
Saiyaara Vaani Had Alzheimers : 'सैयारा' में जो दिखाया, क्या वो मुमकिन है? क्या 20 की उम्र में भी हो सकती है अल्जाइमर बीमारी? (फोटो सोर्स: AI Image@Gemini/aneetpadda instagaram)
Saiyaara Vaani Had Alzheimers : अहान पांडे और अनीता पड्डा की फिल्म 'सैयारा' ने भले ही एक लव स्टोरी के रूप में एंट्री मारी हो पर इसने एक ऐसे गंभीर मुद्दे को छुआ जिस पर शायद ही कभी खुलकर बात होती है: अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर रोग। ये वो बीमारी है जो धीरे-धीरे हमारी याददाश्त, सोचने-समझने की शक्ति और तर्क करने की क्षमता को खत्म कर देती है।
फिल्म (Saiyaara) में 22 साल की वाणी (अनीता पड्डा) को याददाश्त खोने (Saiyaara Vaani Had Alzheimers) के लक्षण दिखते हैं। पहले तो सब इसे भुलक्कड़पन मान लेते हैं पर जल्द ही असली बात सामने आती है। जब वाणी बेहोश होकर अस्पताल जाती है तो वो अपने भाई की उम्र या आज की तारीख तक याद नहीं कर पाती। यहीं उसे अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर की बीमारी का पता चलता है।
हालांकि, फिल्म (Saiyaara) इस बात पर फोकस करती है कि कैसे ये बीमारी वाणी और कृष के रिश्ते को बदल देती है पर न्यूरोलॉजिस्ट मानते हैं कि फिल्मी कहानी असलियत से काफी अलग है।
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. राजुल अग्रवाल बताते हैं कि अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर (Alzheimers) 65 साल से कम उम्र वालों को होता है, पर कभी-कभी ये 30 या 40 की उम्र में भी हो सकता है। अल्जाइमर एक दिमागी बीमारी है, जो आमतौर पर 65 की उम्र के बाद धीरे-धीरे बढ़ती है। 20 की उम्र में होना बेहद दुर्लभ है। फिल्म ‘Saiyaara’ में वाणी का अचानक सब भूल जाना या बेहोश होना अल्जाइमर के लक्षण नहीं हैं। असली लक्षणों में हाल की बातें भूलना, सोचने में दिक्कत और नए काम सीखने से डर लगना शामिल है। फिल्म में बीमारी को ड्रामेटिक तरीके से दिखाया गया है, जबकि असल में इसका पता दिमागी जांच और मेमोरी टेस्ट से चलता है।
डॉ. राजुल अग्रवाल कहते हैं कि वाणी (22 साल) जितनी कम उम्र में ये बीमारी होना बेहद दुर्लभ है, पर असंभव नहीं। डॉ. ने बताया कि 20 की उम्र में ऐसा होना बहुत ही कम होता है और अक्सर आनुवंशिक कारणों से होता है।
'Saiyaara' में वाणी को बेहोशी, चक्कर और याददाश्त में कमी दिखाई गई है। डॉ. सिंगला साफ कहते हैं ये अल्जाइमर के लक्षण नहीं हैं। अल्जाइमर ऐसे नहीं दिखता।"
फिल्म में वाणी को जब अपने पुराने मंगेतर को देखकर पिछले छह महीने याद नहीं रहते तो विशेषज्ञ इसे अतिशयोक्ति मानते हैं। बीमारी का इतनी तेजी से बढ़ना भी असल जिंदगी में नहीं होता।
डॉ. राजुल अग्रवाल कहते हैं, फिल्म है तो उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना पड़ता है। असल में ऐसा नहीं होता। जिसे डिमेंशिया या डिप्रेशन होता है उसके लक्षण तेजी से बिगड़ते हैं। अल्ज़ाइमर सदमे से शुरू नहीं होता, हां, डिमेंशिया सदमे से हो सकता है।" फिल्म में ये सब मसाला डालने के लिए किया गया है।
भले ही फिल्म में कुछ बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई गई हों पर इसने याददाश्त की कमी और अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर पर बात शुरू करने की जरूरत को जरूर सामने लाया है।
'सैयारा' में वाणी जिस तरह से चीजें भूलती है, वो कभी-कभी सामान्य लग सकती है, पर अल्जाइमर के असली शुरुआती संकेत कुछ और होते हैं:
हाल की बातचीत भूल जाना, सिर्फ नाम नहीं: अगर कोई पूरी बातचीत ही भूल जाए, न कि सिर्फ नाम, तो ये चिंता की बात हो सकती है।
समय का उलझाव: तारीख या समय का पता न चलना, जैसे सुबह का काम पिछले हफ्ते का लगना।
पसंदीदा कामों से दूरी: बिना किसी साफ वजह के अपने शौक या काम से दूर होते जाना।
अजीब जगहों पर चीजें रखना: चाबियां फ्रिज में या फोन जूते के रैक में रखना।
बातचीत के बीच में शब्द भूलना: आसान शब्द भी याद न आना या उनकी जगह दूसरे शब्द इस्तेमाल करना।
रोजमर्रा के कामों में बदलाव: खाना बनाने, हिसाब-किताब करने या फोन चलाने जैसे सामान्य कामों में भी उलझन होना।
हां, अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर होता है, पर 30 से कम उम्र वालों में ये बेहद दुर्लभ है। अल्जाइमर एसोसिएशन के मुताबिक, 5% से भी कम मामलों में ये 65 से पहले होता है, और 20 की उम्र में तो लगभग हमेशा ये आनुवंशिक कारणों से जुड़ा होता है।
20 की उम्र में याददाश्त की समस्या ज्यादातर तनाव, चोट, विटामिन की कमी (जैसे B12), थायरॉयड की गड़बड़ी, या डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं के कारण होती है, न कि अल्जाइमर से।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।
Updated on:
24 Jul 2025 02:22 pm
Published on:
24 Jul 2025 02:14 pm
बड़ी खबरें
View Allस्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
