
Chandra Grahan Impact on Health (Image: Freepik)
Chandra Grahan Impact on Health: 7-8 सितंबर की रात आसमान में एक अनोखा नजारा दिखाई देगा। भारतवासी इस दौरान करीब 82 मिनट तक पूर्ण चंद्र ग्रहण यानी ब्लड मून देखेंगे। यह घटना पूरी तरह से खगोलीय है लेकिन हर बार की तरह इस बार भी लोगों के मन में सवाल उठते हैं कि क्या इसका हमारी सेहत पर कोई असर पड़ता है? आइए जानते हैं विज्ञान और परंपरा की नजर से चंद्र ग्रहण के प्रभाव के बारे में।
सूर्य ग्रहण की तरह चंद्र ग्रहण देखने से आंखों या शरीर को कोई कोई नुकसान नहीं होगा। इसे नग्न आंखों से सुरक्षित तरीके से देखा जा सकता है। चांद का लाल दिखना केवल पृथ्वी के वातावरण से गुजरकर आने वाली सूर्य की किरणों का असर होता है। इसका हमारे शरीर पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता।
कई परंपराओं में ग्रहण के दौरान खाना खाने से मना किया जाता है। कहा जाता है कि इस समय भोजन अशुद्ध हो जाता है। लेकिन विज्ञान साफ कहता है कि ग्रहण का खाने-पीने की गुणवत्ता या पोषण पर कोई असर नहीं पड़ता है। चाहे खाना ग्रहण से पहले बना हो या उसी दौरान, उसका स्वाद और पोषण वैसा ही रहता है।
शरीर पर सीधा असर भले न हो, लेकिन कई लोग मानसिक रूप से बदलाव महसूस कर सकते हैं। दुर्लभ खगोलीय घटनाएं लोगों की नींद, मूड और मन की शांति पर असर डाल सकती हैं। कुछ लोगों को बेचैनी, जागने में कठिनाई या अनजाना डर भी हो सकता है। यह असर ज्यादातर मानसिक होता है, शरीर पर नहीं।
ग्रहण को लेकर सबसे ज्यादा मान्यताएं गर्भवती महिलाओं से जुड़ी होती हैं। परंपरा के अनुसार उन्हें घर से बाहर न निकलने, तेज वस्तुओं का इस्तेमाल न करने और ग्रहण देखने से बचने की सलाह दी जाती है। जबकि विज्ञान कहता है कि गर्भावस्था पर चंद्र ग्रहण का कोई असर नहीं होता। फिर भी, गर्भवती महिलाएं अपनी सुविधा और मानसिक शांति के लिए चाहें तो परंपराओं का पालन कर सकती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण का कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन इसकी लोककथाओं और मान्यताओं का सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। कुछ लोग इसे ऊर्जा का विराम मानते हैं तो कुछ के लिए यह प्रकाश और अंधकार के बीच संतुलन का प्रतीक है। ये मान्यताएं हमारे अनुभव और भावनाओं को प्रभावित करती हैं।
चंद्र ग्रहण को लेकर चिंता करने की बजाय इसे प्रकृति की खूबसूरती मानकर देखना सबसे अच्छा तरीका है। बस रोज की तरह समय पर खाना खाएं, पानी पिएं और पर्याप्त नींद लें। अगर बेचैनी महसूस हो तो ध्यान, प्रार्थना या डायरी लिखने जैसी गतिविधियां मददगार हो सकती हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख वैज्ञानिक तथ्यों और परंपराओं पर आधारित जानकारी देने के लिए लिखा गया है। इसे किसी भी तरह से चिकित्सीय या मेडिकल सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। अगर आपको किसी भी प्रकार की सेहत या स्वास्थ्य संबंधी समस्या है तो डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लें।
Published on:
07 Sept 2025 11:14 am
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