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परेशान न हों…क्रॉनिक किडनी डिजीज के इलाज के हैं कई विकल्प

locationजयपुरPublished: Mar 09, 2019 05:10:29 pm

Submitted by:

Ramesh Singh

क्रॉनिक किडनी डिजीज के लक्षण देर से दिखते हैं। किडनी बीमारियों की पहचान के लिए ब्लड यूरिया, सिरम क्रिएटिनिन, सिरम इलेक्ट्रोलाइट व किडनी फंक्शन टेस्ट कराते हैं।

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परेशान न हों…क्रॉनिक किडनी डिजीज के इलाज के हैं कई विकल्प

क्रॉनिक किडनी डिजीज में किडनी पहले फूलती है फिर सिकुड़कर छोटी हो जाती है। इसके लक्षण देर से दिखते हैं। महिलाओं को माहवारी में ज्यादा दर्द, संबंध के दौरान तकलीफ होती है।
यह हैं इलाज के विकल्प
क्रॉनिक किडनी डिजीज के रोगी का इलाज दवाओं व डायलिसिस से किया जाता है। किडनी फेल होने पर प्रत्यारोपण अंतिम विकल्प है। क्रॉनिक रीनल फेल्योर में गुर्दा रोगी का हीमोडायलिसिस किया जाता है। इसमें सप्ताह में तीन बार और माह में बारह बार रक्त की कृत्रिम रूप से सफाई की जाती है।
क्रॉस मैचिंग भी तरीका
किडनी फेल होने के बाद प्रत्यारोपण ही इलाज है। रोगी के रिश्तेदार (खून के रिश्ते) का गुर्दा प्रत्यारोपित करते हैं। समय रहते गुर्दा प्रत्यारोपण न होने से रोगी की जान जा सकती है। रोगी और डोनर का ब्लड ग्रुप जब मैच नहीं करता तो क्रॉस ट्रांसप्लांट करते हैं।
यह भी एक विकल्प
रोगी को उसके ब्लड ग्रुप का डोनर नहीं मिलता तो एबीओ (ब्लड ग्रुप) इनकॉम्पीटेंट ग्रुप किडनी प्रत्यारोपण प्रक्रिया अपनाते हैं। रक्त में मौजूद एंटीबॉडीज हटाते हैं ताकि प्रत्यारोपण के बाद डोनर के ब्लड ग्रुप की किडनी को मरीज का शरीर स्वीकार कर ले।
रोबोटिक ट्रांसप्लांट
लेप्रोस्कोपिक किडनी प्रत्यारोपण में सूक्ष्म छेद कर किडनी निकालते हैं और ओपन सर्जरी की मदद से किडनी लगाते हैं। रोबोटिक सर्जरी में किडनी निकालने व लगाने की प्रक्रिया रोबोटिक उपकरण से होती है। रोगी व डोनर को कोई परेशानी नहीं होती है।
कैडबर ट्रांसप्लांट
ब्रेन डेड मरीज की दोनों किडनियों को दो मरीजों को लगाकर जीवन देने का काम हो रहा है। अभी और जागरूकता की जरूरत है। ब्रेन डेड मरीज का परिवार कई बार अंगदान को तैयार नहीं होता है। यदि सभी आगे आएं तो ऐसे मरीजों को नया जीवन मिल सकता है।
– डॉ. संजय गुप्ता, वरिष्ठ किडनी रोग विशेषज्ञ, भोपाल

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