
एसएमएस अस्पताल के कॉडियक सर्जन और डॉक्टर्स ने छोटे-सिंगल चीरे से ओपन हार्ट सर्जरी कर और मरीज को नया जीवन देकर बड़ा कीर्तिमान गढ़ा है। यूरोप, अमेरिका सहित भारत के अन्य कार्डियक सेन्टर्स पर अभी यह असंभव ही है, जिसे यहां की टीम ने कर दिखाया। पिछले मंगलवार को हुए इस ऑपरेशन को लेकर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉड्र्स के लिए दावेदारी भेजी गई है। कॉर्डियोथोरोसिक विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल शर्मा और उनकी टीम ने यह ऑपरेशन किया।
बॉडी में डिसिचुरेटेड अवस्था के दौरान बल्ड सर्कुलेट होने की इस बीमारी को ट्रेटोलॉजी ऑफ फैलोट कहते हैं। डॉ. शर्मा ने बताया कि यह बीमारी 1000 मरीजों में एक को होती है। मरीज की छाती की हड्डी काटकर इसका ऑपरेशन किया जाता है। यह जटिल प्रक्रिया है। इसमें मरीज की जांघ में फेमोरो-फेमोरल केन्युलेशन के लिए 4 सेमी का एक चीरा और 3 अतिरिक्त चीरे लगाने पड़ते हैं। लेकिन, पहली बार डॉ. शर्मा और उनकी टीम ने डबल चैम्बर राइट वेंट्रिकल विथ वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट विथ पल्मोनरी स्टेनोसिसज नामक इस बीमारी को छाती के बायीं ओर छोटा चीरा लगाकर ठीक कर दिया।
महज 50 हजार में मिला नया जीवन
जानकारी के मुताबिक मथुरा निवासी बच्चूसिंह की पुत्री अंजू (16) को टीओएफ रोग और दिल में छेद था। पल्मोनरी वाल्व भी सिकुड़ा हुआ था। इससे सांस में तकलीफ हो रही थी। डॉ. शर्मा के अनुसार पेट में आफरा और लीवर में सूजन के साथ दिल में वेंट्रिकुल सेप्टल डिफेक्ट (छेद) था। इसे टीओएफ कहते हैं। ऐसी स्थिति मेें सामान्य प्रक्रिया में छेद बंद होने से ट्राईकस्पिड वॉल्व के लीक होने का खतरा भी था। डॉक्टर्स ने इसके लिए कोर्डल री-इम्पलांटेशन करना उचित समझा। ओपन हार्ट सर्जरी का खर्च औसतन 5-6 लाख रुपए होता है लेकिन अस्पताल में मरीज को 50 हजार रुपए में सम्पूर्ण इलाज मिल गया।
डॉ. अनिल ने दावा किया कि कॉडियोलॉजी के इतिहास में दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है। कन्वेशनल कॉर्डियक सर्जरी से बेस्ट मिडलाइन सर्जरी में मरीज की छाती के हड्डी काटनी पड़ती है। छोटे चीरे से छाती के बांयी ओर औसतन 6 सेमी का चीरा लगाते हैं। लेकिन, यहां कम खर्च और उपलब्ध संसाधनों से डॉक्टरों ने बिना अतिरिक्त चीरा लगाए ऑपरेशन किया।
&कॉर्डियक सर्जरी के रूइतिहास में यह पहला ऐसा केस है। फिलहाल ये ऑपरेशन 15 किलो से अधिक वजनी बच्चों के किए जाएंगे। बाद में कम भार के बच्चों के ऑपरेशन शुरू किए जाएंगे।
डॉ. अनिल शर्मा, विभागाध्यक्ष, सीटीवीएस, एसएमएस अस्पताल
&ऑपरेशन की पहले संभावनाएं देखी गई। केडेवर देखकर प्लानिंग के साथ सर्जरी की गई। छोटे चीरे से ऑपरेशन करना अंसभव माना जाता रहा है लेकिन विभाग ने कर दिखाया। लीवर ट्रांसप्लांट, हार्ट सर्जरी के बाद लक्ष्य हार्ट ट्रांसप्लांट का है।
डॉ. यूएस अग्रवाल, प्रधानाचार्य व नियंत्रक, एसएमएस अस्पताल
पहली बार में सफल
4 घंटे चला ऑपरेशन
5 डॉक्टरों की टीम ने किया ऑपरेशन
पहली बार में कर दिया सफल
सीमित संसाधनों, बिना अतिरिक्त उपकरणों के सफल
कॉर्डियक सर्जन ने भी माना, ऐसा पहली बार हुआ
Published on:
24 Feb 2017 11:25 am
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