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प्लाजमा थैरेपी: संक्रमण से बचाता है एंटीबॉडीज

locationजयपुरPublished: Aug 11, 2020 09:33:54 pm

Submitted by:

Hemant Pandey

कोविड-१९ के मरीजों का इलाज प्लाजमा थैरेपी करने की बात हो ती है। यह पीले रंग का खून में मिलने वाला तरल पदार्थ है जो लाल-श्वेत रक्त कणिकाओं और प्लेटलेट्स से बना होता है। जानते हैं इस थैरेपी के बारे में।

प्लाजमा थैरेपी: संक्रमण से बचाता है एंटीबॉडीज

प्लाजमा थैरेपी: संक्रमण से बचाता है एंटीबॉडीज

संक्रमण से ऐसे बचाता है
जब कोई वायरस हमला करता है तो शरीर में उससे एंटीबॉडीज कहे जाने वाले एक प्रोटीन भी बनाता है। अगर वायरस से संक्रमित व्यक्ति के ब्लड में पर्याप्त मात्रा में एंटीबॉडीज बनता है तो बीमारी ठीक हो जाती है। प्लाज्मा थैरेपी में वही एंटीबॉडीज दूसरे मरीजों को ठीक करता है।
सार्स में भी था कारगर
प्लाज्मा में प्रोटीन, एंटीबॉडीज एवं एंजाइम के साथ पानी भी होता है। प्लाज्मा थैरेपी कई गंभीर बीमारियों में फायदेमंद है। एचएन १ और सार्स में भी इसके लाभ देखे जा चुके हैं।
डोनर कौन
कोरोना से संक्रमित व्यक्ति ठीक होने के २८ दिन या १४ दिन बाद दो बार नेगेटिव होने के बाद प्लाज्मा डोनेट कर सकते हंै। २४ घंटे के अंतराल के बाद दोबारा भी डोनेट कर सकते हैं। कुछ जाचें होती हैं।
१-३ घंटे लगते
प्लाज्मा थैरेपी में एक से तीन घंटे का समय लगता है। यह संट्रीफ्यूज और सपरेटर मशीन दो तरीके से निकालते हैं। ६०० मिली. तक निकालते हैं।
ये सावधानियां जरूरी
डोनर को अचानक चक्कर आना, बीपी कम होना, अचेत हो जाना, कमजोरी आ जाना जैसे लक्षण आ सकते हैं। वहीं मरीज में रिएक्शन, एचआईवी, हेपेटाइटिस आदि संक्रमण की आशंका रहती है। नस खराब हो जाना, धुंधला दिखाई दे सकता है।
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