
Neurological disorders headache nervousness anxiety sign of serious illness Know the opinion of AIIMS and SMS jaipur doctor
Neurological disorders : मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे जटिल और महत्वपूर्ण अंग है, जो हमारी सोच, याददाश्त और भावनाओं को नियंत्रित करता है। लेकिन जब मस्तिष्क में कोई न्यूरोलॉजिकल (Neurological) या मानसिक समस्या उत्पन्न होती है, तो यह न केवल हमारी दिनचर्या को प्रभावित करती है, बल्कि गंभीर बीमारियों का संकेत भी हो सकती है। अल्जाइमर, स्ट्रोक, माइग्रेन, एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी समस्याओं को समय रहते पहचानना और सही उपचार लेना बेहद जरूरी है। इस लेख में हम डॉ. दिनेश खंडेलवाल, डीएम न्यूरोलॉजी (एम्स), वर्तमान में एसएमएस मेडिकल कॉलेज, जयपुर की राय के आधार पर मस्तिष्क से जुड़ी महत्वपूर्ण समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा करेंगे।
हरप्रीत कौर पूछती हैं कि क्या अल्जाइमर सिरदर्द और याददाश्त की कमजोरी के साथ शुरू हो सकता है?
विशेषज्ञ की राय: अल्जाइमर धीरे-धीरे याददाश्त और संज्ञानात्मक क्षमताओं को प्रभावित करता है। प्रारंभिक लक्षणों में हल्की भूलने की समस्या, निर्णय लेने में कठिनाई और ध्यान में कमी शामिल हो सकती है।
मोहित तेजवानी को अक्सर घबराहट होती है, तो क्या यह एंग्जायटी डिसऑर्डर की शुरुआत हो सकती है?
विशेषज्ञ कहते हैं: अत्यधिक चिंता, घबराहट, नींद न आना और हृदय गति बढ़ना एंग्जायटी (Anxiety) के लक्षण हो सकते हैं। यदि यह लंबे समय तक बना रहता है, तो चिकित्सकीय परामर्श लेना जरूरी है।
जोसफ फ्रांसिस जानना चाहते हैं कि क्या डिप्रेशन मस्तिष्क की बीमारी का संकेत है और इसे कैसे पहचाना जाए?
उत्तर: डिप्रेशन केवल मानसिक नहीं, बल्कि न्यूरोलॉजिकल असंतुलन से भी जुड़ा हो सकता है। लगातार उदासी, ऊर्जा की कमी, नींद में बदलाव और आत्महत्या के विचार गंभीर संकेत हैं।
लेखराज शर्मा पूछते हैं कि क्या पैनिक अटैक मस्तिष्क की बीमारी का परिणाम हो सकता है?
उत्तर: पैनिक अटैक के दौरान अत्यधिक डर और बेचैनी महसूस होती है। यह मानसिक तनाव से संबंधित हो सकता है, लेकिन न्यूरोलॉजिकल कारणों की जांच आवश्यक होती है।
मोहिनी सिंह को जानना है कि क्या ब्रेन ट्यूमर याददाश्त और सोचने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है?
उत्तर: हां, ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क की उस हिस्से को प्रभावित कर सकता है जो मेमोरी और निर्णय क्षमता को नियंत्रित करता है। सिरदर्द, दृष्टि दोष और उलझन इसके संकेत हो सकते हैं।
नंदनी कुशवाहा सिर के एक हिस्से में दर्द और उलझन महसूस करती हैं, तो क्या यह माइग्रेन है?
उत्तर: माइग्रेन में सिर के एक तरफ तेज दर्द, रोशनी-संवेदनशीलता और मतली हो सकती है। लेकिन अगर यह बहुत ज्यादा हो रहा है, तो न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
जेनम पालिवाल पूछती हैं कि स्ट्रोक अचानक आता है या इसके लक्षण पहले से होते हैं?
विशेषज्ञ की राय: स्ट्रोक के दौरान अचानक शरीर के एक तरफ कमजोरी, बोलने में कठिनाई और चक्कर आना महसूस हो सकता है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी होती है।
विनय शर्मा को अक्सर याददाश्त की समस्या होती है, तो क्या यह डिमेंशिया का संकेत हो सकता है?
उत्तर: डिमेंशिया स्मरणशक्ति में गिरावट, निर्णय लेने की क्षमता में कमी और भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है। उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या गंभीर हो सकती है।
सीमा भारद्वाज को अत्यधिक चिंता होती है, तो क्या यह ओसीडी की शुरुआत हो सकती है?
उत्तर: ओसीडी (Obsessive-Compulsive Disorder) में व्यक्ति बार-बार एक ही विचारों में उलझा रहता है। यह चिंता विकारों से संबंधित है और चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है।
एक दर्शक पूछते हैं कि क्या पार्किंसन जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियां मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती हैं?
उत्तर: हां, पार्किंसन और अल्जाइमर जैसे रोग न केवल शरीर, बल्कि मानसिक स्थिति को भी प्रभावित कर सकते हैं, जिससे अवसाद और चिंता बढ़ सकती है।
यशवंत जैन जानना चाहते हैं कि क्या मस्तिष्क की चोट से व्यवहार बदल सकता है?
उत्तर: सिर में चोट लगने से मस्तिष्क के उस हिस्से पर प्रभाव पड़ सकता है जो व्यवहार और भावनाओं को नियंत्रित करता है, जिससे अचानक गुस्सा या अवसाद हो सकता है।
दिलीप साहू को अजीब हलचल और असमर्थता महसूस होती है, तो क्या यह एपिलेप्सी का संकेत हो सकता है?
उत्तर: यदि शरीर में झटके, बेहोशी और अजीब संवेदनाएं महसूस हो रही हैं, तो यह मिर्गी (एपिलेप्सी) के संकेत हो सकते हैं।
पूजा रॉय जानना चाहती हैं कि क्या मानसिक बीमारी से मस्तिष्क की कोशिकाएं प्रभावित हो सकती हैं?
उत्तर: लंबे समय तक तनाव और अवसाद मस्तिष्क की संरचना को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन सही उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
केशव सोमानी पूछते हैं कि क्या मस्तिष्काघात के बाद विशेष पुनर्वास की जरूरत होती है?
विशेषज्ञ की राय: हां, स्ट्रोक के बाद फिजियोथेरेपी, न्यूरोथेरेपी और मानसिक पुनर्वास बहुत जरूरी होता है, ताकि मरीज धीरे-धीरे अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं को दोबारा प्राप्त कर सके।
मस्तिष्क और मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर कोई भी लक्षण लंबे समय तक बना रहता है, तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लें। सही समय पर उपचार से गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार, व्यायाम और सकारात्मक सोच को अपनाना जरूरी है।
Published on:
28 Mar 2025 11:57 am
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