukemia): यह ब्लड और बोन मैरो में होने वाला कैंसर है और बच्चों में सबसे आम कैंसर का प्रकार है। ल्यूकेमिया का इलाज समय रहते किया जाए तो बच्चों की ज़िंदगी बचाई जा सकती है।
ब्रेन कैंसर(Brain Cancer): बच्चों में मस्तिष्क कैंसर भी एक सामान्य समस्या बन रही है। इसका प्रभाव बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है।

न्यूरोब्लास्टोमा(Neuroblastoma): यह एक प्रकार का कैंसर है, जो तंत्रिका तंत्र के अंगों में विकसित होता है और छोटे बच्चों में पाया जाता है।
रिटिनोब्लास्टोमा(Retinoblastoma): यह कैंसर आंखों में होता है और बच्चों में अंधेपन का कारण बन सकता है।

लिम्फोमा (Lymphoma): यह लिम्फ नोड्स में होने वाला कैंसर है और बच्चों में इसके मामलों में भी वृद्धि हो रही है।

बच्चों में कैंसर के कारण

कैंसर का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे कारक हैं जो बच्चों में कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं:

जेनेटिक(Genetic): कुछ बच्चों को उनके माता-पिता से जीन के माध्यम से कैंसर होने का खतरा हो सकता है। यदि परिवार में किसी को कैंसर हो चुका है, तो बच्चे में भी इसका जोखिम हो सकता है।
एनवायरनमेंट एलिमेंट्स: प्रदूषण, हानिकारक रसायन, और रेडिएशन भी बच्चों में कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। बच्चों की इम्यून सिस्टम भी कमज़ोर होती है, जिससे वे अधिक संवेदनशील होते हैं।

स्मोकिंग और शराब: गर्भावस्था के दौरान यदि मां धूम्रपान या शराब का सेवन करती है, तो यह बच्चे में कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
वायरल इन्फेक्शन: कुछ प्रकार के वायरस, जैसे एचपीवी (HPV), हेपेटाइटिस बी (Hepatitis B), बच्चों में कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

बच्चों में कैंसर के लक्षण

कैंसर (Cancer Alert) के लक्षण बच्चों में भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण हैं, जिन्हें पहचान कर जल्दी से डॉक्टर से संपर्क किया जा सकता है।
  • यदि बच्चा लगातार थका हुआ महसूस करता है, तो यह कैंसर का संकेत हो सकता है।
  • बिना किसी कारण के तेजी से वजन घटना भी कैंसर का लक्षण हो सकता है।
  • छोटी सी चोट लगने पर अत्यधिक खून बहना या त्वचा का नीला पड़ना, ब्लड कैंसर का संकेत हो सकता है।
  • शरीर के किसी भी हिस्से में गांठ या सूजन का महसूस होना कैंसर का संकेत हो सकता है।
  • लंबे समय तक बुखार रहना और हड्डियों में दर्द होना बच्चों में कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।

बच्चों में कैंसर से बचाव के उपाय

हालांकि बच्चों में कैंसर (Cancer Alert) से बचाव के लिए कोई पूर्ण तरीका नहीं है, फिर भी कुछ कदम ऐसे हैं, जिन्हें अपनाकर कैंसर के जोखिम को कम किया जा सकता है।
  • बच्चों को स्वस्थ और पोषक तत्वों से भरपूर आहार दें, जैसे फल, सब्जियाँ, और पूरे अनाज। इससे उनके इम्यून सिस्टम को मजबूत रखा जा सकता है।
  • बच्चों को धूम्रपान और प्रदूषण से दूर रखें, क्योंकि यह कैंसर का कारण बन सकते हैं।
  • बच्चों को हेपेटाइटिस बी और एचपीवी (HPV) जैसे कैंसर-रोधी टीके लगवाएं। ये टीके कैंसर के कुछ प्रकारों से बचाव में मदद कर सकते हैं।
  • बच्चों को नियमित रूप से चिकित्सा जांच करानी चाहिए, ताकि कैंसर या अन्य गंभीर बीमारियों का जल्दी पता चल सके।
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डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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