कोरोना के कर्मवीर: दो महिला इंजीनियरों की दोस्ती अब बन रही मिशाल
Published: Apr 07, 2020 05:55:56 pm
300 लोगों को जोडकऱ बुजुर्गों, बीमारी और महिलाओं को पहुंचा रही मदद
कोरोना के कर्मवीर: दो महिला इंजीनियरों की दोस्ती अब बन रही मिशाल
कोरोना से लड़ाई में पुरुष ही नहीं महिलाएं भी आगे बढकऱ जरूरतमंदों की मदद कर रही हैं। पुणे की दो महिला इंजीनियर दोस्तों ने पूरे शहर में मदद की दरकार लोगों को हर तरह की मदद पहुंचा रही हैं। इनका नाम सोनल रसल और गौरी फाल्के हैं। दोनों पेशे से ऑर्किटेक्ट इंजीनियर हैं और पिछले 28 वर्षों से दोस्त भी हैं। दोनों की पहल फ्रेंड@सीनियर सिटिजन्स के तहत पुणे में करीब 300 वॉलेंटियर्स बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं, बीमार और दूसरे लोगों की मदद कर रहे हैं।
पत्रिका संवाददाता हेमंत पांडेय से बातचीत में गौरी फाल्के ने बताया कि कोरोना के मामले बढऩे के बाद से अधिकतर बुजुर्ग, बीमारी घर में ही आइसोलेट हो गए। कुछ बुजुर्ग तो ऐसे भी हैं जो घर आकार काम करने वालों पर ही निर्भर हैं। अब काम करने वाले भी नहीं आ रहे हैं। टिफिन वाला डिब्बा नहीं पहुंचा रहे हैं। सोनल की जानने वाली एक बुजुर्ग महिला भी इस कारण परेशान थी कि उनकी दवाई और खाने की व्यवस्था कैसे होगी। फिर सोनल ने इन लोगों को मदद करने की इच्छा व्यक्त की। मैं पुणे की स्वच्छता कमेटियों से जुड़ी हूं। हर संडे सफाई अभियान पर निकलती हूं। इसलिए वह मुझे बोली। फिर हमने वॉट्सऐप गु्रप बनाया और लोगों से पूछना शुरू किया कौन है जो जरूरतमंदों की मुफ्त में मदद करेगा। हमें उम्मीद न थी कि पहले दिन ही करीब 100 लोग आगे आए। फिर हमने अपने नंबर वायरल कर दिया। पहले दिन से ही जरूरतमंद हमें फोन करते हैं और हम लोग उनकी जरूरत का सामान पहुंचा रहे हैं। अब तो कुछ लोग ऐसे लोगों के लिए खाने का पैकेट तैयार कर हमारी टीम को देते हैं। वॉलेंटियर लोगों तक पहुंचा रहे हैं।
गौरी ने बताया कि अब तक इस अभियान में 300 से अधिक लोग जुड़ गए हैं। 200 से अधिक लोग रोजाना मदद के लिए तैयार रहते हैं। पूरे शहर को 15 जोन में बांट दिया गया है। जिस जोन के वॉलेंटियर हैं उनको आसपास के लोगों को मदद के लिए भेजा जाता है। अभी तक हजारों लोगों को पहुंचाई जा चुकी है।