6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सूर्य से भी ज्यादा खतरनाक! त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है आपका परिवार

अभी तक यह माना जाता था कि त्वचा कैंसर यानी मेलेनोमा का मुख्य कारण सूर्य की रोशनी से ज्यादा संपर्क होता है, लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि...

2 min read
Google source verification
family history raises skin cancer risk more than sun exposure

family history raises skin cancer risk more than sun exposure

अभी तक यह माना जाता था कि त्वचा कैंसर यानी मेलेनोमा का मुख्य कारण सूर्य की रोशनी से ज्यादा संपर्क होता है, लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि परिवार का इतिहास या विरासत में मिले जीन त्वचा कैंसर के खतरे को बढ़ाने में ज्यादा अहम भूमिका निभाते हैं।

अमेरिका के क्लीवलैंड क्लिनिक के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों को मेलेनोमा हुआ है उनके परिवार के इतिहास की जांच करने के लिए आमतौर पर आनुवंशिक जांच नहीं की जाती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले के अध्ययनों में पाया गया था कि केवल 2-2.5 प्रतिशत मामलों में ही आनुवंशिक कारण होता है।

हालांकि इस नए अध्ययन में 2017 से 2020 के बीच मेलेनोमा से ग्रस्त रोगियों में से 15 प्रतिशत (लगभग हर 7 में से 1) में कैंसर पैदा करने वाले जीनों में उत्परिवर्तन पाए गए। ये नतीजे जर्नल ऑफ द अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं।

अध्ययन से जुड़े डॉक्टर जोशुआ अर्ब्समैन का कहना है कि आनुवंशिक जांच से डॉक्टरों को उन परिवारों की पहचान करने में मदद मिल सकती है जिनमें यह रोग जीनों के जरिए फैल सकता है। ऐसे परिवारों की जांच और इलाज भी पहले से ही किया जा सकता है।

उन्होंने डॉक्टरों और बीमा कंपनियों से इस बात का आग्रह किया है कि वे "उन लोगों के लिए आनुवंशिक जांच की पेशकश करने के मानदंडों को व्यापक करें जिनके परिवार में मेलेनोमा का इतिहास रहा है।"

उन्होंने बताया कि " ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि जीनों के जरिए मिलने वाला यह खतरा उतना कम नहीं है जितना हम सोचते हैं।"

इस अध्ययन के नतीजे कैंसर जीवविज्ञानियों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही इस राय का समर्थन करते हैं कि सूर्य की रोशनी के अलावा भी कई अन्य खतरे होते हैं जो किसी व्यक्ति में मेलेनोमा होने की संभावना को प्रभावित कर सकते हैं।

डॉक्टर जोशुआ का कहना है कि "मेरे सभी रोगियों में सूर्य की रोशनी के प्रति संवेदनशील बनाने वाले आनुवंशिक बदलाव नहीं पाए गए। जाहिर है कि यहां और भी कुछ चल रहा है और इस पर और शोध की जरूरत है।"