
Experts Share Tips for Dealing with Autistic Children
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि ऑटिस्टिक बच्चों और किशोरों के लिए रूटीन में बदलाव, अनजानी जगहें और अजनबी लोग काफी तनावपूर्ण हो सकते हैं। मंगलवार को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस पर आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सक्रिय कदम उठाने से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।
विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों को आने वाले और अप्रत्याशित बदलावों के लिए तैयार करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उन्हें आसानी से बदलाव स्वीकार करने और चिंता कम करने में मदद मिलेगी।
केजीएमयू के मनोरोग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर विवेक अग्रवाल ने बताया कि ऑटिस्टिक लोगों को अक्सर जानी-पहचानी दिनचर्या में ही अच्छा लगता है।
उन्होंने बताया, "पहले से सूचित करना और विजुअल शेड्यूल यानी चित्रों वाली समय सारणी बच्चों को यह समझने में मदद कर सकती है कि उन्हें पूरे दिन क्या उम्मीद करनी चाहिए, जिससे उन्हें बदलावों को बेहतर ढंग से मैनेज करने की ताकत मिलती है। चित्रों वाली टाइम टेबल जैसे सरल उपकरण बहुत प्रभावी हो सकते हैं।"
प्रोफेसर अग्रवाल ने छोटे बच्चों में स्क्रीन टाइम बढ़ने पर चिंता जताई क्योंकि इससे ऑटिस्टिक लक्षण वाले बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
उन्होंने कहा, "लेकिन जल्दी दखल देने से इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है। माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन न दिया जाए और दो से पांच साल तक के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम आधा घंटा तक ही सीमित रखा जाए, वह भी निगरानी में।"
केजीएमयू के पूर्व क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर केके दत्त ने कहा कि न्यूरोलॉजिकल कंडीशन के कारण ऑटिस्टिक बच्चे अपनी ही दुनिया में रहना पसंद करते हैं और जब उनकी दुनिया में गड़बड़ी होती है, तो उन्हें इससे सामना करने में मुश्किल होती है।
मनोरोग विशेषज्ञ और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. राहुल भरत ने कहा कि सकारात्मक प्रतिक्रियाओं को पुरस्कृत करने से बच्चे अप्रत्याशित परिस्थितियों से निपटने की क्षमता विकसित कर सकते हैं।
(आईएएनएस)
Published on:
02 Apr 2024 04:16 pm
बड़ी खबरें
View Allस्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
