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क्या मोबाइल फोन के इस्तेमाल से Cancer हो सकता है? डाक्टरों ने कह दी बड़ी बात

WHO report on mobile radiation and cause of cancer : आम लोगों का सबसे बड़ा सवाल है क्या मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से कैंसर हो सकता है। लेकिन अभी तक पक्के तौर पर कहना मुस्किल है।

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भारत

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Manoj Vashisth

Feb 25, 2025

WHO report on mobile radiation Does Your Mobile Phone Cause Cancer Doctors Explain the risk

WHO report on mobile radiation Does Your Mobile Phone Cause Cancer Doctors Explain the risk

Mobile radiation and cancer : मोबाइल फोन हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसके उपयोग को लेकर कई तरह की धारणाएं प्रचलित हैं। खासकर, यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल कैंसर का कारण बन सकता है? इंटरनेट पर इस विषय पर कई लेख और शोध मौजूद हैं, लेकिन कोई भी ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं देता कि मोबाइल फोन से कैंसर होता है।

इसी संदर्भ में हमने राजस्थान के कोटा मेडिकल कॉलेज के एसोसिएटप्रोफेसर एवं फिजिशियनडॉ. पंकज जैन से बात की, ताकि जान सकें कि मोबाइल रेडिएशन और कैंसर के बीच वास्तव में कोई संबंध है या यह सिर्फ एक मिथक है।

विशेषज्ञों की राय: मोबाइल और Cancer का कोई सीधा संबंध नहीं

डॉ. पंकज जैन ने कहा मोबाइल फोन से निकलने वाली विकिरण रेडियो फ्रीक्वेंसी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक श्रेणी की नॉन आयोनाइ‌जिंग,लो एनर्जी रेडिएशन होती है जो मानव शरीर के डीएनए को सीधे नुकसान नहीं पहुंचाती है क्योंकि रेडियो फ्रीक्वेंसी विकिरणों द्वारा मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने के लिए विकिरणों द्वारा शरीर का तापमान बढ़ना जरूरी है लेकिन वर्तमान टेक्नोलॉजी में प्रयुक्त रेडियो फ्रीक्वेंसी स्तर मानव शरीर के तापमान में नगण्य वृद्धि ही करता है इसलिए अभी यह कहना उपयुक्त होगा कि मोबाइल उपयोग का कैंसर से सीधा संबंध साबित नहीं हुआ है । दीर्घ कालिक खतरों का पता समय बीतने के साथ आने वाले लम्बी अवधि के शोधों से ही लग पाएगा ।

इस विषय पर डॉ. मोहित अग्रवाल और डॉ. नितिन का कहना है कि मोबाइल फोन और कैंसर (Cancer) के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध साबित नहीं हुआ है। कई शोध इस विषय पर किए गए हैं, लेकिन अब तक किसी में यह प्रमाणित नहीं हुआ कि मोबाइल फोन का उपयोग कैंसर को जन्म देता है।

रेडियो फ्रीक्वेंसी विकिरण और मानव शरीर

मोबाइल फोन और वाई-फाई डिवाइस रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) विकिरण उत्सर्जित करते हैं। यह नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन का एक प्रकार है, जो एक्स-रे या गामा किरणों की तरह शक्तिशाली नहीं होता और डीएनए को सीधे नुकसान नहीं पहुंचाता। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और इंटरनेशनल रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) के अनुसार, रेडियो फ्रीक्वेंसी विकिरण को "संभावित रूप से कैंसरकारी" (ग्रुप 2B) श्रेणी में रखा गया है, जिसका अर्थ है कि इस पर अभी और शोध की आवश्यकता है।

क्या कहते हैं अब तक के शोध?

अमेरिका और यूरोप में इस विषय पर कई अध्ययन किए गए हैं। कुछ शोधों में यह पाया गया कि जो लोग अत्यधिक मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, उनमें ब्रेन ट्यूमर (ग्लियोमा) का थोड़ा अधिक जोखिम हो सकता है, लेकिन इस निष्कर्ष को लेकर वैज्ञानिक अभी भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं।

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मोबाइल का संतुलित उपयोग ही है सही समाधान

विशेषज्ञों की सलाह है कि मोबाइल फोन का जरूरत से ज्यादा उपयोग करने से बचना चाहिए। कुछ जरूरी सावधानियां अपनाकर मोबाइल के संभावित खतरों को कम किया जा सकता है:

- मोबाइल को सोते समय शरीर से दूर रखें
- ईयरफोन या स्पीकर मोड का उपयोग करें
- मोबाइल कॉल्स की अवधि को कम करें
- मोबाइल को शरीर के बेहद करीब न रखें

अब तक के शोधों में यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि मोबाइल फोन का सीधा संबंध कैंसर (Cancer) से है। हालांकि, मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे तनाव, नींद में बाधा और एकाग्रता में कमी हो सकती है। इसलिए, बेहतर यही होगा कि मोबाइल का इस्तेमाल सीमित रखा जाए और स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहा जाए।

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IANS