कार्यस्थलों पर भी मानसिक स्वास्थ्य को मिले प्राथमिकता ये बातें स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव ने बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज और रिसर्च इंस्टीट्यूट (बीएमसीआरआइ) के सभागार में कही। वे सोमवार को कर्नाटक राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण Karnataka State Mental Health Authority और स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस World Mental Health Day समारोह के उद्घाटन के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मनोरोग को भी अन्य बीमारियों की तरह ही देखना चाहिए। उपचार कराने से झिझकना नहीं चाहिए। इसके लिए मानसिक स्वास्थ्य के बारे में खुली बातचीत करना आवश्यक है। कार्यस्थलों पर भी मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की जरूरत है।
वीडियो परामर्श विकल्प भी उपलब्ध मंत्री ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परामर्शदाताओं और आशा कार्यकर्ताओं को इन महत्वपूर्ण मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए प्रशिक्षित किया है। इसके अतिरिक्त, टेली मानस जैसी पहल जनता को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करती है। अब सहायता चाहने वालों के लिए वीडियो परामर्श विकल्प भी उपलब्ध है। उन्होंने सभी से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को तोडऩे और स्वस्थ, खुशहाल जीवन जीने के लिए आवश्यक सहायता प्राप्त करने का आग्रह किया।
31 जिलों में 32 डीएमएचपी मंत्री ने कहा कि वर्ष 2016-17 में चार जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (डीएमएचपी) थे। अब 31 जिलों में 32 डीएमएचपी हैं। बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका के पास स्वतंत्र डीएमएचपी है। पांच वर्षों में पहुंचे 10 लाख मरीज सरकार ने पिछले पांच वर्षों से हर साल सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मानसिक बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों की देखभाल और उपचार के लिए औसतन 10 लाख लोगों के आने का दस्तावेजीकरण किया है।
मनोचैतन्य परियोजना भी प्रभावी मनोचैतन्य परियोजना के तहत हर मंगलवार और शुक्रवार को सभी तालुक के सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं वर्ष 2014 से जारी हैं। वित्तीय वर्ष 23-24 में 150 तालुकों में में 5,76,525 मरीज परामर्श के लिए पहुंचे।