5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कोरोना के कर्मवीर: उत्तराखंड में कम्यूटर टीचर ने अपने कार को बनाया एंबुलेंस, कर रहेंं हैं लोगों की मदद

अबतक 50 से अधिक लोगों को पहुंचा चुके हैं मदद

2 min read
Google source verification
कोरोना के कर्मवीर: उत्तराखंड में कम्यूटर टीचर ने अपने कार को बनाया एंबुलेंस, कर रहेंं हैं लोगों की मदद

कोरोना के कर्मवीर: उत्तराखंड में कम्यूटर टीचर ने अपने कार को बनाया एंबुलेंस, कर रहेंं हैं लोगों की मदद

उत्तराखंड में देवप्रयाग (भल्लेल गांव) के 32 वर्षीय गणेश पेशे से कम्प्यूटर टीचर हैं और अपना खुद का कम्प्यूटर टीचिंग इंस्टीट्यूट चलाते हैं। लेकिन कोरोना की लड़ाई में वॉरियर्स बनकर उभरे हैं। उन्होंने लोगों को मदद पहुंचाने के लिए अपनी छोटी कार (नैनो) को ही एंबुलेंस बना दिया है। कार पर बड़ा से पर्चा भी चस्पा कर दिया है कि आपतकालीन सेवा के लिए उनसे संपर्क करें। कार पर अपना नंबर भी लिखा है। पिछले एक 15 दिन में करीब 50 से अधिक जरूरतमंदों को हॉस्पिटल पहुंचा चुके हैं।
पत्रिका संवाददाता हेमंत पांडेय से खास बातचीत में गणेश भट्ट ने बताया कि वे देवप्रयाग में कम्प्यूटर इंस्टीट्यूट चलाते हैं। उनका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में कम्प्यूटर लिट्रेसी को बढ़ाना है। उन्होंने बताया कि बीते 22 मार्च की बात है कि एक परचित को एंबुलेंस की जरूरत थी। इमरजेंसी नंबर पर फोन करने पर पता चला कि आसपास में केवल तीन एंबुलेंस हैं और तीनों व्यस्त हैं। तब मुझे ध्यान आया कि क्यों अपनी गाड़ी को ही एंबुलेंस बनाकर लोगों की मदद की जाए क्योंकि पहाड़ी क्षेत्रों में बहुत कम लोगों के पास ही गाडिय़ां होती हैं। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी। गणेश ने बताया कि अब तो लोग रात में भी फोनकर बुलाया लेते हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस वाले भी पहचानने लगे हैं। मैं लोगों की मदद से पहले मास्क आदि से अपनी सुरक्षा भी कर लेता हूं।
गणेश भट्ट ने बताया कि अब दूसरे लोग भी मेरी मदद के लिए आगे आ रहे हैं। गाड़ी को एंबुलेंस बनाने के बाद मेरी गाड़ी दो हजार से अधिक किमी चल चुकी है। कई लोगों ने मुझे फोनकर कहा है कि पेट्रोल के बिना गाड़ी रुकनी नहीं चाहिए। पैसे की जरूरत हो तो मुझसे संपर्क कर सकते हैं। मेरे घर के आसपास के लोग भी मुझसे सामान भी मंगाते हैं। मैं लौटते समय लोगों के लिए आस-पास के बाजार से कुछ सामान भी खरीदकर दे आता हूं।