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सर्दी के दिनों में सुबह उठने का नहीं करता है मन तो हो जाएं सावधान, वजह है खतरनाक

सर्दियों के मौसम में लोगों को नींद ज्‍यादा आती है। इस मौसम में आलस इतना बढ़ जाता है कि लोगों को सुबह जल्‍दी उठने का मन नहीं करता है। लोगों का मन रजाई से निकलने का नहीं होता है। लेकिन ऐसा क्यों होता है। दरअसल, सर्दियों में रातें लंबी और दिन छोटे होते हैं। इस मौसम में सूरज की रोशनी बहुत कम हो जाती है। ऐसे में शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है। जिस वजह से शरीर में सुस्ती और ज्‍यादा नींद आती है।

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जयपुर

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Jyoti Kumar

Oct 07, 2023

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Laziness in Winter

Laziness in Winter: सर्दियों के मौसम में लोगों को नींद ज्‍यादा आती है। इस मौसम में आलस इतना बढ़ जाता है कि लोगों को सुबह जल्‍दी उठने का मन नहीं करता है। लोगों का मन रजाई से निकलने का नहीं होता है। लेकिन ऐसा क्यों होता है। दरअसल, सर्दियों में रातें लंबी और दिन छोटे होते हैं। इस मौसम में सूरज की रोशनी बहुत कम हो जाती है। ऐसे में शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है। जिस वजह से शरीर में सुस्ती और ज्‍यादा नींद आती है।

सर्दियों में ज्‍यादा नींद आने का यही कारण है। सर्दियों के दौरान शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। मेला‍टोनिन ज्‍यादा और गहरी नींद के लिए जिम्‍मेदार होता है। इस हार्मोंन का स्तर बढ़ने से भी ज्यादा नींद आती है। मेलाटोनिन हार्मोन का ज्‍यादा बढ़ना हमारे स्लीपिंग पैटर्न में गड़बड़ी पैदा कर देता है। इसी वजह से कुछ लोगों को सर्दी के मौसम में पूरे-पूरे दिन आलस बना रहता है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, हमारे शरीर में सोने की आदत सर्केडियन प्रक्रिया से प्रभावित होती है। सर्केडियन प्रॉसेस हमारे शरीर का अंदरुनी टाइम टेबल है। हर कोशिका इसी के मुताबिक अपना काम करती है। हमारी जैविक घड़ी पर कई चीजों का असर पड़ता है। इसमें पर्यावरण, तापमान, सूरज की रोशनी जैसी कई चीजों के साथ एकरूपता आती है। इस पर पूरी सर्केडियन प्रतिक्रियाएं निर्भर करती हैं। मौसम बदलने का असर सर्केडियन प्रक्रिया पर भी पड़ता है। इससे हमारी जैविक घड़ी में भी मामूली बदलाव होने लगता है। यही कारण है कि बहुत ज्‍यादा सर्दी में सोने का समय भी प्रभावित होता है।

प्रकाश हमारे दिमाग के उस खास हिस्से को उत्‍तेजित करता है, जहां मेलाटोनिन हार्मोन रिलीज होता है। यह शरीर में कुदरती तौर पर बनता है। इसी के कारण नींद आती है। रोशनी कम होने पर शरीर को संकेत जाता है कि अब सोने का टाइम हो गया है। सुबह में मेलाटोनिन बहुत कम हो जाता है। इससे शरीर में स्फूर्ति लौट आती है और आलस चला जाता है। लेकिन, सर्दियों में रोशनी कम होने से मेलाटोनिन का प्रभाव बना रहता है। इसी वजह से हम सर्दियों में ज्यादा देर तक सोते रहते हैं।

सर्दियों में ज्यादा नींद से बचने के लिए डॉक्‍टर्स कई उपाय सुझाते हैं। सर्दियों में व्यायाम की कमी, ज्‍यादा तला-भुना या हैवी खाने की आदत, खराब लाइफस्टाइल, धूप न लेना, कमजोर इम्यूनिटी, सर्दी-जुकाम और फ्लू के कारण भी ज्‍यादा नींद आ सकती है। ज्‍यादा नींद से बचने के लिए दिन के समय ज्‍यादा से ज्‍यादा सूरज की रोशनी लेने की कोशिश करें। कोशिश करें कि हर 30 मिनट तक व्यायाम कर सकें। दिन में सोने से बचने के लिए खुद को व्‍यस्‍त रखें। कमरे के तापमान को नियंत्रित रखें। सर्दियों में डिनर में ज्‍यादा खाने से बचें। सर्दियों में हरी पत्तेदार सब्जियों और मौसमी फलों का सेवन करना बेहतर रहता है। भोजन में ज्‍यादा प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।