
Priyanka Chopra की हॉलीवुड फिल्म 'वी केन बी हीरोज' में होंगे करामाती बच्चे
-दिनेश ठाकुर
छत्तीस साल पहले एक जर्मन फिल्म आई थी, जो दुनियाभर के बच्चों को काफी भायी थी। निर्देशक वुल्फगैंग पीटरसन की इस फिल्म का नाम था 'द नेवरएंडिंग स्टोरी' ( The NeverEnding Story ) , जो जर्मन लेखक माइकल एंडे के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित थी। इस फंतासी फिल्म का किस्सा यह था कि दस साल का बच्चा किताबों की दुकान से एक किताब लेकर भाग जाता है। वह जादू की किताब थी। बच्चा इसे पढ़कर जो सोचता है, वह साकार होने लगता है। इस फिल्म की घनघोर कामयाबी के बाद इसके दो भाग और बने।
सपनों की रोमांचक दुनिया
फंतासी फिल्में बच्चों को इसलिए भाती हैं कि मनोरंजन के साथ ये उनमें प्रेरक ऊर्जा का संचार करती हैं, उनकी कल्पनाओं को पंख लगाती हैं और सपनों की रोमांचक दुनिया की सैर कराती हैं। अफसोस की बात है कि भारत में इस तरह की फिल्में बहुत कम बनी हैं। शेखर कपूर की 'मि. इंडिया' और राकेश रोशन की 'कोई मिल गया' की कामयाबी के बाद लगा था कि इस तरह की फिल्मों का सिलसिला यहां भी तेज होगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
कामयाब नहीं हुई कोशिश
सौमित्र रानाडे ने 2003 में गुलीवर की कथाओं पर आधारित 'जजंतरम ममंतरम' बनाई थी। जावेद जाफरी, गुलशन ग्रोवर, मानव कौल आदि की ओवर एक्टिंग ने इस फिल्म की सहजता छीन ली। रस्किन बॉन्ड की कहानी पर आधारित विशाल भारद्वाज की 'द ब्लू अम्ब्रेला' और अमोल गुप्ते की 'स्टेनली का डब्बा' अच्छा प्रयास थीं, लेकिन इन्हें 'मि. इंडिया' या 'कोई मिल गया' जैसी कामयाबी नसीब नहीं हुई। बच्चों की फंतासी फिल्मों के लिए जिस सूझ-बूझ की जरूरत होती है, वह भारतीय सिनेमा में विकसित नहीं हो सकी है। फिर बजट भी एक समस्या है। ऐसी फिल्मों में धन लगाने वाले आसानी से नहीं मिलते।
हॉलीवुड में जारी है सिलसिला
हॉलीवुड में बच्चों के लिए फंतासी फिल्में लगातार बन रही हैं। इनके लिए कहानियां भी ऐसी चुनी जाती हैं, जो बच्चों में दिलचस्पी जगाएं। मसलन वाल्ट डिज्नी की 'हनी, आई श्रंक ड किड्स' में प्रयोग के दौरान एक वैज्ञानिक अपने बेटे-बेटी समेत चार बच्चों का आकार इतना घटा देता है कि वे कीड़े जैसे लगने लगते हैं। एक दूसरी फिल्म 'चार्ली एंड द चॉकलेट फैक्ट्री' में पांच बच्चे एक ऐसी फैक्ट्री में पहुंच जाते हैं, जहां हर चीज चॉकलेट से बनी है।
बच्चे भिड़ेंगे एलियंस से
हॉलीवुड ने एक और फंतासी फिल्म 'वी केन बी हीरोज' ( We Can Be Heroes ) बनाई है, जिसका 25 दिसम्बर को डिजिटल प्रीमियर होने वाला है। इसमें प्रियंका चोपड़ा ( Priyanka Chopra ) ने भी अहम किरदार अदा किया है। निर्देशक रॉबर्ट रॉड्रिगूज ने पांच साल पहले 3 डी में 'द एडवेंचर्स ऑफ शार्कबॉय एंड लावागर्ल' बनाई थी। 'वी केन बी हीरोज' उसी का सीक्वल है। इसमें एलियंस दुनिया पर हमला करते हैं (यह हॉलीवुड वालों का पसंदीदा फार्मूला है) और तमाम सुपर हीरोज को बंधक बना लेते हैं। इनके मुख्यालय की प्रमुख (प्रियंका चोपड़ा) सुपर हीरोज के बच्चों को एक तहखाने में बंद कर देती है। सभी बच्चे पारलौकिक शक्तियों से लैस हैं। जाहिर है, वे तहखाने से भागेंगे और एलियंस की शामत का सबब बनेंगे। फंतासी फिल्म के बच्चे कुछ भी कर सकते हैं। वे चाहें तो पानी में आग लगा सकते हैं और आग को पानी में बदल सकते है। रोक सको तो रोक लो।
Published on:
05 Dec 2020 06:06 pm
बड़ी खबरें
View Allमनोरंजन
ट्रेंडिंग
