
यूनानी चिकित्सा पद्धति में एलर्जी का कारगार समाधान मिलता है, खाकसर खाज और पुराने घावों के लिए यूनानी बेहद बेहतर पद्धति मानी जाती है। यूनानी पैथी में उन्नाव जिसे संस्कृत में सौबीर तथा लैटिन में जिजिफस सैटिवा, चायनीज डेट कहते हैं। इस औषधि के पत्ते विरेचक होते हैं तथा खाज, गले के भीतर के रोग और पुराने घावों में उपयोगी हैं। उन्नाव के तने की छाल का काढ़ा बनाकर गरारे करने से कंठशोध में लाभ होता है।
यूनानी पैथी में बनफ्शा जिसे संस्कृत में नीलपुष्पा, लैटिन में वायोला ओडोरेटा कहते है। इसका उपयोग श्वसन से जुड़ी समस्याओं में होता है। खांसी को कम करने, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी स्थितियों में इसका उपयोग होता है।
इस पैथी में दी जाने वाली सपिस्तान भी बेहद कारगर है। इसको लैटिन में कॉडियो लैटिफोलिया कहते है। सपिस्तान सर्दी-खांसी में लाभकारी है और कफ में राहत देती है। इसके अलावा यह जलन या गले में खराश, टॉन्सिल और वॉयस बॉक्स की सूजन को कम करती है। एक गिलास पानी में 10 सपिस्तान के दाने डालकर आधा गिलास होने तक इसे पकाएं। अब इसे छलनी से छानकर सेवन करें, बची सामग्री को फेंके नहीं, दुबारा शाम के समय इसी विधि से बना कर इस्तेमाल कर सकते हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।
Published on:
12 Feb 2024 05:26 pm
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