
Earphones Noise is Causing Viral Attack
जयपुर . ईयरफोन्स, ब्लूटूथ बडस और अब पॉड्स इन सब डिवाइस के आप भी शौकीन होंगे। चाहे सुबह की सैर पर जाना हो या दफ्तर में काम करना हो। सबसे पहले हम हमारे इयरफोन्स खोजते हैं। लेकिन क्या अपने सोचा है कि कुछ समय का सुकून आपको जिंदगी भर का इयर लॉस दे सकता है। हर आयु के लोगोंको कम उम्र से ही हियरिंग लॉस का सामना करना पड़ रहा है। कान-नाक-गला रोग विशेषज्ञों के पास लगातार इस तरह की शिकायतों के साथ लोग पहुंच रहे है। इसके अलावा मौसम में बदलाव के दौरान अलग-अलग वायरस एक्टिव हो जाते है। जो शरीर को नुकसान पहुंचा देते है।
इन दिनों ओपीडी में हर सप्ताह 5 से ।0 मरीज ऐसे ही आ रहे हैं। जो गंभीर सेंसरी न्यूरल नर्व हियरिंग लोस का शिकार हैं। यह एक प्रकार का डिसऑर्डर है। यह वायरल अटैक भी है, जिसके शिकार मरीजों की उम्र 25 से 60 वर्ष तक है। इस बीमारी की वजह वायरल इंफेक्शन के अलावा जन्मजात व बढ़ती उम्र भी है। यह एक ऐसा डिसऑडर है, जिनमें सुनने की क्षमता प्रभावित होती है। कान के अंदर कॉकलियर तंत्रिका दिमाग तक ऑडियो सिगनल को पहुंचाती है। उसके डेमेज होने से सुनाई देना बंद हो जाता है।
- बातचीत करने के दौरान सुनने या समझने में परेशानी होना।
- कानों में सीटी बजना।
- ऊंची आवाज सुनने में परेशानी।
- बैकग्राउंड शोर होने पर आवाज सुनने में परेशानी होना।
- चक्कर आना या संतुलन संबंधी समस्याएं।
- आसपास शोर होने पर सुनने में परेशानी होना।
- तेज आवाज के आसपास होने पर इयरप्लग पहलनें।
- लाउड म्यूजिक सुनना बंद करें।
- ईयरबड, हेडफोन, ब्लूटूथ की आवाज 60% से कम रखें और लगातार इस्तेमाल करने से बचें।
- अपनी सुनने की क्षमता की नियमित जांच करवाएं।
- कोई भी परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
पोस्ट वायरल प्रभाव भी काम कर रहा है। इस बीमारी से ग्रस्त मरीज को तुरंत अस्पताल पहुंचना होता है।
डॉ. पवन सिंघल,
एचओडी, ईएनटी विभाग
हम दो तरीकों से सुन सकते हैं।
कंडक्टिव हियरिंग : जिसमें पर्दे में हलचल के कारण हम सुन पाते हैं।
सेंसरिनुरल नर्व हियरिंग : इसमें कान का एक हिस्सा होता है जो दिमाग तक जाने वाली नस के माध्यम से आवाज ब्रेन तक पहुँचाता है। तेज आवाज से ये नसें डैमेज हो सकती हैं।
90 डेसिबल का साउंड 5-6 घंटे या 120 डेसिबल का साउंड एकदम सुनते हैं तो इससे सुनने की क्षमता कम हो सकती है।
डॉ राघव मेहता, ईएनटी विशेषज्ञ
ईयरफोन को दूर किया तो हो गई परेशानी ख़त्म
वैशाली नगर निवासी मोहम्मद फैजान ने अल्का याग्निक की का अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि यूट्यूब के लिए एयरपॉड्स का इस्तेमाल किया था। सिर्फ एक कान में ही लगाते थे। धीरे-धीरे एक कान से सुनना बंद हो गया। उसके बाद एयरपॉड्स, नेकबैंड इयरफोन्स, का इस्तेमाल नहीं किया। कुछ दिन बाद सब सही हो गया।
स्पीकर पर बात करना शुरू, परेशानी दूर
दुर्गापुरा निवासी रोमिल ने पहले टेलीकॉल और बाद मार्केटिंग में जॉब की। दोनों नौकरी में फोन पर लगातार बात करनी होती थी। करीब 9 घंटे तक फोन पर काम करते थे। धीरे-धीरे कानों में सीटी बजना शुरू हुई और कम सुनाई देने लगा। डॉक्टर ने बताया कि टिनिट्स की समस्या होने लगी है। उसके बाद फोन को दूर रख स्पीकर पर ही बात करते हैं। अब सुधार है।
Published on:
20 Jun 2024 11:15 am
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