ज़ूनोसिस दरअसल किसी जूनोटिक (जीव-जंतुओं से होने वाली वायरस जनित बीमारियां) बीमारी का ही दूसरा नाम है। इस तरह की बीमारी एक जानवर या कीट से मनुष्य के शरीर में प्रवेश करती है। इनमेंसे कुछ बीमारियां ऐसी भी हें जो जानवरों को तो बीमार नहीं करतीं लेकिन इंसानों को वेंटिलेटर तक पहुंचा देती हैं। ज़ूनोटिक रोग छोटी अल्पकालिक बीमारी से लेकर सालों तक बनी रहने वाली महामरी तक कैसी भी हो सकती है। कई बार इससे लाखों लोगों की मृत्यु भी हो सकती है जैसे पिछली सदी में स्पेनिश फ्लू और वर्तमान में कोरोना वायरस कोविड-19 इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
-वायरस से होने वाली
-बैक्टीरिया से होने वाली
-फंगस से होने वाली बीमारी
-परजीवियों से होने वाली बीमारी
-मच्छरों और कीटों से फैलने वाली बीमारियां इस श्रेणी की सबसे गंभीर बीमारियों में से हैं।
जूनोटिक बीमारियों के उदाहरण
-एनिमल फ्लू
-एंथ्रेक्स
-बर्ड फ्लू
-बोवाइन ट्यूब्रोक्यूलोसिस
-ब्रूसीलोसिस
-कैम्पिलोबैक्टर संक्रमण
-बिल्ली की खरोंच के कारण होने वाला बुखार
-डेंगू बुखार
-इबोला
-टिक्स से एन्सेफ्लाइटिस
-एन्जूटिक अबोर्शन
-हेपेटाइटिस ई
-हाइडैटिड रोग
-लेप्टोस्पाइरोसिस
-लिस्टेरिया संक्रमण
-मलेरिया
-तोता बुखार
-प्लेग
-रेबीज
-चूहे के काटने से बुखार
-दाद
-जूनोटिक डिप्थीरिया
-और कोरोना संक्रमण
जूनोटिक बीमारियां और संक्रमण बहुत से तरीकोंसे फैल सकता है। इसमें हवा से फैलना, संक्रमित गोश्त या उससे बना कोई खाद्य उत्पाद खाने पर, संक्रमित जानवर के अत्यधिक करीब आने से, ऐसे स्थान या सतह को छूने से जो संक्रमित जानवर ेके संपर्क में रही हो, मच्छरों या कीटों के काटने से ये बीमारियां जीव-जंतुओं से मानव शरीर में प्रवेश कर जाती हैं। वहीं हाइकिंग, बाइकिंग, बोटिंग या अन्य एक्टिविटीज के दौरान भी यह बीमारियां हम तक पहुंच सकती हैं। इसी प्रकार जू भी ऐसी संक्रमित बीमारियों के लिए एक आम जगह है। इनके अलावा पशु पालकों, पालतू जानवर जैसे कुत्ते-बिल्ली भी ऐसे रोगों के सामान्य रोग वाहक होते हैं।
यदि आपको कोई बीमारी है या आपको ऐसा लगता है तो आपको जल्द से जल्द किसी मेडिकल प्रोफेशनल से संपर्क करना चाहिए। यदि आपको किसी जानवर द्वारा खरोंचा या काटा गया है तो अपने पालतू की पशु चिकित्सक द्वारा अच्छी तरह से जांच करवाएं। यह सुनिश्चित करना जरूरी होता है कि उनका उचित रूप से टीकाकरण हुआ हो और उन्हें रेबीज या अन्य जूनोटिक रोग नहीं हैं। अगर टिक्स या कीट ने काट लिया है तो कोशिश करें कि उसे संभालकर किसी कंटेंनर में रख लें ताकि इलाज के लिा चिकित्सक उसकी जांच कर सकें।
हालांकि ज़ूनोटिक रोग आम हैं, लेकिन कुछ लोगों को इनसे संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है। ऐसे लोगों में वायरस या रोगवाहक जीवाणु के संक्रमण की अधिक गंभीर प्रतिक्रियाएं और लक्षण नजर आ सकते हैं। यदि आप नीचे दिए गए किसी भी समूह से हैं तो आपको जोखिम ज्यादा हो सकता है और ऐसे में आपको तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। जूनोटिक बीमारियों के उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों में ये लोग शामिल हैं-
-गर्भवती महिलाएं
-65 वर्ष या उससे अधिक आयु के वयस्क
-5 साल या उससे छोटी उम्र के बच्चे
-एचआईवी संक्रमित रोगी
-कैंसर वाले लोग वे रोगी जो कीमोथेरेपी करवा रह हैं
-कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग
दुनिया में हर जगह ज़ूनोटिक रोग अब आम हैं। हालांकि, अमरीका समेत तमाम विकसितदेश अपने यहां जानवरों और कीड़े के कारण होने वाली बीमारियों को कम करने के लिए लगातार काम करते हैं। साथ ही खाद्य सुरक्षा नियमों को सख्त बनाकर वे जूनोटिक बीमारी के होने की संभावना को कम करते हैं। ज़ूनोटिक बीमारी को रोकने में मदद करने के तरीके भी हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं-
-नियमित अंतराल पर अच्छी तरह से हाथ धोएं
-मच्छरों, मक्खियों और कीटों को दूर रखने के तरीकों का उपयोग करें
-साफ-संतुलित और सुरक्षित भोजन ही करें, इसमें खाने या बनाने से पहले खाद्यपदार्थों को धोना शामिल है
-किसी जानवर द्वारा काटे जाने या खरोंचने से बचें
-अपने पालतू जानवरों का टीकाकरण करवाएं और उन्हें नियमित रूप से पशु चिकित्सक दिखाएं
-जानवरों के साथ निकट संपर्क में हों तो अपनी आंखों या मुंह को ढंके और बेहद करीबी स्पर्श से बचें
-बीमार पालतू की देखभाल के समय दस्ताने का उपयोग करें
-बीमार दिखाई देने वाले पशु को हटाने के लिए पशु नियंत्रण या स्थानीय निायों से संपर्क करें