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पत्रिका लाइफलाइन में बच्चों से जुड़े सवालों के जवाब यहां देखें

locationजयपुरPublished: May 14, 2021 10:58:22 pm

Submitted by:

Hemant Pandey

डॉ. दीपक शिवपुरी, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ
सवाल- यदि दूध पिला रही मां कोराना संक्रमित हो जाए तो क्या वह बच्चे को फीड करा सकती है?जवाब-बच्चे को आइसोलेट नहीं करें। बच्चे को साथ ही रखें। फीड कराना जारी रखें। फीड कराने से पहले साबुन से हाथ धोकर और मुंह पर मास्क लगाकर गोद में लेकर आराम से फीड कराएं। फीड से बच्चे को कोई नुकसान नहीं होगा।

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सवाल-कोरोना माहमारी छोटे बच्चों के लिए कितनी गंभीर है।
जवाब- देखिए यदि हम जनसंख्या में देखें तो 18 वर्ष से नीचे तक के बच्चों की जनसंख्या करीब 40 प्रतिशत है। कोविड पॉजिटिव की बात करें तो मात्र साढ़े आठ प्रतिशत ही हैं। मृत्यु की बात करें तो तीन प्रतिशत है। यानी की बड़ों के मुकाबले बच्चों को कोविड कम अफेक्ट कर रहा है। जिन बच्चों को पहले से अन्य बीमारिया हैं। जैसे, डायबिटीज, ओबेसिटी, लीवर, लंग्स, हार्ट से जुड़ी या अन्य कोई बीमारी पहले से हैं। उनको कोविड ज्यादा प्रॉब्लम कर रहा है। वैसे पैरेंट्स को घबराने की जरूरत नहीं है। बच्चों में माइल्ड डिजीज होती हैं। दवा देने से जल्दी ही ठीक हो जाती हैं।
सवाल- कहा जा रहा है कि छोटे बच्चों में कोरोना का नया स्टे्रन अधिक खतरनाक है। क्या कोरोना का दूसरा वेब अधिक खतरनाक है?
जवाब-पैरेंट्स को चाहिए कि घबराएं नहीं। जिनते ज्यादा पैनिक होंगे उतनी परेशानी बढ़ेगी। दूसरी वेव जो अभी चल रही है। वह पहली की अपेक्षा ज्यादा तेजी से फैल रही है। इसमें डेथ ज्यादा हो रही हैं। जैसा मैंने पहले भी बताया कि बच्चों में इसके माइल्ड लक्षण दिखाई दे रहे हैं। बड़ों की तुलना में बच्चे कम बीमार हो रहे हैं। ज्यादातर बच्चे डॉक्टर्स से ऑनलाइन इलाज लेकर ही ठीक हो रहे हैं। यदि बच्चों में गंभीर लक्षण आते हैं या बच्चा कोविड पॉजिटिव आता है, तो डॉक्टर को दिखाएं और डॉक्टर की बताई सावधानियों को फोलो करें। होम आइसोलेशन में रहते हुए डॉक्टर के सम्पर्क में रहें।
सवाल- बच्चों में कोरोना के लक्षण क्या हो सकते हैं?
जवाब- देखिए दो तरह के लक्षण हैं। साधारण और गंभीर जैसे जुकाम, खांसी, गले-हाथ पैरों में दर्द, बुखार, कमजोरी, सुस्ती, भूख नहीं लगना। लेकिन इस वेव में कुछ अलग लक्षण आ रहे हैं। पेट में दर्द, उल्टियां, पतले दस्त, बॉडी पर रेशेज-दानें, आंखें लाल होकर उसमें खुजली होना जैसे लक्षण दिख रहे हैं। इनके अलावा एक पोस्ट कोविड सिन्ड्रोम यानी जिनका कोविड ठीक हो गया है और तीन-चार हफ्तों बाद तेज बुखार आता है। अन्य लक्षणों में पेट से संबंधित परेशानी, सांस लेने में दिक्कत, बच्चा शॉक में जा सकता है। मल्टी ऑर्गन डिस फंक्शन हो सकता है। इसे गंभीरता से लें। ऐसी स्थिति में अपने डॉक्टर से तुरंत सम्पर्क करें। गंभीर लक्षणों की बात करें तो, तेज खांसी होना और बढ़ती ही जाना। सांस लेने में दिक्कत, पसली चलना। बच्चे का निढ़ाल होना, बेहोशी ओर जाना, हाथ पैर ठंडे-नीले पडऩा। पतले दस्त होना, डिहाड्रेशन होना, सेचुरेशन 94 से नीचे जाना। ऐसी स्थिति में तुरंत इमरजेंसी में दिखाएं।
सवाल- किस उम्र तक के बच्चों को शिशु रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए? बच्चों का ऑक्सीजन लेवल किस तरह से चैक करें ?
जवाब- अपने देश में 18 से नीचे तक की उम्र के बच्चों को बाल रोग विशेषज्ञों को दिखाया जाना चाहिए। जहां तक बात है पल्स ऑक्सीमीटर की तो इसे अंगुली में लगाया जाता है। किसी भी अंगुली पर लगा कर चेक किया जा सकता है। चाहे वह इंडेक्स फिंगर हो या मिडिल फिंगर। बस इस बात कर ध्यार रखें कि अंगुली गीली ना हो, ठंडी ना हो, उस नेल पॉलिस ना लगी हो। ऑक्सीमीटर की पकड़ अच्छी होनी चाहिए। टेढ़ा ना लगाएं। उसका अंगुली से कॉन्टेक्ट अच्छा होना चाहिए। उसे हल्का दबा कर भी रख सकते हैं। करीब दो मिनट तक लगा कर रखें। उसके बाद ही रीडिंग करें। यदि बच्चे की अंगुली पर फिट नहीं हो रहा है, तो उसके हाथ-पैर के अंगूठे पर भी लगा सकते हैं। थोड़ा दबा कर रखें। यदि पकड़ अच्छी नहीं होगी तो रिजल्ट गलत दिखाएगा। जिस अंगुली में रीडिंग अधिक दिखाए। उसी पर ही बार-बार चेक करें। फिर अंगुलियां बदले नहीं, आप कन्फ्यूज हो सकते हैं। हमें घर में अच्छी क्वालिटी का पल्स ऑक्सीमीटर घर में जरूर रखना चाहिए। दिन में कई बार ऑक्सीजन का स्तर नापें जो अधिक आए उसकी को मानना चाहिए।
सवाल-पांच माह का बच्चा है, उसे बुखार हो रहा है। शरीर विशेष गर्म रहता है। बच्चे के हाव भाव से लग रहा है कि उसे अधिक दर्द नहीं हो रहा है, तो ऐसे में हमें क्या करना चाहिए? एक साल के बच्चे का स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए क्या करना चाहिए?
जवाब- देखिए पैनिक ना हों। सिर गर्म होने से बुखार का पता नहीं लगता है। डिजिटल थर्मामीटर रखें और दो मिनट तक आर्मपिट में लगाकर कर दबाकर रखें। उसके रीडिंग लें। कई बार कमरा गर्म होने पर भी बच्चा गर्म हो जाता है। इससे भी पैरेंट्स समझ लेते हैं कि बुखार हो रहा है। यदि बगल में नापने पर 100 फारेनहाइट है तो उसे बुखार माना जाता है। यदि 100 से नीचे हैं तो उसे बुखार नहीं माना जाता है। डाक्टर से मिलने से पहले समय अनुसार बुखार का एक चार्ट बना लें। इससे डॉक्टर एनालिसिस करने में आसानी होगी। अब बात करते हैं कि क्या दवाई दें कि बच्चों की इम्युनिटी बढ़ें और वो बीमार नहीं पड़ें। देखिए, मल्टी विटामिन्स की बात करें, तो वह उन्हीं बच्चों के लिए फायदेमंद होती है, जिनमें उनकी कमी है। यदि कोई स्वस्थ बच्चा है तो विटामिंस की कमी नहीं है। नॉर्मल खाना खा रहा है, बैलेंस खाना खा रहा है। उसे इससे कोई विशेष फायदा नहीं होने वाला। इसके लिए आप च्यवनप्राश, ड्रायफ्रूट, नारियल पानी, दूध-हल्दी आदि का प्रयोग करें।
सवाल-मेरे बेटे का 21 अप्रेल की शाम को बुखार आया था। लेकिन अब कोई दिक्तत नहीं है। 8 मई को कोरोना की जांच भी करवाई थी, लेकिन रिपोर्ट में कोई निष्कर्ष नहीं लिखा है। आप क्या सलाह देंगे?
जवाब- देखिए बुखार आया था और अब बच्चा ठीक है। तो कोई परेशानी नहीं है। आरटीपीसीआर रिपोर्ट की चिंता ना करें। कई बार ठीक होने के बाद भी रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है। बस उसे दस दिन तक आइसोलेट रखना पड़ेगा। वैसे ठीक होने के बाद दोबारा कोरोना की जांच करना आवश्यक नहीं है। कई बार डेड वायरस की वजह से तीन माह तक पॉजिटिव रिपोर्ट आ सकती है। कई बार अलग-अलग लैब की अलग-अलग रिपोर्ट आ सकती है। चिंता ना करें। वह किसी को स्पे्रड नहीं करेगा। परिवार के सदस्य एक साथ रह सकते हैं।
सवाल-पैरेंट्स किस डॉक्टर की बात मानें। बहुत से डॉक्टर्स अपनी-अपनी सलाह देते हैं?
जवाब- आपको जिस डॉक्टर पर विश्वास हो उसकी बात मानें। जिस डॉक्टर से आप शुरू से दिखाते आ रहे हैं। उसे ही दिखाएं। बार-बार अलग-अलग लोगों या डॉक्टर्स की सलाह ना लें। कोविड में बच्चों के लिए विशेष दवाएं नहीं हैं। लक्षणों के अनुसार इलाज किया जाता है।
सवाल- मेरे बेटे की उम्र पांच साल है। दो दिन से बुखार आ रहा है। पहले दिन उल्टी भी हुई थी। अब कुछ खा नहीं रहा है। ये दवाइयां चल रही है। सलाह दें।
जवाब-कौनसी दवाएं चल रही हैं? थोड़ा दवाओं के बारे में बताते तो ठीक रहता। बिना दवाओं की जानकारी के बताना मुश्किल है। ये ही कहूंगा कि यदि उन दवाओं के देने से बच्चे में सुधार है तो उनको जारी रखें। तबीयत ठीक नहीं हो रही है, तो डॉक्टर से सम्पर्क करें। आगे की दवाओं के बारे में जानकारी लें। उन दवाओं को दिखाकर अन्य डॉक्टर से भी राय ले सकते हैं।
सवाल- मेरी पांच साल की बेटी बुखार से रिकवर हुई है, लेकिन उसके बांयीं तरफ सिरदर्द होता है?
जवाब- देखिए कोरोना में सिर में एक साइड दर्द नहीं होता है। यदि पहले भी सिर दर्द रहा होतो हो सकता है माइग्रेन हो। माइग्रेन का दर्द बार-बार रूक-रूक आता है। इसके साथ जी मिचलाना, उल्टी हो सकती है। यदि कोई घर में इसकी हिस्ट्री नहीं है। चिंता ना करें, दर्द निवारक दवा ले सकते हैं। एक-दो दिन देखें, ठीक नहीं होता है, तो डॉक्टर को दिखाएं।
सवाल- मेरे 9 साल की बेटी है। चार-पांच दिन से खांसी हो रही है। इलाज बताएं।
जवाब-पहले तो यह देखें कि परिवार में किसी को बुखार-खांसी या इस तरह लक्षण परिवार के किसी सदस्य को है या नहीं? या किसी ने कोरोना का टेस्ट काराया नहीं कराया? यदि खांसी है और घर में किसी को कोरोना है, तो सबसे पहले कोरोना टेस्ट कराना चाहिए। क्योंकि कोई भी खांसी कोरोना हो सकती है। जरूरी नहीं की उसमें फीवर हो। यदि मौसम चेंज होने पर यदि ऐसी खांसी होती है तो पहले जो इलाज लिया था उसे लें। यदि उससे ठीक नहीं हो तो आरटीपीसीआर कराएं। जिनको खांसी है वह डायरेक्ट पंखे के नीचे ना सोए, एसी-कूलर के सामने ना सोएं, धूल, धुआं, प्रदूषण, छौंकन आदि से बचे। इससे खांसी बढ़ सकती है।
सवाल- एक साल से सांस लेने में दिक्कत है। एलोपैथी व अन्य पैथी की दवाएं लंबे समय ले रहा है। लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है। इसे क्या करना चाहिए? राहुल, 15 वर्ष
जवाब- यदि एक साल से खांसी हो रही है, तो वह एलर्जी की खांसी हो सकती है। जिनसे इनकी खांसी बढ़ती है, उन चीजों से दूर रहें। इसमें खांसी की दवाओं की तुलना में इनहेलर पंप आदि अच्छा होता है। इनकी आदत भी नहीं पड़ती है। डाक्टरी राय से ही लें।
सवाल- इस समय बच्चों जो बुखार हो रहा है, क्या वह कोराना ही है? निशा अग्रवाल
जवाब-जी मान कर चलें की कोराना ही है। विशेषतौर जब, तब आपके घर में यदि किसी को कोराना है। जुकाम, खांसी, पेट दर्द आदि अन्य किसी सदस्य के है तो मान कर चलें कि वह कोरोना ही है। यदि 100 के आसपास फीवर है तो चिंता ना करें। दवा लेने पर भी कम नहीं हो रहा हो तो जांच जरूर कराएं। पॉजिटिव होने पर दवा लेते रहें और घर में अपने आप को आइसोलेट करें।
सवाल- 14 साल की बेटी है, इसको बार-बार छींकें आती हैं और नाक भी बहती है। क्या समस्या हो सकती है?
जवाब- यह नाक की एलर्जी की वजह से है। जिनसे आपको एलर्जी है उन चीजों से दूर रहें। आजकल नेजल स्पे्र आते हैं, उनका डॉक्टरी सलाह प्रयोग करें। इनसे दवा सीधे टाइगेट पर जाकर रोग निवारण करती है। इसलिए सावधानी रखें और दवाएं लेते रहें।
सवाल- मेरी बेटी दो वर्ष की है। उसको कभी-कभी छींके आती हैं। क्या उसे कोरोना है?
जवाब- यदि केवल छींकें ही आ रही हैं, बुखार नहीं है, सांस लेने में दिक्कत नहीं है। घर में किसी को कोरोना नहीं है। यदि छींकों की समस्या बार-बार होती है। तो यह कोरोना नहीं है। यदि जुकाम-खांसी बढ़ रही है। सांस लेने में दिक्कत हो रही है, बुखार आने लग गया, तो कोरोना का टेस्ट कराएं।
सवाल- मेरे बच्चे की उम्र 10 वर्ष है। उसको दिन में 7-8 बार छींके आती हैं। ऐसा क्यों हो रहा है?
जवाब-देखिए छींक अधिकतर एलर्जी के कारण ही होती हैं। यदि अन्य लक्षण बुखार-सांस लेने में दिक्कत आदि नहीं हैं तो कोरोना नहीं हैं। अनावश्यक घबराएं नहीं।
सवाल- मेरे बेटे की उम्र 15 वर्ष है। पेट में दर्द रहता है। अल्ट्रासाउंड करवाया है। रिपोर्ट भेज रहा हूं। कोई इलाज बताइए?
जवाब-यदि पेट का दर्द बार-बार नाभि के आसपास होता है और हल्का होता है, बच्चे के सोने के बाद वह उठकर दर्द के लिए नहीं कहता है, साथ ही दस्त, उल्टी, बुखार नहीं है, वजन कम नहीं हो रहा है तो पेट के दर्द की चिंता ना करें। यदि दर्द तेज, साइड लिवर आदि के आसपास है तो यह गंभीर स्थिति है। डाक्टर की राय लें। कब्ज भी बच्चे के पेट दर्द का कारण होती है। बच्चे को कब्ज ना होने दें। फाइबर, फल-सलाद खिलाएं, पानी अधिक पिलाएं, सुबह जल्दी उठाएं। जंक फूड ना दें।
सवाल- मेरी बेटी की उम्र 13 वर्ष की है। वह टाइप-1 डायबिटीक है। उसकी यह परेशानी दिसंबर 2018 में पता चली। वह दिन में चार बार इंसुलिन लेती है। अभी कोरोना को लेकर बहुत डर लग रहा है। कैसे बेटी को सुरक्षित रखा जा सकता है?
जवाब-इसके लिए दो बातों का ध्यान रखें। पहली यदि शुगर अंडरकंट्रोल है तो घबराएं नहीं, यदि आउट ऑफ कंट्रोल होती है, तो चिंता की बात है। दूसरी बात घर के बाहर मास्क लगा कर रहें, हाथ साबुन से धोते रहें। सर्दी-जुकाम से पीडि़तों से बचें। सावधानी रखें। घबराएं नहीं।
सवाल- मेरे आठ माह के बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है। हमेशा हल्का बुखार रहता है। शरीर पर धब्बे रहते हैं। कोई सलाह दें?
जवाब-बुुखार को डिजीटल थर्मामीटर से नापकर चार्ट बनाएं। 100 से ऊपर है तो बुखार है यदि नीचे है तो बुखार नहीं है। यदि बच्चा नॉर्मल खा पी रहा है तो घबराएं नहीं। एक बार वजन करवा कर देख लें। रही बात धब्बों की, तो यदि नीले धब्बे हैं तो चिंता की बात है। शीघ्र ही डाक्टर से परामर्श लें।
सवाल- क्या आने वाले समय में कोरोना का बच्चों की हाइट और वजन पर प्रभाव पड़ेगा?
जवाब-हाइट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। लम्बे समय तक बीमार होने पर ही हाइट पर प्रभाव पड़ता है। कोरोना होने पर भी हाइट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हां, वजन कम हो सकता है। लेकिन वह जल्दी ही कवर हो जाता है। चिंता की कोई बात नहीं है।
सवाल-मेरी बेटी 12 साल की है, उसे अस्थमा है। कोरोना से बचाव के लिए क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए? अनूप मित्तल
जवाब-जनरल सावधानियों के अलावा धूल, धुआं, प्रदूषण, ठंड से बचाव रखें। पंखा के बिल्कुल और कूलर, एसी के सामने न सोएं। खाने-पीने का ध्यान रखें। यदि पंप का इनहेलर ले रहे हैं, इसे नियमित उपयोग करें। समय-समय पर डॉक्टरी सलाह लेते रहें।
सवाल- क्या बाहरी खाना, जंक फूड बच्चों की सेहत के लिए सही है?
जवाब- बिल्कुल सही नहीं है। जंक फूड या बाहरी खाना सेहत के लिए बिल्कुल स्वास्थ्यवद्र्धक नहीं है। घर में बना खाना सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है।
सवाल- मेरे बच्चे की उम्र 9 वर्ष है। उसको दिन में 8-9 बार यूरिन के लिए जाना पड़ता है। इलाज बताइए?
जवाब-यदि बच्चा बार-बार पानी या अन्य तरल पदार्थ ले रहा है, तो यूरिन जाएगा ही। यदि आपको लग रहा है, पहले नहीं जाता था और अब जा रहा है तो एक बार यूरिन टेस्ट करवा लें। वैसे लगता नहीं कोई बड़ी समस्या होगी।
सवाल-क्या जो बच्चे कोराना पॉजिटिव हो जाते हैं, उन्हें निगलने में दर्द, या गले में घाव-अल्सर हो जाते हैं?
जवाब- पॉजिटिव आने पर गले में दर्द, कोरोना के कारण से होता है। इसके लिए अलग दवा की जरूरत नहीं है। दो-तीन दिन में अपने आप ठीक हो जाएगा। गुनगुना पानी पिलाएं, नमक-पानी के गरारे करें। शहद अदरक तुलसी लौंग का मिक्सर बनाकर थोड़ा-थोड़ा लें। शहद एक साल के बच्चे को बिल्कुल ना दें।
सवाल- कोरोना काल में हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
जवाब- पहली बात तो बिल्कुल घबराएं नहीं। बच्चों में कोरोना बहुत माइल्ड होता है। उनमें बहुत कम प्रॉब्लम आती हैं। जो गंभीर स्थितियां हैं, उनका ध्यान रखें। सांस लेने में समस्या, पेट दर्द, पसली चलना जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाएं। अनावश्यक खुद ब्लड टेस्ट-एक्स रे आदि ना कराएं। यह सब बच्चे की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। यदि बच्चा ठीक हो जाएं तो इसके बाद दुबारा कोरोना की जांच ना कराएं।
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