
Symptoms of Digital Dementia
Symptoms of Digital Dementia : ENIAC (विश्व का पहला कंप्यूटर) से लेकर AI (Artificial Intelligence) तक, टेक्नोलॉजी ने एक लंबा सफर तय किया है। वहीं, डिजिटल दुनिया ने हमारे कई काम आसान भी बना दिए हैं। इसी बीच कुछ रिसर्च का मानना है कि बढ़ते डिजिटलीकरण से लोगों को डिजिटल डिमेंशिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं। WHO के अनुसार, डिमेंशिया को विश्व में बुजुर्गों में विकलांगता और मृत्यु का सातवां सबसे अहम कारण माना गया है। इस बीच University of Texas और Baylor University की एक रिसर्च ने इस विचार को लेकर चौंकाने वाली बात कही है। आइए जानते हैं कि यह रिसर्च क्या कहती है और क्या होता है डिजिटल डिमेंशिया?
University of Texas और Baylor University की रिसर्च में न्यूरोसाइंटिस्ट्स ने 136 से अधिक रिसर्च का विश्लेषण किया, जिनमें 4 लाख से ज्यादा वयस्क लोगों का डेटा शामिल किया गया। यह डेटा बताता है कि 50 साल से ज्यादा उम्र के लोग जो नियमित रूप से स्मार्टफोन, कंप्यूटर, इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनकी सोचने-समझने की क्षमता पर खतरा कम होता है। यानी कि बुजुर्गों की याददाश्त लंबे समय तक बनी रहती है। रिसर्च का यह भी कहना है कि स्मार्टफोन, कंप्यूटर और इंटरनेट का इस्तेमाल बुजुर्गों के लिए फायदेमंद है।
डिजिटल डिमेंशिया (Digital Dementia) शब्द जर्मन न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. मैनफ्रेड स्पिट्ज़र ने दिया। डिमेंशिया एक मेडिकल स्थिति है, जिसमें इंसान की याददाश्त, सोचने की क्षमता, व्यवहार और रोजमर्रा के काम करने की क्षमता धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है, जिसमें चीजें भूल जाना, बातें दोहराना, फैसला लेने में दिक्कत होना जैसे लक्षण शामिल है। वहीं, डिजिटल डिमेंशिया का मतलब नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के जर्नल के अनुसार, स्मार्टफोन और गूगल जैसी डिजिटल चीजों पर ज्यादा निर्भर होने की वजह से याददाश्त और ध्यान की क्षमता को कमजोर करने वाली स्थिति है। जब आप हर छोटी बात के लिए फोन या गूगल पर निर्भर होते हैं ,तो आपका दिमाग कम काम करता है। साथ ही, अब आप बेसिक गणित भी बिना कैलकुलेटर और स्मार्टफोन के इस्तेमाल के नहीं कर पाते हैं। इससे धीरे-धीरे याद रखने की आदत और क्षमता दोनों घटती जा रही हैं।
Digital Dementia के लक्षण काफी हद तक अल्ज़ाइमर जैसे ही होते हैं, जैसे -
याद रखने में दिक्कत आना
ध्यान न लगना
सोचने-समझने की क्षमता में कमी आना
कन्फ्यूज़न होना
शब्दों और नंबरों को याद न रख पाना
इंटरनेट मैप्स के बिना रास्ता खोजने में दिक्कत आना
आसानी से घबरा जाना
WHO के अनुसार, डिमेंशिया की संभावना 65 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों में अधिक होती है। जबकि नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के जर्नल के अनुसार, Generation Z और Millennials (1980 के बाद जन्मे लोग) में 30-40 साल की उम्र में जरूरत से ज्यादा स्मार्टफोन, कंप्यूटर, इंटरनेट के इस्तेमाल के चलते डिमेंशिया के लक्षण देखे जा सकते हैं।
WHO के अनुसार, डिमेंशिया का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन लाइफस्टाइल में सुधार, मानसिक और शारीरिक गतिविधि, सामाजिक जुड़ाव और कुछ दवाओं से डिमेंशिया पर कुछ समय के लिए नियंत्रण पाया जा सकता है।
Dementia Detection From Eye Test: आंखों से चलेगा डिमेंशिया का पता
Published on:
16 Apr 2025 03:20 pm
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