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शरीर में मिनरल्स व पोषक तत्वों की कमी से भी मन में आते हैं निराशा व आत्महत्या के विचार

मानसिक बीमारी, अवसाद, शराब का सेवन, दुव्र्यवहार, हिंसा, सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि आत्महत्या के खतरे को बढ़ा रहे हैं।

जयपुरAug 09, 2020 / 11:35 pm

विकास गुप्ता

शरीर में मिनरल्स व पोषक तत्वों की कमी से भी मन में आते हैं निराशा व आत्महत्या के विचार

Lack of nutrients in the body leads to thoughts of suicide

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक पुरानी रिपोर्ट में भारत को विश्व की ‘सुसाइड कैपिटल’ बताया गया है। हर 40 सेकंड में दुनिया में कहीं न कहीं कोई व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। मानसिक बीमारी, अवसाद, शराब का सेवन, दुव्र्यवहार, हिंसा, सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि आत्महत्या के खतरे को बढ़ा रहे हैं। ऐसी निराशाजनक स्थिति में सेहत के मोर्चे पर ऐसा क्या किया जाए कि आत्महत्या की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जा सके। इसके लिए अमरीकी एक्वा हैल्थ ने एक फॉर्मूला बताया है जिसमें कुछ पोषक खनिज तत्वों को आधार बनाकर तन के जरिए मन की शक्ति को जगाने का प्रयास किया है।

नमक : अक्सर लोग खुद ही नमक की मात्रा कम लेने लगते हैं। ऐसा करना गलत है। इससे व्यक्ति को डिहाइड्रेशन होकर निम्न रक्तचाप की समस्या हो सकती है। इसलिए डॉक्टरी सलाह से ही नमक की मात्रा कम या ज्यादा लें।

कैल्शियम-
इस महत्वपूर्ण खनिज की कमी हमें बेहद कमजोर बना सकती है। कैल्शियम की कमी से होने वाला डिप्रेशन खासतौर पर महिलाओं में पीएमएस (मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं) और बुजुर्गों में असहाय शरीर होने पर जीवन के प्रति निराशा की सोच को बढ़ा सकता है।
स्रोत : दूध, दही व इनसे बनी चीजें, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, मेवे आदि।

आयरन-
कैल्शियम यदि शरीर का ढांचा बनाता है तो आयरन रूपी लौह तत्व उसमें प्राण भरता है। लाल रक्त कोशिकाओं के जरिए ऑक्सीजन का प्रवाह करने और मस्तिष्क व मांसपेशियों को ताकत देने का काम आयरन ही करता है। आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया से लाखों महिलाएं और बच्चे किसी न किसी रूप से प्रभावित होते हैं। इसकी कमी से थकान, निराशा और चिड़चिड़ापन होना सामान्य लक्षण है।
स्रोत : अनाज, गिरी वाले फल, टमाटर, चुकंदर, हरी पत्तेदार सब्जियां व फल।

मैगनीशियम-
यह शरीर में करीब 300 तरह के महत्वपूर्ण कार्य करता है। अच्छे मूड व खुशी को बढ़ाने वाले सेरेटोनिन नामक रसायन को पैदा करने व मानसिक स्थिति को सक्षम बनाए रखने में इसकी बड़ी भूमिका है।
स्रोत : दूध, बादाम, पालक, राजमा, खजूर, गाजर, नींबू, केला, पपीता।

ओमेगा-3-फैटी एसिड-
थकान, स्वभाव में बदलाव, याददाश्त में कमी और डिप्रेशन ओमेगा-3-फैटी एसिड की कमी से होता है। इसकी सही मात्रा मस्तिष्क के बुरे विचारों को नियंत्रित करने में मदद करती है।
स्रोत : तेल युक्तबीजों-मेवों जैसे अलसी, राई, सरसों, बादाम, कॉड लीवर ऑयल।

विटामिन बी 6
यह सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर यानी मौसम में बदलाव के कारण होने वाले तनाव को कम करने में मददगार है। इसकी कमी से एनीमिया, उलझन और अवसाद दूर होता है।
स्रोत : दूध-दही, सोयाबीन, टमाटर, आलू, केला, हरी सब्जियां, सूखे मेवे और दालों आदि में।

विटामिन बी 12
यह कोशिकाओं में पाए जाने वाले जीन को बनाने व उनकी मरम्मत में सहायता करता है। इसकी कमी से याददाश्त में कमी, थकान व डिप्रेशन आदि भी होते हैं।
स्रोत : दूध, दही, फलियों, टमाटर,आलू, केला, हरी सब्जियों में।

विटामिन डी-
इसकी कमी से न केवल डिप्रेशन बढ़ता है बल्कि कैंसर, रिकेट्स,
ऑस्टियोपोरेसिस,किडनी रोग, सर्दी-जुकाम, मोटापा, असमय बुढ़ापा जैसे रोग होते हैं।
स्रोत : गुनगुनी धूप से, दूध, पनीर व इनसे बनी चीजों से।

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