कोरोना दो अवस्था वाली बीमारी, पहली में खुद स्टेरॉइड लेने पर गंभीर होने का खतरा अधिक
जयपुरPublished: May 24, 2021 07:48:34 am
कोरोना को सामान्य सर्दी-जुकाम वाली बीमारी नहीं समझें। इस बीमारी के दो फेज (अवस्था) हैं। पहला फेज शुरू के 6-7 दिन होता है जबकि दूसरा फेज 6-7 दिन से शुरू होकर 14 दिन तक होता है। पहले फेज यानी 5-7 दिन में वायरस शरीर के अंदर बढ़ता है।
कोरोना दो अवस्था वाली बीमारी, पहली में खुद स्टेरॉइड लेने पर गंभीर होने का खतरा अधिक
कोरोना को सामान्य सर्दी-जुकाम वाली बीमारी नहीं समझें। इस बीमारी के दो फेज (अवस्था) हैं। पहला फेज शुरू के 6-7 दिन होता है जबकि दूसरा फेज 6-7 दिन से शुरू होकर 14 दिन तक होता है। पहले फेज यानी 5-7 दिन में वायरस शरीर के अंदर बढ़ता है। इसे वायरस फेज कहते हैं। दूसरे फेज में शरीर का एंटीबॉडीज काम करना शुरू करती है। इसे इम्युन फेज कहते हैं। इसमें वायरल लोड कम होता है। अधिकतर लोगों में कोरोना दूसरे फेज में आते ही ठीक होने लगता है लेकिन कुछ में वायरस के अधिक प्रभावी होने से उनकी ही एंटीबॉडीज शरीर के खास अंगों को नुकसान पहुंचाने लगती है, इसलिए बीमारी गंभीर हो जाती है। अगर सावधानी रखें तो इम्युन फेज तक नहीं जाना पड़ेगा।
दूसरे फेज में एंटीबॉडीज से होता है नुकसान
वायरस के कारण दूसरे फेज में हमारे शरीर के अंदर हाइपर इम्युन रिस्पॉंस सक्रिय होता है। इसमें हमारे शरीर की इम्युनिटी अपनेे ही अंगों को नुकसान पहुंचाने लगती है। इस कारण ही ऐसी दिक्कत होती है। इसी फेज में सबसे ज्यादा मरीजों को ऑक्सीजन कम होने लगती है। वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। मृत्यु की आशंका भी बढ़ जाती है। अगर पहले फेज में इलाज सही हो जाए तो दूसरे फेज में गंभीर होने की आशंका नहीं रहती है।
6-7वें दिन से ज्यादा मॉनिटरिंग करें
कोरोना के जितने भी मामले बिगड़ रहे हैं वे मुख्य रूप से 6-7 वें दिन के बाद सेे बिगड़ते हैं। अगले एक सप्ताह तक इसकी बारीकी से मॉनिटरिंग करें। 7-8वें दिन डॉक्टरी सलाह से चेस्ट का सीटी स्कैन और इंफ्लेमेटरी मार्कर टेस्ट करवाएं। डॉक्टर कहते हैं तो डी डायमर या अन्य जांचें भी करवाएं। लक्षण आने के 3-4 दिन में सीटी स्कैन कराने से बीमारी के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं होती है। ऐसे में बचें।
पहले फेज में स्टेरॉइड से हो सकता नुकसान
मरीज को पहले ही फेज में स्टेरॉइड देने से फायदा की जगह नुकसान हो सकता है। यह वायरस फेज होता है। इसमें स्टेरॉइड देते हैं तो इम्युन सिस्टम कमजोर होने पर वायरस अधिक तेजी से बढ़ेगा। बीमारी के जल्दी गंभीर होने की आशंका रहती है, इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह से स्टेरॉइड न लें।
समय पर जांच और पहचान जरूरी
जिस दिन से शरीर में बुखार, दर्द, अकडऩ या फिर डायरिया जैसे लक्षण दिखते हैं या फिर रिपोर्ट पॉजिटिव आती है उसे पहला दिन मानें। पहले पांच दिन कोरोना की गाइड लाइन के अनुसार दवाइयां लें। देरी न करें। हैल्दी, हल्का और सुपाच्य आहार लें। खूब पानी पीएं। आराम करें। शुरू के 5-6 दिन बिल्कुल चिंता न करें।
प्लाज्मा थैरेपी और रेमडेसिविर भी पहले फेज में ही फायदेमंद हैं।
पहले फेज में एंटीवायरल के साथ प्लाज्मा थैरेपी, रेमडेसिविर या फेबिफ्लू आदि कारगर हैं। यह वायरल फेज है।
6वें दिन से 2-2 घंटे में जांचें
छठवें दिन से हर दो-दो घंटे से ऑक्सीजन का लेवल देखें। अगर लेवल 94त्न या इससे अधिक है तो बिल्कुल परेशान न हों। 15 दिन तक घर में आराम करें। ज्यादा भागदौड़ करने से बचें। अगर ऑक्सीजन का स्तर 94त्न से कम आ रहा है तो डॉक्टर को बताएं। पल्स ऑक्सीमीटर का सही इस्तेमाल नहीं आता है तो किसी से सीख लें।
बुखार नहीं तो भी जांचें
जिन मरीजों में पहले फेज में ही लक्षण खत्म हो गए हैं वे भी दूसरे सप्ताह में ऑक्सीजन का स्तर नापते रहें। कुछ मरीजों में 8-10वें दिन ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। अगर ऑक्सीजन लेवल घट रहा है तो तत्काल डॉक्टर को बताएं।
हैप्पी हाइपोक्सिया से हो रही है दिक्कत
जिन मरीजों में पहले सप्ताह में ही लक्षण खत्म हो जाते और वे अपनी दिनचर्या करने लगते हैं, लेकिन जांच में ऑक्सीजन का स्तर 80-85त्न होता है। वे विशेष सावधानी बरतें। इसे हैप्पी हाइपोक्सिया कहते हैं। बीमारी ठीक नहीं हुई होती है। ऐसे मरीजों की स्थिति अचानक बिगड़ सकती है।