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चीन ने बनाया कोरोना का नया खतरनाक वायरस, 100% मौत निश्चित

चीन के वैज्ञानिक कोरोना के एक नए म्यूटेंट वायरस पर प्रयोग कर रहे हैं, जो "मानवीकृत" चूहों में 100% मौत का कारण बन सकता है। यह अध्ययन अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है।

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China Identify New Covid Variant with High Mortality Rate in Mice

चीन के वैज्ञानिक एक ऐसे कोविड-19 के बदले हुए रूप का अध्ययन कर रहे हैं, जो "मानवीकृत" चूहों में 100 फीसदी मृत्यु दर का कारण बन सकता है. यह अध्ययन अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है.

इस वायरस का नाम GX_P2V है, और इसने ऐसे चूहों में 100% मौत का कारण बनाया, जिनका जेनेटिक मेकअप इंसानों से मिलता-जुलता है. ऐसा माना जा रहा है कि इसकी वजह मस्तिष्क में होने वाला संक्रमण है.

चीन की यूनिवर्सिटी ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी और नानजिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में पाया कि GX_P2V उन चूहों के दिमाग पर हमला करता है, जो इंसानों के जैनेटिक मेकअप की नकल करने के लिए तैयार किए गए थे.

शोधकर्ताओं ने अपने पेपर में लिखा है, "यह इंसानों में GX_P2V के फैलने का जोखिम बताता है और SARS-CoV-2 जैसे वायरसों के पैथोजेनिक तंत्र को समझने के लिए एक अनोखा मॉडल प्रदान करता है."

GX_P2V, GX/2017 नाम के कोरोनावायरस का बदला हुआ रूप है, जिसे 2017 में मलेशियाई पैंगोलिन में पाया गया था.

जिन चूहों को इस वायरस से संक्रमित किया गया, वे सभी महज आठ दिनों के अंदर मर गए. न्यू यॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने इस तेजी से हुई मौत को "हैरान करने वाला" बताया.

अध्ययन में पाया गया कि GX_P2V ने मृत चूहों के फेफड़े, हड्डियां, आंखें, श्वासनली और मस्तिष्क को संक्रमित किया था, जिनमें से मस्तिष्क में हुआ गंभीर संक्रमण ही उनकी मौत का कारण बना.

मौत से कुछ दिन पहले, चूहों का वजन तेजी से कम हो गया था, उनकी पीठ झुकी हुई थी और वे बहुत धीमी गति से चल रहे थे. रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी मौत से पहले का दिन आते-आते उनकी आंखें पूरी तरह से सफेद हो गई थीं.

हालांकि, कई विशेषज्ञों ने इस शोध की कड़ी आलोचना की है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के जेनेटिक्स इंस्टीट्यूट के महामारी विज्ञान विशेषज्ञ फ्रांस्वा बैलॉक्स ने X.com पर एक पोस्ट में लिखा, "मैं इस बेकार के अध्ययन से कोई लाभ नहीं देख पा रहा हूं, जहां एक अजीब तरह के 'मानवीकृत' चूहों को बेतरतीब वायरस से संक्रमित किया गया. बल्कि, मुझे डर है कि इससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं."

उन्होंने आगे कहा, "यह शोध प्रीप्रिंट में यह नहीं बताता कि शोध के लिए किस स्तर की जैव सुरक्षा का इस्तेमाल किया गया और किन सावधानियों का पालन किया गया."