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महाराष्ट्र: मुंबई के जसलोक अस्पताल में अब सिर्फ कोरोना मरीजों का होगा इलाज जहां तक बीमारी के लक्षणों की बात की जाए तो कुछ लक्षण ऐसे हैं जो अन्य कई मौसमी बीमारियों में भी दिखाई देते हैं जैसे बुखार, थकान, स्वाद और गंध का पता नहीं चलना। शुरुआत में इन लक्षणों के आधार पर ही कोरोना टेस्ट किए गए और उन्हीं के आधार पर मरीजों को दवाईयां दी गई। धीरे-धीरे इस बीमारी के कई नए लक्षण भी सामने आने लगे जैसे पिंक आइज, नाक से पानी बहना, लगातार छींक आना या खांसी चलना। आम धारणा के विपरीत कोरोना पेट में होने वाली समस्याओं का भी कारण बनने लगा और इसके कारण किड़नी, लीवर तथा आंतों के भी प्रभावित होने के मामले सामने आने लगे।
वैज्ञानिकों ने कोरोना को परखने के लिए लगभग 40 लाख लोगों के डेटा का विश्लेषण किया और पाया कि कोविड के लक्षणों को छह कैटेगरीज में बांटा जा सकता है। यह भी देखें :
Corona : पीएम मोदी ने देश में मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने के दिशा-निर्देश दिए 1. बुखार के साथ फ्लू जैसे लक्षण होना – इसमें सिरदर्द, गंध नहीं आना, खांसी चलना, गले में खराश या गला बैठना, बुखार होना तथा भूख नहीं लगना जैसी शिकायतों को रखा गया। 2. फ्लू के लक्षण होना लेकिन बुखार नहीं होना – इस कैटेगरी के लक्षणों में मरीज को बुखार नहीं होता बाकी फ्लू के सभी लक्षण दिखाई देते हैं।
3. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल – इसमें खांसी नहीं होती लेकिन सीने में दर्द होता है और फ्लू के कई लक्षण भी साथ में दिखाई देते हैं। 4. लगातार थकान का बने रहना – यदि फ्लू के लक्षणों के साथ थकान भी बनी रहती हो तथा सीने में दर्द हो मरीज को गंभीर हो जाना चाहिए। यह कोरोना के खतरनाक संक्रमण की पहली श्रेणी है।
5. मसल्स में भी दर्द होना – यदि चार नम्बर की सभी शिकायतों के साथ-साथ शरीर की मांसपेशियों में भी दर्द रहता है तो यह कोरोना के खतरनाक संक्रमण की दूसरी श्रेणी है जो पहली श्रेणी से अधिक खतरनाक है तथा इसमें तुरंत इलाज शुरू नहीं करना घातक हो सकता है।
6. श्वसन तथा पेट संबंधी बीमारियों के लक्षण – यह कोरोना संक्रमण की सबसे खतरनाक स्टेज है। इस स्टेज पर जरा भी ढ़िलाई मृत्यु का कारण बन सकती है। इस स्टेज के संक्रमण में रोगी में ऊपर बताए लक्षणों में से कई लक्षण तो दिखाई देते ही है परन्तु साथ में उसे बहुत ज्यादा थकान के साथ-साथ सांस की तकलीफ भी अनुभव होने लगती है, कई बार पेट दर्द तथा उल्टी-दस्त की शिकायतें भी देखी गई हैं। कुछ मरीजों में सांस फूलने की समस्या, सीने में दर्द या दबाव का अनुभव होना, बोलने या चलने-फिरने तक में समस्या देखी गई। खास तौर पर श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियां यथा साइनोसायटिस, ब्रोंकाइटिस या अस्थमा के मरीजों को पता ही नहीं चल पाता कि वे श्वसन तंत्र की बीमारी से संक्रमित हैं या उन्हें कोरोना हो चुका है।
आमतौर पर कोरोना संक्रमण होने पर दर्दनिवारक दवाई तथा एंटीबॉयोटिक्स लेने से मरीज सही हो सकता है। लेकिन जब संक्रमण खतरनाक स्टेज पर पहुंच जाए या श्वांस लेने में तकलीफ होने लगे तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर पेशेंट के फेफड़ों की जांच कर संक्रमण की घातकता का अंदाजा लगाते हैं और उसी के आधार पर मरीज को ऑक्सीजन या वेंटिलेटर उपलब्ध करवाया जाता है। उचित समय पर उपचार मिलने पर ऐसे मरीजों को भी बचाया जा सकता है।