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क्या रात में पैरों में चुभन-झनझनाहट आपको सोने नहीं देती? ये सामान्य नहीं, RLS का संकेत हो सकता है!

RLS symptoms: महिलाओं में पैरों में बैचैनी की समस्या पुरुषों की तुलना में दोगुना होती है ।इसकी पहचान और इलाज समय पर आवश्यक है।आइए जानते है कि महिलाओं में यह समस्या ज्यादा क्यों होती है।

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restless legs sindrome

restless legs sindrome (photo- gemini ai)

RLS symptoms: क्या आपको भी रात को सोते समय पैरों में चुभन, झनझनाहट या बेचैनी महसूस होती है? कभी-कभी ऐसा लगता है कि पैर हिलाए बिना राहत ही नहीं मिलती। थोड़ी देर टहलने या पैर हिलाने पर आराम मिलता है, लेकिन लेटते ही फिर वही बेचैनी शुरू हो जाती है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो इसे थकान या कमजोरी समझकर नजरअंदाज न करें। यह Restless Legs Syndrome (RLS) का लक्षण हो सकता है। यह एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जो महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता है। आइए जानते हैं, आखिर महिलाओं में RLS के कारण क्या हैं।

आयरन की कमी (Iron Deficiency)

महिलाओं में पीरियड्स, प्रेगनेंसी और शारीरिक बदलावों की वजह से आयरन की कमी (एनीमिया) बहुत आम है। आयरन सिर्फ खून नहीं बढ़ाता, बल्कि दिमाग के उस हिस्से को भी प्रभावित करता है जो पैरों की नसों और न्यूरॉन्स को नियंत्रित करता है।
इस कमी के चलते दिमाग पैरों को गलत या ज़रूरत से ज्यादा सिग्नल भेजता है, जिसके कारण रात में बेचैनी और झनझनाहट शुरू हो जाती है। इसलिए महिलाओं में RLS अधिक पाया जाता है।

हार्मोनल बदलाव (Hormonal Changes)

महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बार-बार बदलता है। यह बदलाव खासतौर पर इन स्थितियों में अधिक होता है प्रेगनेंसी, पीरियड्स, मेनोपॉज इन उतार-चढ़ावों का असर डोपामाइन नामक न्यूरोट्रांसमीटर पर पड़ता है, जो पैरों की मूवमेंट को नियंत्रण में रखता है। डोपामाइन में असंतुलन होने पर पैरों में बेचैनी, घबराहट और झनझनाहट बढ़ जाती है।

कुछ मेडिकल स्थितियां और दवाएं

महिलाओं में माइग्रेन, अनिद्रा, थायरॉयड, तनाव और एंग्जायटी जैसी समस्याएं अधिक होती हैं। इन बीमारियों में ली जाने वाली कई दवाएं भी पैरों में बेचैनी को ट्रिगर कर सकती हैं। अकसर देखा गया है कि दवा लेने के बाद पैरों में अजीब सी हरकत, हल्की चुभन और बेचैनी महसूस होने लगती है।

आनुवंशिक कारण (Genetics)

यदि परिवार में किसी सदस्य को Restless Legs Syndrome है, तो महिलाओं में यह समस्या जल्दी विकसित हो सकती है।
जेनेटिक्स इसका एक बड़ा कारण माना जाता है। शुरुआती लक्षण पहचानने पर इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

उम्र और लाइफस्टाइल का असर

30 साल की उम्र के बाद शरीर में कई बदलाव शुरू हो जाते हैं। महिलाओं में अधिक थकान, एक्सरसाइज की कमी, ज्यादा समय बैठकर काम, तनाव इन सभी कारणों से RLS के लक्षण बढ़ जाते हैं। इसी वजह से उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या महिलाओं में ज्यादा दिखाई देती है, जबकि पुरुषों में अपेक्षाकृत कम होती है।