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मात्र 500 रुपए की इस कुर्सी ने महिला को बना दिया लखपति, जानें कैसे

इंसान की किस्मत कब खुल जाए किसी को नहीं पता। इसका ताजा उदाहरण ब्रिटेन से सामने आया है, जहां पर एक महिला ने कबाड़ी की दुकान से मात्र 500 रुपये में कुर्सी खरीद उससे १६ लाख रूपये कमाए। देखिये ये दिलचस्प किस्सा

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500 Rupees Chair made this woman a millionaire overnight

500 Rupees Chair:

सही कहा गया है कि दिमाग से बड़ी कोई दौलत नहीं। इंसान अपना दिमाग चलाए तो क्या कुछ नहीं कर सकता इसका एक जीता जागता उदाहरण ब्रिटेन में देखने को मिला है। यहां एक महिला ने कबाड़ी से मात्र 500 रुपए में एक लकड़ी की कुर्सी खरीदी और अपना दिमाग चला कर उस कुर्सी से पूरे 16 लाख रुपए कमा लिए।दरअसल हुआ ये कि महिला ने कबाड़ी से कुर्सी खरीदकर उनकी नीलामी करने का विचार बनाया और हैरानी की बात देखिए कि कुर्सी की बोली लगाने के लिए कई लोग आगे आ गए और उसने कुर्सी 16 लाख रुपए में नीलाम कर दी।


आप सोच रहे होंगे कि आखिर कबाड़ की कुर्सी इतनी महंगी कैसे बिकी। चीजों की कीमत निर्धारित करने वाले एक शख्स ने महिला को बताया था कि यह कुर्सी कोई मामूली कुर्सी नहीं है बल्कि ऑस्ट्रिया के 20वीं सदी के आर्ट स्कूल की है, जिसे ऑस्ट्रियाई पेंटर कोलोमन मोजर ने 1902 में डिजाइन किया था। मोजर विएना सेकेशन आंदोलन के एक आर्टिस्ट थे, जिन्होंने पारंपरिक कलात्मक शैलियों को खारिज कर दिया था।


आपको बता दें कि इस कुर्सी को एक ऑस्ट्रेयाई डीलर ने खरीदा। डीलर जॉन ब्लैक ने कहा कि हम कुर्सी के सेल प्राइस से काफी खुश हैं। अच्छी बात ये है कि यह कुर्सी वापस ऑस्ट्रिया जा रही है। यह कुर्सी 18वीं शताब्दी की पारंपरिक लेडर बैक चेयर का मॉर्डन रूप है। दिखने में यह कुर्सी बेहत आम है लेकिन इसकी बैक आम कुर्सियों के मुकाबले ज्यादा लंबी है। इसके अलावा इसे बनाने में प्लास्टिक की बजाय लकड़ी और जूट का इस्तेमाल किया गया है।

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कुछ विशेषज्ञों ने कुर्सी की जांच की, जिस पर पता चला कि उसे 1902 में सम्मानित ऑस्ट्रियाई चित्रकार कोलोमन मोजर द्वारा डिजाइन किया गया था। मोजर वियना सेकेशन आंदोलन के एक कलाकार थे, जिन्होंने पारंपरिक कलात्मक शैलियों को खारिज कर दिया था। कुर्सी 18वीं शताब्दी की पारंपरिक कला को दर्शती है, जबकि पीछे चेकरबोर्ड जैसा ग्रिड है।

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