scriptCorona: भारत में बढ़ा वायरस के ट्रिपल म्यूटेंट का खतरा, वैक्सीन से ज्यादा जरूरी है नियमों का पालन | Corona triple mutant spreading in India, know how to save yourself | Patrika News

Corona: भारत में बढ़ा वायरस के ट्रिपल म्यूटेंट का खतरा, वैक्सीन से ज्यादा जरूरी है नियमों का पालन

Published: Apr 20, 2021 11:24:11 pm

किसी भी वायरस को समझने के लिए उसकी जीनोम सीक्वेंसिंग की जाती है। जीनोम सीक्वेंसिंग को समझ कर ही किसी वायरस को कंट्रोल करने के लिए दवाईयां या टीके बनाए जाते हैं।

Corona's orgy in Rajasthan, 37 died in a day

Corona’s orgy in Rajasthan, 37 died in a day

भारत में तेजी से कोरोना के केसेज बढ़ रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय पूरी दुनिया में कोरोना के बढ़ने का कारण डबल म्यूटेंट वायरस को माना जा रहा है। अभी Covid 19 के इस डबल म्यूटेंट को समझने पर ही काम चल रहा था कि ट्रिपल म्यूटेंट ने भी उपनी आहट दे दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत में आई कोरोना की दूसरी लहर डबल म्यूटेंट वायरस की वजह से ज्यादा घातक हो गई हैं हालांकि इस डबल म्यूटेंट में भी तीन अलग-अलग बदलाव देखने को मिले हैं यानि यह वायरस अब डबल की जगह ट्रिपल म्यूटेंट बन चुका है। इस वक्त कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य दिल्ली, महाराष्ट्र तथा कुछ अन्य राज्यों से लिए गए सैंपल में तीन तरह के सैंपल मिले हैं। इन सैंपल्स में दो बड़े बदलाव या म्यूटेशन देखने को मिले हैं जो इसे हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से ज्यादा शक्तिशाली बना रहे हैं और हम आसानी से इसका शिकार बन रहे हैं।
यह भी पढ़ें

RTI में बड़ा खुलासा, जनवरी से अब तक कोरोना वैक्सीन की 44 लाख से अधिक डोज बर्बाद

म्यूटेशन क्या होता है?
जिन लोगों ने हॉलीवुड की X-Man सीरीज मूवी देखी है, वो लोग बेहतर जानते हैं कि म्यूटेशन या म्यूटेंट् किसे कहा जाता है। म्यूटेशन यानि प्राकृतिक गुणों में बदलाव करके अपने आप में कोई खास विशेषता पैदा कर लेना, दूसरों से ज्यादा शक्तिशाली हो जाना। दरअसल म्यूटेशन शब्द का प्रयोग वैज्ञानिक शब्दावली में तब किया जाता है जब हमें यह लगता है कि किसी जीव में अचानक ही कोई बदलाव आ गया और उस बदलाव के चलते उसकी शक्तियां बढ़ गई या उसमें दूसरों से अलग कुछ खास विशेषता आ गई है। ठीक ऐसा ही कुछ कोरोना वायरस के साथ भी हो रहा है। इसमें अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग बदलाव देखे जा रहे हैं, जिन्हें म्यूटेंट का नाम दिया जा रहा है।
यह भी पढ़ें

भारत में काल बना कोरोना, हर घंटे 10 हजार से ज्यादा केस, 60 लोगों की मौत

जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए लड़ सकते हैं वायरस से
किसी भी वायरस को समझने के लिए उसकी जीनोम सीक्वेंसिंग की जाती है। इस जीनोम सीक्वेंसिंग को समझ कर ही किसी वायरस को कंट्रोल करने के लिए दवाईयां या टीके बनाए जाते हैं। वायरस म्यूटेशन के जरिए अपने इसी जीनोम सीक्वेंसिंग को चेंज करने का प्रयास करता है ताकि वो खुद को सुरक्षित रख सकें, खुद को बचा सके। हम वायरस के जितने ज्यादा सैंपल्स की जीनोम सीक्वेंसिंग कर पाएंगे, उतनी ही कुशलता के साथ उस वायरस और उसमें होने वाले बदलावों को समझ कर उस पर काबू कर पाएंगे। यही कारण है कि वैक्सीन्स को भी वायरस में हो रहे म्यूटेशन के हिसाब से ही डवलप किया जाता है।
यह भी पढ़ें

कोरोना पेशेंट्स के लिए आप भी इस तरह खरीद सकते हैं “पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर”

तब तक दवा नहीं, तब तक कैसे बचें
फिलहाल वैक्सीनेशन के साथ-साथ सावधानी बरत कर ही इस वायरस से लड़ा जा सकता है। वैक्सीन लगी है या नहीं, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हम मास्क लगाने, सैनेटाइजेशन करने और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों का कितना पालन कर रहे हैं। इन उपायों को आजमा कर ही हम वायरस को फैलने से रोक सकते हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो