तिथि
सूर्योदय से अर्धरात्रि 03.02 मिनट तक जया संज्ञक तृतीय तिथि रहेगी। पश्चात रिक्ता संज्ञक चतुर्थी तिथि लगेगी। तृतीया तिथि में धन के स्वामी कुबैर का पूजन करने से मनुष्य निश्चिंत ही विपुल धनवान बन जाता है। तथा क्रय विक्रयादि वयापारिक व्यवहार से उसे अत्याधिक लाभ होता है। चतुर्थी तिथि में भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए। इससे सभी विघ्नो का नाश हो जाता है।
नक्षत्र
सूर्योदय से अर्धरात्रि 01.17 मिनट तक मृदु मेत्र रेवती नक्षत्र रहेगा। पश्चात क्षिप्र लघु अश्विनी नक्षत्र लगेगा। अक्षर ज्ञान, अध्यन, अध्यापन, धार्मिक प्रवचन, स्कूल, कॉलेज, पुस्तकालय आदि के संचालन हेतु रेवती नक्षत्र शुभ रहते हैं। औषधि एवं रसायन के निर्माण, औषधि सेवन, सर्जरी और चिकित्सा संबंधी अन्य कार्यों के निए अश्विनी नक्षत्र शुभ माने जाते हैं।
योग
सूर्योदय से दोपहर 04.38 मिनट तक शुक्ल योग रहेगा। पश्चात ब्रह्म योग लगेगा। शुभ योग की स्वामी पार्वती देवी मानी जाती हैं, जबकि ब्रह्म योग के स्वामी अश्विनी कुमार माने जाते हैं।
विशिष्ट योग
दोनो ही योग सफलता सुनिश्चित करने वाले होते हैं।शुक्ल योग धार्मिक कार्यों में सफलता प्रदान करते हैं। ब्रह्म योग में जप तप अनुष्ठान आदि की सफलता सुनिश्चित रहती है।
आज का शुभ मुहूर्त
अनुकूल समय में नए घर की वास्तुशांति करने के लिए शुभ मुहूर्त है।
श्रेष्ठ चौघड़िए
प्रातः 08.10 मिनट से 09.38 मिनट तक शुभ का चौघड़िया रहेगा एवं दोपहर 12.34 मिनट से दोपहर 04.59 मिनट तक क्रमशः चंचल लाभ व अमृत के चौघड़िया रहेंगे।
करण
सूर्योदय से दोपहर 02.19 मिनट तक तैतिक नामक करण रहेगा। पश्चात गर नामक करण लगेगा। इसके पश्चात वणिज नामक करण लगेगा।
व्रतोत्सव
व्रत/पर्वः मु. रजब 7वे माह की शुरुआत।मेला ख्वाजा साहब अजमेर शरीफ (807वां)।
चंद्रमाः सूर्योदय से लेकर अर्धरात्रि 01.17 मिनट तक चंद्रमा जल तत्व की मीन राशि में रहेंगे पश्चात अग्नि तत्व की मेष राशि में प्रवेश करेंगे।
पंचकः पंचक अर्धरात्रि 01.17 पर समाप्त होंगे।
दिशाशूलः पूर्व दिशा में। अगर हो सके तो आज पूर्व दिशा में की जाने वाली यात्रा को टाल दें।
राहु कालः प्रातः 09.38.47 से 11.06.52 तक राहु काल वेला रहेगी। इस समय में शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए।