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हीमोग्लोबिन के अधिक स्तर से हो सकती हैंं कई दिक्कतें

locationजयपुरPublished: Oct 30, 2019 01:44:33 pm

Submitted by:

Ramesh Singh

खून की कमी की समस्या को एनीमिया कहते हैं लेकिन शरीर में रक्त की मात्रा जरूरत से ज्यादा होना भी एक बीमारी है, जिसका नाम है पॉलिसाइथीमिया। शरीर में रक्त का ज्यादा होना भी बीमारी का कारण बन जाता है। इस स्थिति में रक्त गाढ़ा हो जाता है। यदि इसकी पहचान और इलाज समय पर न किया जाए तो स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। रक्त के थक्के बनना अहम है।

हीमोग्लोबिन

हीमोग्लोबिन की मात्रा पुरुषों में 15-16 प्रति डेसिलीटर और महिलाओं में 14-15 प्रति डेसिलीटर होती है। यह अधिकतम सीमा से भी ज्यादा हो तो रक्त में गाढ़ापन बढऩे लगता है। इससे होने वाली दिक्कत को पॉलिसाइथीमिया कहते हैं।

शरीर में रक्त बनाने की प्रक्रिया में गड़बड़ी
रक्त में हीमोग्लोबिन बढऩे की वजह बोनमैरो यानी अस्थिमज्जा में रक्त बनने में गड़बड़ी होना है। इसमें हीमोग्लोबिन बढऩे को प्राइमरी पॉलिसाइथीमिया कहते हैं। कोई अन्य रोग से जब यह समस्या होती है तो इसे सेकेंडरी पॉलिसाइथीमिया कहते हैं। इससे हार्ट व ब्रेन स्ट्रोक जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।

नाक और आंतोंं में ब्लीडिंग भी हो सकती
हीमोग्लोबिन बढऩे से गाल, चेहरा लाल होना, स्नान के बाद हाथ-पैरों में खुजली, सिर घूमना, थकान, पेट दर्द भी हो सकता है। नाक व आंतों से ब्लीडिंग हो सकती है। इसकी पहचान के लिए रक्त की जांच करते हैं।
इस तरह से शरीर को दिक्कत करता है
कई बीमारियों में शरीर को आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन नहीं मिलती है तो इससे सायनोटिक हार्ट डिजीज, सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज), क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया जैसी दिक्कतें शुरू हो सकती हैं। इस स्थिति में शरीर अधिक हीमोग्लोबिन तैयार कर ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की कोशिश करता है। यह दिक्कत कई बार किडनी, लिवर कैंसर में भी होती है। साथ ही कई बार धूम्रपान, प्रदूषण, कम ऑक्सीजन वाली जगहों पर काम करने से दिक्कत होती है।
एक्सपर्ट : डॉ. एम वली, वरिष्ठ फिजिशियन, नई दिल्ली

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