खानपान में भूलकर भी न करें इन 5 चीजों का अत्यधिक सेवन, फेफड़ों पर पड़ सकता है बुरा असर
‘थीम प्रमोशन ऑफ बॉयोफ्यूल’
इस साल की बात करें तो इसकी थीम बेहतर पर्यावरण के लिए बॉयोफ्यूल का प्रसार रखी गई है। वातावरण की सुरक्षा के लिए विश्वभर में लोगों को कुछ सकारात्मक गतिविधियाँ के लिए प्रोत्साहित और जागरुक करने के लिए यह दिन संयुक्त राष्ट्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है। अब, यह 100 से भी अधिक देशों में लोगों तक पहुँचने के लिए बड़ा वैश्विक मंच बन गया है।
पीएम मोदी का संबोधन
आज के इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) एक कार्यक्रम के जरिए भारत की कोशिशों के बारे में देश और दुनिया को जानकारी देंगे। इसी दौरान प्रधानमंत्री उन किसानों से भी वर्चुअल संवाद करेंगे जो अपने कृषि कार्यों में एथेनॉल (Ethanol) और बॉयोफ्यूल (Biofuel) का इस्तेमाल करते हैं।
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‘ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज
ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज दोनों अलग-अलग है। ग्लोबल वार्मिंग की सीधी वजह इंसानी सुख सुविधा के लिए बनाई गई तकनीक चीजें जिम्मेदार है।
ये क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन वो पहलू है, जो समुद्र स्तर बढ़ने, ग्लेशियरों के पिघलने, उष्णकटिबंधीय तूफानों के बढ़ने, कोरल रीफ के घटने और भयानक गर्मी के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग के रूप में सामने आता है। ये सभी घटनाएं मुख्य रूप से मानव द्वारा किए गए कामों का परिणाम होती हैं।
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आप कई तरह से कार्बन फुटफ्रिंट छोड़ते हैं
कार्बन फुट प्रिंट से पर्यावरण पर आपके प्रभाव की गणना की जाती है. एक व्यक्ति, संगठन, समुदाय या फिर किसी देश के कार्बन फुट प्रिंट, ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा है। मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड, जिसे उनकी गतिविधियों के परिणामस्वरूप वायुमंडल में छोड़ा जाता है।