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आदि ग्रंथों में है कोरोना महामारी की भविष्यवाणी, जानिये कैसे बचें इससे

- सनातन धर्म में मिली है, करोना की स्टीक भविष्यवाणी- नारद संहिता से लेकर विशिष्ट संहिता तक में हैं ये प्रमाण - प्रमादी संवत्सर के प्रारम्भ से इसके प्रभाव में शुरू हो जाएगी कमी...

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Prediction of corona epidemic is in hindu texts, know how to avoid it

Prediction of corona epidemic is in hindu texts, know how to avoid it

कोरोना का भय इन दिनों पूरी दुनिया में फैला हुआ है। ऐसे में हर कोई इससे बचने की कोशिश तो कर ही रहा है, साथ ही कुछ लोग इसके बारे में पूर्व में कुछ कहा गया है या नहीं इस बारें में भी पता करने में जुटे हुए हैं।

ऐसे में एक मैसेज जो लगातार वायरल हो रहा है, उसमें बताया जा रहा है कि वर्तमान में पूरे विश्व को भयभीत करने वाली कोरोना महामारी की भविष्यवाणी आज से लगभग 10 हजार वर्ष पूर्व नारद संहिता में कर दी गई थी, उनके अनुसार यह बात भी उसी समय बता दी गई थी, कि यह महामारी किस दिशा से फैलेगी। इस संबंध में कई जानकारों का भी कहना है कि यह सत्य है। क्योंकि नारद संहिता में एक जगह आया है कि...

भूपाव हो महारोगो मध्य स्यार्धवृष्टय ।
दुखिनो जंत्व सर्वे वत्स रे परीधाविनी ।।

अर्थात परीधावी नामक संवत्सर में राजाओं में परस्पर युद्ध होगा और महामारी फैलेगी बारिश भी असामान्य होगी व सभी प्राणी दुखी होंगे ।

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इस महामारी का प्रारम्भ 2019 के अंत में पड़ने वाले सूर्यग्रहण से होगा ! जिसका बृहत संहिता में भी वर्णन आया है...

शनिश्चर भूमिप्तो स्कृद रोगे प्रीपिडिते जनाः

अर्थात जिस वर्ष के राजा शनि होते हैं उस वर्ष में महामारी फैलती है।

वहीं विशिष्ट संहिता में वर्णन प्राप्त होता है, कि जिस दिन इस रोग का प्रारम्भ होगा उस दिन पूर्वाभाद्र नक्षत्र होगा ।

ऐसे में जानकारों का कहना है कि यह सत्य है कि 26 दिसंबर 2019 को पूर्वाभाद्र नक्षत्र था औऱ उसी दिन से महामारी का प्रारंभ हो गया था, क्योंकि चीन से इसी समय यह महामारी जिसका की पूर्व दिशा से फैलने का संकेत नारद संहिता में पहले से ही दे रखा था, शुरू हुई थी ।

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महामारी का अंत...
जहां तक इस महामारी के अंत का सवाल है तो विशिष्ट संहिता के अनुसार इस महामारी का प्रभाव 3 से 7 महीने तक रहेगा ! परंतु नव संवत्सर 2078 के प्रारम्भ से इसका प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा अर्थात 25 मार्च 2020 से प्रारंभ हो भारतीय नव संवत्सर जिसका नाम प्रमादी संवत्सर है, इसी दिन से करोना का प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा ।

वहीं इस संबंध में ज्योतिष के जानकार केबी शक्टा का कहना है कि यहां जो श्लोक लिखे हैं वे पूरी तरह से शुद्ध नहीं हैं, फिर भी कई पुराणों में कलियुग में क्या होगा लिखा हुआ है। कलिकाल लोगों के लिए कठिनाइयों से भरा हुआ है, ऐसे में ईश्वर की भक्ति जप भजन सर्वोत्तम उपाय हैं जो कलियुग में मनुष्यों के लिए सहायक होंगे।

कोरोना के ज्योतिषीय कारण...
ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति के साथ राहु या केतु ग्रह की युति होने पर ऐसे रोग होते हैं, जिनसे निपटना या जिनका इलाज बेहद मुश्किल होता है। इसमें भी केतु क्रूर होने के साथ रहस्यमयी ग्रह माना जाता है। इसलिए बृहस्पति और केतु के योग से इस तरह के रोग होते हैं।

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इन ग्रहों ने फैलाई ये महामारी...
ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा के अनुसार 6 मार्च 2019 को केतु ने धनु राशि में प्रवेश किया था। इसके बाद 4 नवंबर 2019 को बृहस्पति ने धनु राशि में प्रवेश किया था। चीन में पहला केस नवंबर 2019 में सामने आया था। विशिष्ट संहिता में वर्णन के अनुसार ही इसके बाद 26 दिसंबर 2019 को साल का आखिरी सूर्यग्रहण पड़ा।

सूर्यग्रहण के दिन ग्रहों का षडाष्टक योग बना था। सूर्य, चंद्र, बृहस्पति, शनि, बुध और केतु के योग से सूर्यग्रहण का नकारात्मक प्रभाव पड़ा। इसने वायरस को महामारी बना दिया।

इसके 14 दिन बाद चंद्रग्रहण हुआ। ज्योतिष के अनुसार यह भी शुभ फल देने वाला नहीं था और राहु, केतु, शनि से पीड़ित रहा था। ज्योतिष के अनुसार सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति के कमजोर होने पर प्रलय की स्थिति निर्मित होती है।

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इसके बाद जब केतु मूल नक्षत्र में पहुंचा तो वायरस ने भयानक रूप धारण कर लिया। जानकारों के अनुसार भले ही नव संवत्सर 2078 अर्थात 25 मार्च 2020 से, भारतीय नव संवत्सर जिसका नाम प्रमादी संवत्सर के प्रारम्भ से इसका प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा। लेकिन ज्योतिष में बन रहे ग्रह योगों को देखते हुए पं. शर्मा कहते हैं कि इसके बाद भी चूंकि 20 सितंबर 2020 तक केतु धनु राशि में रहेंगे।

इस वजह से ज्यादा सावधानी बरतनी होगी। राहु इस समय आद्रा नक्षत्र में है, जो प्रलय का नक्षत्र माना जा रहा है। 20 मई 2020 तक वह इसी आद्रा नक्षत्र में रहेगा। वहीं 20 मई 2020 तक बृहस्पति उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में रहेगा, जो परेशानी पैदा करेगा।

लेकिन 29 मार्च को गुरु के मकर राशि में प्रवेश करते ही शनि-मंगल की युति होगी। ऐसे में चूंकि शनि अपने आने से पहले ही अपना असर दिखाना शुरू कर देता है, इसलिए मुमकिन है कि 25 मार्च 2020 से ही इस बीमारी का असर कम होने लगे।

इस वजह से वायरस के असर में कमी आएगी। वहीं 13 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश से राहत बढ़ जाएगी। 4 मई को मंगल कुंभ राशि में प्रवेश करेगा जो काफी राहत भरा रहेगा। 20 मई को राहु नक्षत्र बदलेगा और इसके चलते वायरस का तकरीबन पूरा असर खत्म होता चला जाएगा।

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ऐसे करें बचाव! ये मंत्र देंगे राहत...
श्री मार्कण्डेय पुराण में श्री दुर्गासप्तशती में किसी भी बीमारी या महामारी का उपाय देवी के स्तुति तथा मंत्र द्वारा बताया गया है जो कि अत्यंत प्रभावकारी है...

रोग नाश के लिए...
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥

महामारी नाश के लिए...
ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

यह दोनों मंत्र अत्यंत प्रभावकारी माने जाते हैं।

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