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बच्चों में बढ़ रहा कब्ज, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

दिसंबर को कोलोन एवयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है, जिसका मकसद पेट की सेहत के बारे में जागरूकता फैलाना है. इस दौरान विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि बेंगलुरु में 5 साल से ऊपर के बच्चों में कब्ज के मामले बढ़ रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह बच्चों का बेकरी के सामान और प्रोसेस्ड स्नैक्स ज्यादा खाना है.

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Constipation on the Rise in Kids Blame Bakery Bites and Processed Junk

दिसंबर को कोलोन एवयरनेस मंथ के रूप में मनाया जाता है, जिसका मकसद पेट की सेहत के बारे में जागरूकता फैलाना है. इस दौरान विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि बेंगलुरु में 5 साल से ऊपर के बच्चों में कब्ज के मामले बढ़ रहे हैं. इसकी एक बड़ी वजह बच्चों का बेकरी के सामान और प्रोसेस्ड स्नैक्स ज्यादा खाना है.

डॉ. श्रीकांत के.पी. मणिपाल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ हैं. उन्होंने बताया कि ये बेकरी के सामान जैसे मैदा से बनते हैं, जिनमें फाइबर नहीं होता. साथ ही बच्चों का खाना भी फलों और सब्जियों से भरपूर नहीं होता. ये सारी गलत आदतें कब्ज का कारण बनती हैं.

बेंगलुरु में ठंड का मौसम ज्यादा होता है, इसलिए बच्चे कम बाहर निकलते हैं. कम शारीरिक गतिविधि और पसीना कम आने से उन्हें ज्यादा प्यास नहीं लगती और नतीजा - कम पानी पीना. यही वजह है कि बेंगलुरु में बच्चों और बड़ों दोनों को कब्ज की समस्या होती है.

छोटे बच्चों में कब्ज का एक और कारण टॉयलेट ट्रेनिंग का सही न होना है. अंग्रेजी का कमोड बच्चों के लिए इस्तेमाल करने में मुश्किल होता है, जिससे टॉयलेट की आदत पड़ने में दिक्कत होती है. तीन-चार साल से कम उम्र के बच्चों में कब्ज के पीछे यही एक कारण भी हो सकता है.

डॉ. खुशाली लालचेटा, राजकोट के एचसीजी अस्पताल की फिजिशियन ने बताया कि बच्चों में प्रोसेस्ड स्नैक्स और फाइबर वाले खाने जैसे फल, सब्जियां और साबुत अनाज की कमी कब्ज का कारण बनती है. साथ ही पानी कम पीना भी पाचन तंत्र को बिगाड़ देता है.

फ़ोर्टिस अस्पताल के डॉ. गणेश शेनॉय ने बताया कि बेंगलुरु का गर्म मौसम और ऊंचाई पसीने और सांस के जरिए शरीर के पानी को कम कर देता है, जिससे डीहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है. यही पानी की कमी कब्ज का एक बड़ा कारण है.

बच्चों का पाचन तंत्र कमजोर होने से प्रोसेस्ड फूड पचाने में दिक्कत होती है, जबकि बूढ़े लोगों की आंतों की गतिविधि धीमी हो जाती है और मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं. इससे कब्ज की समस्या हो सकती है. डॉ. शेनॉय का कहना है कि सही खान-पान और प्राकृतिक तरीकों से इसका इलाज संभव है.

फ़ोर्टिस अस्पताल की डायटीशियन भारती कुमार ने बताया कि बच्चों के खाने में साबुत अनाज, दालें और फल ज्यादा होने चाहिए, जबकि बूढ़े लोगों को रेशेदार सब्जियां, आलूबुखारा और भरपूर पानी पीना चाहिए. चिंता, थकान और जीवनशैली में बदलाव से भी कब्ज हो सकता है, इसलिए तनाव कम करना भी जरूरी है. कब्ज से बचने के लिए ज्यादा पानी पिएं, फाइबर वाला खाना खाएं और बाहर घूमने जाएं. ये सब आदतें पेट की सेहत को बनाए रखने में मदद करेंगी.