
Lipid profile test : कोलेस्ट्रॉल बढऩे से ब्लड फ्लो में रुकावट होती, जिससे दिल, दिमाग, किडनी और शरीर के निचले हिस्सों पर असर पड़ता है।
पहले की तुलना में लोग अब सेहत को लेकर अधिक जागरूक हो रहे हैं। इसके चलते न केवल डॉक्टरी सलाह को गंभीरता से लेते हैं बल्कि कुछ लोग तो बिना डॉक्टरी सलाह के ही खुद की जांचें करवा लेते हैं। लेकिन कई बार न केवल गलत और गैर जरूरी जांचें करवा लेते हैं बल्कि कई बार जांच के लिए जब सैंपल देते हैं तो उन्हें पता नहीं होता है कि सैंपल देने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। आजकल सबसे ज्यादा लिपिड प्रोफाइल को लेकर समस्या आ रही है। जानते हैं इसके बारे में-
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट?
लिपिड प्रोफाइल की जांच शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा चेक करने के लिए होती है। इसमें पता चलता है कि खून में कितना फैैट यानी वसा है। वसा में मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स होता है। ये फैट कोशिकाओं की हैल्थ के लिए जरूरी है। खराब खून की धमनियों को ब्लॉक करता, उसमें सूजन का कारण बनता है। इससे हृदय की क्षमता घटती है। हार्ट से संबंधित बीमारियों की आशंका बढ़ती है। लिपिड प्रोफाइल से इसकी पहले पहचान होती है।
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इसमें क्या जांच होती है
इसमें टोटल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, वीएलडीएल लेवल, नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल और टोटल कोलेस्ट्रॉल के बीच का अनुपात देखते हैं।
जांच करवाने से पहले...
टेस्ट से पहले 10-12 घंटे कुछ न खाएं यानी खाली पेट ही टेस्ट कराएं। इसे खाली पेट सुबह-सुबह कराएं। ऐसा करने से रिपोर्ट सही आती है। खाना खाने के बाद टेस्ट से ट्राइग्लिसराइड्स गड़बड़ आ सकता है। टेस्ट से पहले चाय-कॉफी आदि बिल्कुल ही न लें। एक दिन पहले रात में किसी प्रकार का नशा या हैवी डाइट न लें।
40 के बाद रुटीन टेस्ट?
इसी उम्र के बाद शरीर में नए सेल्स कम संख्या में बनते हैं जिससे कुछ बीमारियां जैसे शुगर, ब्लड प्रेशर और हार्ट डिजीज की आशंका बढ़ती है। वहीं महिलाओं में मेनोपॉज का समय होता है। इससे उनके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। इसलिए डॉक्टर रुटीन टेस्ट की सलाह देते हैं।
रुटीन टेस्ट क्यों जरूरी
- गंभीर और जानलेवा बीमारियों का जल्दी पता लग जाता है।
- बीमारी के गंभीर होने का जोखिम बहुत कम हो जाता है।
- बीमारी का जल्द पता लगने पर इलाज और उपचार में मदद मिलती है।
- मौजूदा स्थितियों की बारीकी से निगरानी कर जटिलताओं के जोखिम को सीमित किया जा सकता है।
- महंगी चिकित्सा सेवाओं से बचकर स्वास्थ्य देखभाल की लागत को कम किया जा सकता है।
किस टेस्ट का क्या अर्थ होता है
लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में मुख्य रूप से टोटल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल, एचडीएल और ट्राइ ग्लिसराइड्स का महत्व होता है। अन्य जांचें इन्हें सपोर्ट करती हैं।
गुड कोलेस्ट्रॉल: यह शरीर के लिए फायदेमंद होता है। यह खून की धमनियों में जमेे पदार्थों की सफाई करता है। इसकी अधिक मात्रा सेहत के लिए अच्छी होती है।
बैड कोलेस्ट्रॉल: हृदय रोगों के पीछे इसी कोलेस्ट्रॉल की भूमिका होती है क्योंकि यह खून की धमनियों को गंदा करता है। ब्लॉकेज करता है। इसकी जितनी मात्रा कम है, सेहत के लिए अच्छा है।
वीएलडीएल: यह भी एक प्रकार बैड कोलेस्ट्रॉल है। ये प्लैक बनाता है और ट्राइग्लिसराइड्स को भी साथ रखता है। इससे भी हृदय रोगों का जोखिम बढ़ता है।
ट्राइग्लिसराइड्स: इसकी थोड़ी मात्रा जरूरी है लेकिन ज्यादा मात्रा धमनियों की दीवार को कठोर करती है। इससे धमनियों में कड़ापन होता है। इसकी अधिकता से हार्ट डिजीज की आशंका बढ़ती है।
नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल: गुड कोलेस्ट्रॉल को छोडक़र जितने भी कोलेस्ट्रॉल होते हैं उसे नॉन एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। टोटल कोलेस्ट्रॉल-एचडीएल= नॉन-एचडीएल कोलेस्ट्रॉल है।
टोटल कोलेस्ट्रॉल: इसमें कुल कोलेस्ट्रॉल की गणना होती है यानी एचडीएल+एलडीएल+20 प्रतिशत ट्राइ ग्लिसराइड्स।
हाई रिस्क ग्रुप
फैमिली हिस्ट्री, वजन ज्यादा है, अल्कोहल-सिगरेट की आदत, खराब जीवनशैली, बीपी, शुगर या किडनी रोगी हैं तो 30 की उम्र से जांच कराएं।
रिपोर्ट दिखाना क्यों जरूरी
डॉक्टर को रिपोर्ट दिखाने से न केवल सही जानकारी मिलती है बल्कि खुद को भी भरोसा होता है। आगे की रणनीति का भी पता चलता है।
लिपिड प्रोफाइल बढ़ा है तो उसके क्या मायने हैं
- जिसका लिपिड प्रोफाइल बढ़ा हुआ है तो उसको हार्ट अटैक की आशंका को कई गुना बढ़ा देता है। बैड कोलेस्ट्रॉल आर्टरीज में जमा होने से ब्लॉकेज की आशंका रहती है।
- ब्लड फ्लो में रुकावट से दिल, दिमाग, किडनी और शरीर के निचले हिस्सों पर भी असर पड़ता है।
- हाई कोलेस्ट्रॉल आंखों की नसों को भी प्रभावित करता है। पलकों पर फैट जमने लगती है।
- लिपिड, फैट जैसा पदार्थ है, जो शरीर के लिए ऊर्जा का स्रोत है। यह ब्लड व टिश्यूज में जमा होता है और हमारे शरीर की सही कार्य प्रणाली के लिए बेहद जरूरी भी होता है।
डॉ. सुनील महावर, फिजिशियन, सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज
Updated on:
07 Oct 2023 11:04 am
Published on:
07 Oct 2023 10:58 am
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