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महिलाओं की इम्युनिटी प्रेग्नेंसी में कमजोर हो जाती है, गर्भावस्था में कोरोना से ऐसे करें बचाव

locationजयपुरPublished: May 02, 2020 06:15:39 pm

Submitted by:

Hemant Pandey

कोरोना वायरस (कोविड-19) का दुष्प्रभाव उन लोगों में अधिक होता है जिनकी इम्युनिटी कम होती है। अगर बात करें महिलाओं की तो गर्भावस्था में महिलाओं की इम्युनिटी थोड़ी कम हो जाती है।

महिलाओं की इम्युनिटी प्रेग्नेंसी में कमजोर हो जाती है, गर्भावस्था में कोरोना से ऐसे करें बचाव

महिलाओं की इम्युनिटी प्रेग्नेंसी में कमजोर हो जाती है, गर्भावस्था में कोरोना से ऐसे करें बचाव

कोरोना वायरस (कोविड-19) का दुष्प्रभाव उन लोगों में अधिक होता है जिनकी इम्युनिटी कम होती है। अगर बात करें महिलाओं की तो गर्भावस्था में महिलाओं की इम्युनिटी थोड़ी कम हो जाती है। ऐसे में न केवल गर्भवती को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत रहती है। कुछ सावधानियां बरतकर इससे बचाव किया जा सकता है।
बार-बार हॉस्पिटल न जाएं
असंक्रमित गर्भवती को नियमित जांच के लिए हॉस्पिटल जाने से बचना चाहिए। फोन पर अपने डॉक्टर्स से संपर्क कर जानकारी कर लें। प्रेग्नेंसी के 12वें और 19वें सप्ताह में रक्त की जांच और स्कैन के लिए डॉक्टर विजिट जरूरी है। इसके बाद 32वें सप्ताह में ही जाएं। हॉस्पिटल जाते समय भी पूरी तरह से सुरक्षा का ध्यान रखें। मास्क पहनें। कोशिश करें कि एक ही तीमारदार साथ में जाएं।
सर्दी-खांसी को हल्के में न लें
गर्भवती में सर्दी, जुकाम, बुखार या सांस लेने में तकलीफ की शिकायत को हल्के में न लें। अगर कोरोना वायरस या इससे संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने का संदेह हो तो तत्काल पास के सरकारी हॉस्पिटल में इसकी सूचना दें। अपने मन से कोई भी दवा न दें। आठवें माह में गर्भवती के लिए घर में कई कार्यक्रम होते हैं। ऐसे कार्यक्रम न करें।
अंकुरित अनाज ज्यादा खाएं
अभी हर पौष्टिक चीजें उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए कोशिश करें अनाज और दालों को अंकुरित कर खाएं। इसमें पौष्टिकता बढ़ जाती है। गुड़-मूंगफली, काले चने, मोंठ आदि ज्यादा खाएं। दूध और हरी सब्जियां व फल मिल रहता है तो जरूर लें। इसके साथ ही समय पर डाइट लें। खाना एक साथ ज्यादा मात्रा में खाने की जगह थोड़ा-थोड़ा कई बार में खाएं। एक्सरसाइज न करें लेकिन दिनभर में कइ्र बार घर के अंदर या छत पर चहलकदमी जरूर करते रहें। इससे मूड अच्छा होता है। सेहत भी ठीक रहती है। नकारात्मक खबरों या सूचना से बचें। इससे भय होता है। गर्भस्थ शिशु पर भी असर पड़ सकता है। योग-ध्यान नियमित करती रहें।
आशंका होने पर इनकी होती है जांच
गर्भवती में कोरोना की आशंका होने पर इसकी जांच की जाती है और इलाज भी होता है। जांच के लिए स्वाब लेकर आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाता है। इस समय अधिक गर्भवतियों को सामान्य प्रसव के लिए प्रयास किया जा रहा है। कुछ ही गर्भवती हैं जिनको कोई परेशानी पहले से है उनको ही सजेरियन डिलीवरी के लिए कहा जाता है। 34 सप्ताह से कम की प्रेग्नेंसी है या हल्की परेशानी जैसे उल्टी और जी घबरा रहा है। इसके लिए हॉस्पिटल न जाएं। अगर तेज दर्द हो रहा है। खून आ रहा और पानी छूट रहा है या फिर पैरों में ज्यादा सूजन हो रहा है तो ही सावधानी से हॉस्पिटल जाएं।
तनाव से बचें
कोविड-19 के कारण गर्भवती पर तनाव होना स्वभाविक है लेकिन परेशान होने की जरूरत नहीं है। अधिकतर हॉस्पिटल्स में सामान्य प्रसव की व्यवस्था है। तनाव के कारण गर्भवती और उसके भ्रूण दोनों पर असर होगा। मां का तनाव बच्चे में पहुंच जाता है। प्रीम्चयोर बर्थ, ट्रॉमा, बाद में बच्चे को डिप्रेशन, स्टे्रस और एंग्जायटी, सिजोफ्रेनिया आदि की समस्या हो सकती है। शिशु के बड़े होने पर भी कई परेशानियां हो सकती हैं।
सावधानी से कराएं स्तनपान
अभी तक ऐसी कोई सूचना नहीं है कि स्तनपान से कोरोना फैलता है।
मां बच्चे को छूने से पहले और बाद में अपने हाथों को अच्छे से धोए। मां मास्क पहनकर ही दूध पिलाए। छींकते समय दूसरी तरफ मुंह कर लें। बच्चे को हर जगह छूने से बचें। अगर कोरोना पॉजेटिव या संदिग्ध है तो दूध पंप से निकलकर शिशु को पिलाया जाए।
अभी कंसीव करने से बचें
कुछ महिलाओं का कंसीव करने का प्लान पहले से था। ऐसी महिलाओं के लिए सलाह है कि अभी कोरोना को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। अच्छा होगा कि कंसीव होने की प्लानिंग को कुछ दिनों के लिए टाल दें।
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