तिथि
सूर्योदय से रात्रि 08.51 मिनट तक रिक्ता संज्ञक चतुर्थी तिथि रहेगी। पश्चात पूर्णा संज्ञक पंचमी तिथि लगेगी। चतुर्थी तिथि में भगवान श्री गणेश का पूजन करना चाहिए। इससे सभी प्रकार के विघ्नों का नाश हो जाता है। पंचमी तिथि में नागों की पूजा करने से विष का भय नहीं रहता, सुशील स्त्री और उत्तम संतान प्राप्त होते हैं और श्रेष्ठ लक्ष्मी भी प्राप्त होती है।
नक्षत्र
सूर्योदय से प्रातः 07.40 मिनट तक चर चल स्वाती नक्षत्र रहेगा। पश्चात मिश्र साधारण विशाखा नक्षत्र लगेगा। वर-वधु की दिखाई रस्म, सगाई, विवाह आदि के लिए स्वाती नक्षत्र शुभ माने गए हैं। औषधि एवं रसायन के निर्माण सर्जरी और चिकित्सा संबंधी अन्य कार्यों के लिए विशाखा नक्षत्र शुभ माने गए हैं। वहीं, सन्यास , मुकदमेबाजी आदि कार्य विशाख नक्षत्र में किये जा सकते हैं।
योग
सूर्योदय से रात्रि 08.04 मिनट तक हर्षण योग रहेगा पश्चात वज्र योग लगेगा। हर्षण योग के स्वामी भंगदेव माने जाते हैं, जबकि वज्र योग के स्वामी वरुणदेवता माने गए हैं।
विशिष्ट योग
दोनो ही योगों को कार्य की शुरुआत के लिए अशुभ माना जाता है। अतिआवश्यक होने पर किसी भी कार्य की शुरुआत के लिए इन दोनो योगों के प्रथम 03.36 मिनट का त्याग करना चाहिए।
आज का शुभ मुहूर्त
अनुकूल समय में वस्तु विशेष का विक्रय करने के लिए शुभ मुहूर्त है।
श्रेष्ठ चौघड़िए
प्रातः 07.59 मिनट से दोपहर 12.30 मिनट तक क्रमशः चंचल लाभ व अमृत का चौघड़िया रहेंगे। एवं दोपहर 02.01 मिनट से 03.31 मिनट तक शुभ का चौघड़िया रहेगा।
करण
सूर्योदय से प्रातः 09.42 मिनट तक बव नामक करण रहेगा। इसके पश्चात बावल नामक करण लगेगा। इसके पश्चात करण लगेगा। इसके पश्चात कौलव नामक करण लगेगा।
व्रतोत्सव
व्रत/पर्वः संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत।
चंद्रमाः सूर्योदय से अर्धरात्रि 01.07 मिनट तक चंद्रमा वायु तत्व की तुला राशि में रहेंगे। पश्चात जल तत्व की वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे।
दिशाशूलः पश्चिम दिशा में। अगर हो सके तो आज पश्चिम दिशा में की जाने वाली यात्रा को टाल दें।
राहु कालः दोपहर 05.02.23 से सायंः 06.32.57 तक राहु काल वेला रहेगी। अगर हो सके इस समय में शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए।