
Foot health Warning Signs : पैरों के ये 8 लक्षण हो सकते हैं गंभीर बीमारियों के अलार्म (फोटो सोर्स: AI Image@Gemini)
Foot health Warning Signs : क्या आपने कभी सोचा है कि दिन भर आपका साथ निभाने वाले ये पैर सिर्फ चलने के लिए नहीं बने हैं। आपके पैर आपकी सेहत के कई बड़े राज खोल सकते हैं। अक्सर हम पैरों की छोटी-मोटी परेशानियों को नजरअंदाज कर देते हैं पर यही छोटे बदलाव किसी बड़ी बीमारी का पहला इशारा हो सकते हैं। तो चलिए जानते हैं, आपके पैर आपको कौन से 8 महत्वपूर्ण संकेत दे रहे हैं जिन्हें समझना आपके लिए बेहद जरूरी है।
अगर आपके पैरों या टखनों में बार-बार सूजन आती है तो इसे हल्के में न लें। यह शरीर में पानी जमा होने का संकेत हो सकता है जो दिल, किडनी या लिवर की समस्याओं की ओर इशारा करता है। प्रोटीन, विटामिन बी12 और फोलेट की कमी से भी खून का दौरा खराब होता है और सूजन आ सकती है। अगर अचानक सूजन के साथ लालिमा और दर्द हो तो यह खतरनाक ब्लड क्लॉट भी हो सकता है।
क्या करें: पैरों को ऊंचा रखें, नमक कम खाएं। प्रोटीन और विटामिन से भरपूर चीजें खाएं। हल्के पैर के व्यायाम ब्लड सर्कुलेशन सुधारते हैं।
टखनों का दर्द हमेशा चोट या गठिया की वजह से नहीं होता। विटामिन डी और कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। मैग्नीशियम की कमी से मांसपेशियों में ऐंठन और जोड़ों में दर्द होता है। नसों की दिक्कत या खराब खून का दौरा भी दर्द का कारण बन सकता है।
क्या करें: विटामिन डी, कैल्शियम और मैग्नीशियम से भरपूर डाइट लें। फिजियोथेरेपी भी बहुत मदद करती है।
पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन अक्सर नर्व डैमेज के लक्षण होते हैं जो आमतौर पर डायबिटीज से जुड़े होते हैं। विटामिन बी12 और विटामिन ई की कमी भी इसमें शामिल है, क्योंकि ये नसों के लिए जरूरी हैं। मैग्नीशियम और पोटेशियम की कमी से मांसपेशियों की कमजोरी और नसों की दिक्कतें और बढ़ जाती हैं।
क्या करें: तुरंत अपने विटामिन बी12 और मिनरल लेवल की जाँच करवाएँ। नंगे पैर चलने से बचें, क्योंकि संवेदनशीलता कम होने से चोट लग सकती है।
पैरों पर मकड़ी के जाले जैसी पतली नीली नसें, जिन्हें स्पाइडर वेन्स कहते हैं, अक्सर नसों के वाल्व कमजोर होने के कारण खून जमा होने से बनती हैं। विटामिन सी और बायोफ्लेवोनोइड्स की कमी इसे गंभीर बना सकती है, क्योंकि ये खून की नसों को मजबूत रखते हैं। ज्यादा वजन या देर तक बैठे रहना भी इसका जोखिम बढ़ाता है।
क्या करें: विटामिन सी वाले फल-सब्ज़ियां खाएं और एक्टिव रहें।
फटी एड़ियां आमतौर पर रूखी त्वचा से होती हैं, लेकिन जिंक, विटामिन ए और ज़रूरी फैटी एसिड की कमी भी इसका कारण हो सकती है। ये पोषक तत्व त्वचा की मरम्मत और नमी के लिए अहम हैं। डायबिटीज और एक्जिमा जैसी बीमारियां भी गहरी दरारें कर सकती हैं, जिससे इन्फेक्शन का डर रहता है।
क्या करें: पैरों को अच्छी तरह मॉइस्चराइज़ करें और नंगे पैर न चलें। ओमेगा-3 और जिंक वाले खाने से त्वचा स्वस्थ रहती है।
अगर आपके पैर अक्सर ठंडे रहते हैं, तो यह पेरिफेरल आर्टरी डिजीज, आयरन की कमी (एनीमिया) या थायराइड का संकेत हो सकता है। ये स्थितियां खून के बहाव और शरीर के तापमान को कम करती हैं।
क्या करें: आयरन और थायराइड से संबंधित खाने की चीज़ें खाएं। धूम्रपान से बचें और पैरों को गर्म रखें।
एड़ी का दर्द, जिसे मेडिकल भाषा में प्लांटर फैसीसाइटिस कहते हैं विटामिन डी की कमी से हो सकता है। गलत जूते पहनना, ज्यादा एक्टिविटी या ज्यादा वजन भी इसकी वजह हो सकती है।
क्या करें: विटामिन डी सप्लीमेंट्स लें और वजन कंट्रोल करें। बर्फ की सिकाई और आराम से सूजन कम होती है।
रात में पैरों में ऐंठन अक्सर पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) और पोटेशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे खनिजों की कमी का संकेत होती है। ये मांसपेशी और नसों के काम के लिए बहुत जरूरी हैं।
क्या करें: खूब पानी पिएं और खनिज युक्त आहार लें। सोने से पहले स्ट्रेचिंग और मालिश ऐंठन को रोकने में मदद करती है।
ये सभी संकेत सिर्फ शुरुआती चेतावनी हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण लगातार महसूस हो तो देर न करें, तुरंत डॉक्टर से मिलें। सही समय पर पहचान और इलाज आपको कई गंभीर बीमारियों से बचा सकता है।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।
Published on:
30 Jul 2025 03:10 pm
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