Chandipura Virus : गुजरात में चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिससे लोग दहशत में हैं। यह वायरस खासतौर पर बच्चों को प्रभावित करता है और इसके कारण कई मौतें हो चुकी हैं। आइए जानते हैं इस वायरस के बारे में विस्तार से।
चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है, जो मुख्य रूप से मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खियों के माध्यम से फैलता है। यह वायरस 1965 में पहली बार महाराष्ट्र के नागपुर के चांदीपुर में पहचाना गया था, इसलिए इसका नाम चांदीपुरा वायरस रखा गया। यह वायरस मच्छरों, मक्खियों और कीट-पतंगों द्वारा फैलता है और अब गुजरात के 12 जिलों में फैल चुका है।
यह वायरस खासतौर पर 15 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। इस उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा मृत्यु दर देखी गई है। चांदीपुरा वायरस का इलाज अभी तक नहीं मिला है और न ही इसकी कोई वैक्सीन है।
चांदीपुरा वायरस से संक्रमित व्यक्ति को सबसे पहले फ्लू जैसे लक्षण होते हैं। इसमें बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द और ऐंठन शामिल हैं। इसके बाद एन्सेफलाइटिस हो सकता है, जिससे दिमाग में सूजन आ जाती है। कुछ मरीजों में सांस की समस्या और खून की कमी जैसे लक्षण भी देखे जा चुके हैं।
चांदीपुरा वायरस की चपेट में आने से 100 में से 70 बच्चों की मौत हो सकती है। इसमें मृत्यु दर 56 से 70 फीसदी तक है। यह वायरस ब्रेन पर बहुत जल्दी असर डालता है और बच्चे को कोमा में डाल सकता है। इससे 24 से 48 घंटे के अंदर मौत हो सकती है।
चांदीपुरा वायरस से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। मक्खियों और मच्छरों से बचने के लिए फुल स्लीव्स के कपड़े पहनें। जैसे ही लक्षण दिखाई दें, तुरंत अस्पताल जाएं।
चांदीपुरा वायरस का कोई खास एंटीवायरल इलाज या वैक्सीन नहीं है। इस वायरस से बचाव और सूझबूझ ही एकमात्र उपाय है। शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी है, खासकर उल्टी होने की स्थिति में। बुखार कम करने के लिए दवाएं ले सकते हैं। गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को बिना देरी किए अस्पताल में भर्ती कराना बहुत जरूरी है।
चांदीपुरा वायरस से बचाव और इसके लक्षणों को पहचानना ही इसका सबसे बड़ा इलाज है। सतर्क रहें और स्वच्छता का ध्यान रखें।
Published on:
19 Jul 2024 02:38 pm