
sweating in winter
Sweating in winter : पसीना आने के कई कारण हो सकते हैं। गर्मियों में पसीना आना सामान्य है, लेकिन ठंड के मौसम में ऐसा होना उचित नहीं है। अगर कड़ाके की ठंड में बिना किसी व्यायाम के भी पसीना ( sweating in winter) आ रहा है, तो यह चिंता का विषय है, क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है। इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि यह कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।
लो ब्लड प्रेशर की समस्या
सर्दियों में पसीना ( sweating in winter) आना निम्न रक्तचाप के संकेत हो सकते हैं। यह हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा सकता है। सर्दियों में निम्न रक्तचाप के कारण दिल तक रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे वे संकुचित होने लगती हैं। इसके परिणामस्वरूप पसीना आता है और हृदय की धड़कन तेज हो जाती है। ऐसे में चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है।
मोटापा बढ़ सकता है
मोटापे के कारण सर्दियों में पसीना ( sweating in winter) आना संभव है। शरीर में उच्च कोलेस्ट्रॉल भी इसके पीछे एक कारण हो सकता है। इस स्थिति में, ठंड के मौसम में पसीना आने पर सतर्क रहना आवश्यक है और तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
मेनोपॉज के कारण
अगर 50 वर्ष की महिलाओं को सर्दियों में पसीना महसूस हो रहा है, तो यह मेनोपॉज के संकेत हो सकते हैं। इसकी शुरुआत हार्मोनल गतिविधियों के कारण होती है, जिससे अत्यधिक पसीना आता है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
शुगर लेवल लो हो सकता है
सर्दियों में पसीना आना निम्न रक्तचाप के संकेत हो सकते हैं। यह हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा सकता है। सर्दियों में निम्न रक्तचाप के कारण दिल तक रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे वे संकुचित होने लगती हैं। इसके परिणामस्वरूप पसीना आता है और हृदय की धड़कन तेज हो जाती है। ऐसे में चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है।
हाइपरहाइड्रोसिस के कारण
इस बीमारी में किसी भी मौसम में अत्यधिक पसीना निकलता है, लेकिन सर्दियों के दौरान चेहरे, हथेलियों और तलवों से विशेष रूप से अधिक पसीना आ सकता है, जो हाइपरहाइड्रोसिस का संकेत हो सकता है। सामान्यतः पसीना शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है, लेकिन इस स्थिति में तापमान कम होने पर भी हथेलियों और तलवों से अधिक पसीना निकलता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Published on:
08 Nov 2024 04:30 pm
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