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During Pregnancy medicine: दवा लेने के दो घंटे बाद कराएं स्तनपान

locationजयपुरPublished: Aug 12, 2020 01:58:04 pm

Submitted by:

Hemant Pandey

आहार, दवाइयां और महिला की प्रकृति से भी प्रभावित होता है मां का दूध

During Pregnancy medicine: दवा लेने के दो घंटे बाद कराएं स्तनपान

During Pregnancy medicine: दवा लेने के दो घंटे बाद कराएं स्तनपान

मांजो कुछ खाती है वह ब्रेस्ट मिल्क से शिशु को मिलता है। कई बार गलत खानपान या कुछ दवाइयां लेने से शिशु पर दुष्प्रभाव पड़ता है। इससे शिशु को स्थाई नुकसान भी हो सकता है। ऐसी महिलाएं सावधानी रखें। विश्व स्तनपान सप्ताह 01-07 अगस्त को मनाते हैं। इस वर्ष की थीम ”सपोर्ट ब्रेस्टफिडिंग फॉर अ हैल्दीयर प्लेनेट” निर्धारित है।
एंटीबायोटिक्स
शिशु को दूध पिला रही मां को अपने मन से कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए। एंटीबायोटिक्स का सबसे ज्यादा नुकसान होता है। कई एंटीबायोटिक्स नेफ्रोटॉक्सिक होते हैं। इससे शिशु की किडनी पर असर पड़ सकता है। अगर दवा हिपेटोटॉक्सिक है तो शिशु के लिवर पर असर पड़ता है। दवा लेने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।
कैंसर व डिप्रेशन की दवा
कैंसर के इलाज में एंटीनियोप्लास्टिक दवाइयां दी जाती हैं। इनमें कुछ लिक्विड और गोलियां भी होती हैं। इनको लेने वाली महिलाएं स्तनपान कराती हैं तो बच्चे के सभी महत्वपूर्ण अंगों पर दुष्पभाव पड़ता, वजन नहीं बढ़ता और पाचन भी खराब रहता है।
हार्मोन संबंधी दवाइयां
पीसीओडी, थायरॉइड व गर्भनिरोधक गोलियों से शिशु का वजन अचानक से घट-बढ़ सकता है। भूख कम या ज्यादा लग सकती है। गर्भ निरोधक गोलियां दो तरह की होती हैं। एक में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन दोनों होता है। इसेे कंबाइंड पिल्स कहते हैं जबकि दूसरे में सिर्फ प्रोजेस्ट्रॉन ही होता है। इसे प्रोजेस्ट्रॉन पिल्स कहते हैं। ऐसी महिलाएं केवल प्रोजेस्ट्रॉन पिल्स लें।
स्तनपान
के तुरंत
बाद लें दवा
कुछ दवाओं का असर तुरंत होता है। इसलिए कोई भी दवा लेती हैं तो स्तनपान के तुरंत बाद ले लें ताकि अगली बार दूध पिलाने में दो घंटे का अंदर हो सके। शिशु को नुकसान कम हो। ज्यादा हैवी दवाइयां ले रही हैं तो दूध को पंप से निकालकर स्टोर कर लें। नशा करती हैं तो नशा करने के दो घंटे बाद ही स्तनपान कराएं।
आयुर्वेद में होता स्तन्य दूध परीक्षण, जानें प्रकृति
चरक संहिता में स्तन्य दूध शुद्धि परीक्षण के बारे में लिखा गया है। इसमें दूध का परीक्षण पानी में किया जाता है। इससे पता चल जाता है कि मां के दूध की प्रकृति क्या है।
जो महिला तनाव-अवसाद में रहती है उनका दूध वायुवर्धक होता है। शिशु का वजन नहीं बढ़ता, सही विकास नहीं होता, इम्युनिटी ïघटती।
मां को एसिडिटी रहती है तो दूध पित्त प्रकृति का होगा। शिशु को प्यास -पसीना ज्यादा होगा। स्टूल में भी समस्या हो सकती है।
मां एक बार में ज्यादा-भारी डाइट लेती है तो दूध कफज बनेगा। शिशु का लार टपकेगा। ज्यादा वजन होगा। दूध देरी से पीएगा। मां, ऐसी डाइट ले जो तीन घंटे में पच जाए।
इनको खाने से परहेज
खट्टी-मसालेदार चीजें जैसे आचार, इमली, मिर्ची, खट्टे फल (संतरा, मौसम्बी, नींबू) न लें। अम्ल बनता, शिशु को पेट दर्द और एसिडिटी हो सकती है। प्याज, मूली, राजमा, गोभी, खीरा, ब्रोकली, चाय-कॉफी, चॉकलेट, सी फूड्स का परहेज करें। कोई नशा न करें।

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