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भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजा Hydrogels बनाने का नया मंत्र

Create Hydrogels with Just Five Amino Acids : कोलकाता में स्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान बोस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है।

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Indian Scientists Discover a New Method to Create Hydrogels

Indian Scientists Discover a New Method to Create Hydrogels

Create Hydrogels with Just Five Amino Acids : हाल ही में कोलकाता में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत आने वाले बोस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक नई तकनीक विकसित की है, जिसके माध्यम से उन्होंने सार्स-सीओवी-1 वायरस के मात्र पांच अमीनो एसिड का उपयोग करके हाइड्रोजेल (Hydrogels) बनाने में सफलता पाई है। यह खोज दवा वितरण की विधियों में सुधार करने और दुष्प्रभावों को कम करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

Hydrogels : दवा वितरण के लिए उपयुक्त

हाइड्रोजेल (Hydrogels) को उनके सूजन व्यवहार, यांत्रिक शक्ति और जैव अनुकूलता के कारण दवा वितरण के लिए बेहद उपयुक्त माना जाता है। छोटे पेप्टाइड-आधारित हाइड्रोजेल में विविध अनुप्रयोगों की संभावना है, लेकिन इन प्रणालियों के जमाव को नियंत्रित करना हमेशा से एक चुनौती रही है। इस नई पद्धति के माध्यम से, शोधकर्ताओं ने इस समस्या को हल करने के लिए एक प्रभावी मार्ग खोजा है।

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बोस इंस्टीट्यूट के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर अनिरबन भुनिया के नेतृत्व में, शोधकर्ताओं ने सार्स-सीओवीई प्रोटीन के स्व-संयोजन गुणों का गहन अध्ययन किया। उनके निष्कर्षों से यह स्पष्ट हुआ कि केवल पांच अमीनो एसिड को पुनर्व्यवस्थित करने से अद्वितीय गुणों वाले पेंटापेप्टाइड्स से बने हाइड्रोजेल (Hydrogels) विकसित किए जा सकते हैं। यह तकनीक जर्नल 'स्मॉल' (विली) में प्रकाशित की गई है।

मेडिकल क्षेत्र में संभावित बदलाव

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस अनोखी खोज से चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति संभव है। अनुकूलन योग्य हाइड्रोजेल (Hydrogels) को लक्षित दवा वितरण में सुधार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे उपचार की प्रभावकारिता में वृद्धि हो सकती है और दुष्प्रभाव भी कम हो सकते हैं। इसके साथ ही, यह ऊतक इंजीनियरिंग में भी क्रांति ला सकता है, जो अंग पुनर्जनन में सहायता प्रदान कर सकता है।

वैश्विक सहयोग का महत्व

इस शोध में भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर, अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास रियो ग्रांडे वैली, और भारतीय विज्ञान संवर्धन संघ, कोलकाता के वैज्ञानिकों के साथ सहयोग किया गया है। यह वैश्विक सहयोग दर्शाता है कि विज्ञान की दुनिया में समस्याओं को हल करने के लिए साझा प्रयास कितने महत्वपूर्ण हैं।

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इस नई तकनीक की सफलता भारतीय वैज्ञानिकों की अद्वितीय प्रतिभा और नवाचार की क्षमता को उजागर करती है। हाइड्रोजेल (Hydrogels) की यह नई विधि न केवल दवा वितरण में सुधार लाएगी, बल्कि चिकित्सा विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। भारतीय वैज्ञानिकों का यह प्रयास निश्चित रूप से स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में नई संभावनाओं का द्वार खोलेगा।